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'''ग़ौस मोहम्मद ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: Mohammad Ghouse) सोलहवीं शताब्दी के महान् मुस्लिम संत थे।
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'''ग़ौस मोहम्मद ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mohammad Ghouse'') 16वीं शताब्दी के महान [[मुस्लिम]] संत थे। बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक तानसेन ग़ौस मोहम्मद के शिष्य थे। मुस्लिम गुरु और [[हिंदू]] शिष्य के अनूठे प्रेम का प्रतीक हजीरा स्थित ग़ौस मोहम्मद का मक़बरा दुनिया का एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है, जहां देश-विदेश के गायक व संगीतकार मन्नत मांगने आते हैं। सूफ़ी संत ग़ौस मोहम्मद का मकबरा [[मुग़ल]] बादशाह अकबर ने सन 1666 में बनवाया था। उनके शिष्य तानसेन का स्मारक भी यहीं बना है। यहां से हर साल 'तानसेन समारोह' की शुरुआत होती है। देश-विदेश के पर्यटक भी यहां सालभर आते रहते हैं।
* [[मध्य प्रदेश]] के [[ग्वालियर]] में स्थित ग़ौस मोहम्मद के मक़बरे का निर्माण चौकोर रूप में हुआ है तथा कोनों पर षटकोणीय बुर्ज बने हैं।  
 
* मक़बरे का ऊपरी भाग गुम्बदयुक्त है।
 
* इस मक़बरे पर चारों ओर पत्थर पर उकेरी हुई अलंकृत आलेखन युक्त जाली लगी हैं।
 
* मक़बरे के ऊपरी भाग में एक विशाल गुम्बद बना हुआ है।  
 
 
 
 
 
 
 
  
  
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05:57, 24 सितम्बर 2022 का अवतरण

मुस्लिम संत मोहम्मद ग़ौस का मक़बरा, ग्वालियर

ग़ौस मोहम्मद ख़ान (अंग्रेज़ी: Mohammad Ghouse) 16वीं शताब्दी के महान मुस्लिम संत थे। बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक तानसेन ग़ौस मोहम्मद के शिष्य थे। मुस्लिम गुरु और हिंदू शिष्य के अनूठे प्रेम का प्रतीक हजीरा स्थित ग़ौस मोहम्मद का मक़बरा दुनिया का एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है, जहां देश-विदेश के गायक व संगीतकार मन्नत मांगने आते हैं। सूफ़ी संत ग़ौस मोहम्मद का मकबरा मुग़ल बादशाह अकबर ने सन 1666 में बनवाया था। उनके शिष्य तानसेन का स्मारक भी यहीं बना है। यहां से हर साल 'तानसेन समारोह' की शुरुआत होती है। देश-विदेश के पर्यटक भी यहां सालभर आते रहते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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