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11:05, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-15 श्लोक-12 / Gita Chapter-15 Verse-12

प्रसंग-


पहली शंका का उत्तर देने के लिये भगवन् बारहवें से पंद्रहवें श्लोक तक गुण, प्रभाव और ऐश्वर्य सहित अपने स्वरूप का वर्णन करते हैं-


यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम् ।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम् ।।12।।



सूर्य[1] में स्थित जो तेज़ सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है तथा जो तेज़ चन्द्रमा[2] में है और जो अग्नि[3] में हैं- उसको तू मेरा ही तेज़ जान ।।12।।

The light in the sun, that illumines the entire solar world, and that which shines in the moon and that too which shines in the fire, know that light to be Mine. (12)


यत् = जो ; तेज: = तेज़ ; आदित्यगतम् = सूर्य में स्थित हुआ ; अखिलम् = संपूर्ण ; जगत् = जगत् को ; भासयते = प्रकाशित करता है ; च = तथा ; यत् = जो (तेज) ; चन्द्रमसि = चन्द्रमामें स्थित है (और) ; यत् = जो (तेज) ; अग्नौ = अग्नि में (स्थित है) ; तत् = उसको (तूं) ; मामकम् = मेरा ही ; तेज: = तेज़ ; विद्धि = जान ;



अध्याय पन्द्रह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-15

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।
  2. पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया की संतान बताया गया है, जिसका नाम 'सोम' है।
  3. अग्निदेवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र प्रकाश करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं।

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