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− | क्योंकि मैं नाशवान् जडवर्ग क्षेत्र से तो सर्वथा अतीत हूँ और अविनाशी जीवात्मा से भी उत्तम हूँ, इसलिये लोक में और < | + | क्योंकि मैं नाशवान् जडवर्ग क्षेत्र से तो सर्वथा अतीत हूँ और अविनाशी जीवात्मा से भी उत्तम हूँ, इसलिये लोक में और [[वेद]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> में भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूँ ।।18।। |
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11:14, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-18 / Gita Chapter-15 Verse-18
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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