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− | '''चंबा''' नगर, पश्चिमोत्तर [[हिमाचल प्रदेश]] | + | '''चंबा''' एक प्रसिद्ध नगर है, जो पश्चिमोत्तर [[हिमाचल प्रदेश|हिमाचल प्रदेश राज्य]], [[उत्तरी भारत]] में स्थित है। यह नगर दो [[पर्वत]] चोटियों के बीच [[रावी नदी]] द्वारा निर्मित ऊँचे टीले पर स्थित है। निचले टीले पर प्रसिद्ध चौगान है, जहाँ जन समारोह व उत्सव आयोजित किए जाते है। यहीं सरकारी कार्यालय और '[[भूरी सिंह संग्रहालय|भूरीसिंह संग्रहालय]]' भी स्थित है। |
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− | स्वतंत्र चंबा राज्य की स्थापना छ्ठी शताब्दी में हुई थी और 1846 में ब्रिटिश भारत का हिस्सा बनने से पहले यह क्षेत्र विभिन्न कालों में [[कश्मीर]], [[मुग़ल]] और [[सिक्ख]] शासन के अंतर्गत रहा। [[1948]] में इसे हिमाचल प्रदेश में मिला लिया गया। | + | स्वतंत्र चंबा राज्य की स्थापना छ्ठी [[शताब्दी]] में हुई थी और 1846 ई. में ब्रिटिश भारत का हिस्सा बनने से पहले यह क्षेत्र विभिन्न कालों में [[कश्मीर]], [[मुग़ल]] और [[सिक्ख]] शासन के अंतर्गत रहा। [[1948]] में इसे [[हिमाचल प्रदेश]] में मिला लिया गया। |
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− | [[वर्मन वंश]] की राजकुमारी चंपा के नाम पर हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में रावी नदी के किनारे बसे चंबा शहर को मंदिरों की नगरी, कलानगरी और मनोरम पर्यटन स्थल कहलाने का गौरव प्राप्त है। चंबा की राजधानी [[ब्रह्मपुर]] है। चंबा के संस्थापक साहिल वर्मा ने 820 ई. में इस शहर का नामकरण अपनी पुत्री चंपा के नाम पर | + | [[वर्मन वंश]] की राजकुमारी 'चंपा' के नाम पर हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में रावी नदी के किनारे बसे चंबा शहर को मंदिरों की नगरी, कलानगरी और मनोरम पर्यटन स्थल कहलाने का गौरव प्राप्त है। चंबा की राजधानी [[ब्रह्मपुर]] है। चंबा के संस्थापक साहिल वर्मा ने 820 ई. में इस शहर का नामकरण अपनी पुत्री चंपा के नाम पर किया था। साहिल वर्मा द्वारा निर्मित 'चमेसनी देवी का मन्दिर' ऐतिहासिक चौगान के पास आज भी विद्यमान है। [[वास्तुकला]] की दृष्टि से यह मन्दिर अद्वितीय है। |
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− | चंबा में भूरीसिंह नाम का एक संग्रहालय है, जहाँ चंबा घाटी की प्राचीन कला के विभिन्न पक्ष अपनी मूक, किंतु जीवंत कहानी को कहते प्रतीत होते हैं। यह संग्रहालय भारत के पाँच प्रमुख प्राचीन संग्रहालयों में से एक है। इस संग्रहालय का निर्माण [[1908]] ई. में चंबा नरेश भूरीसिंह ने डच विद्वान डॉ. फोगल की प्रेरणा से किया था। इस संग्रहालय में पाँच हज़ार से अधिक दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं। विश्व प्रसिद्ध चंबा रुमाल भी यहाँ की विरासत है। | + | चंबा में [[भूरी सिंह संग्रहालय|भूरीसिंह]] नाम का एक संग्रहालय है, जहाँ चंबा घाटी की प्राचीन कला के विभिन्न पक्ष अपनी मूक, किंतु जीवंत कहानी को कहते प्रतीत होते हैं। यह संग्रहालय [[भारत]] के पाँच प्रमुख प्राचीन संग्रहालयों में से एक है। इस संग्रहालय का निर्माण [[1908]] ई. में चंबा नरेश भूरीसिंह ने [[डच]] विद्वान डॉ. फोगल की प्रेरणा से किया था। इस संग्रहालय में पाँच हज़ार से अधिक दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं। विश्व प्रसिद्ध 'चंबा रुमाल' भी यहाँ की विरासत है। |
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09:05, 2 जनवरी 2015 का अवतरण
चंबा एक प्रसिद्ध नगर है, जो पश्चिमोत्तर हिमाचल प्रदेश राज्य, उत्तरी भारत में स्थित है। यह नगर दो पर्वत चोटियों के बीच रावी नदी द्वारा निर्मित ऊँचे टीले पर स्थित है। निचले टीले पर प्रसिद्ध चौगान है, जहाँ जन समारोह व उत्सव आयोजित किए जाते है। यहीं सरकारी कार्यालय और 'भूरीसिंह संग्रहालय' भी स्थित है।
स्थापना
स्वतंत्र चंबा राज्य की स्थापना छ्ठी शताब्दी में हुई थी और 1846 ई. में ब्रिटिश भारत का हिस्सा बनने से पहले यह क्षेत्र विभिन्न कालों में कश्मीर, मुग़ल और सिक्ख शासन के अंतर्गत रहा। 1948 में इसे हिमाचल प्रदेश में मिला लिया गया।
इतिहास
वर्मन वंश की राजकुमारी 'चंपा' के नाम पर हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में रावी नदी के किनारे बसे चंबा शहर को मंदिरों की नगरी, कलानगरी और मनोरम पर्यटन स्थल कहलाने का गौरव प्राप्त है। चंबा की राजधानी ब्रह्मपुर है। चंबा के संस्थापक साहिल वर्मा ने 820 ई. में इस शहर का नामकरण अपनी पुत्री चंपा के नाम पर किया था। साहिल वर्मा द्वारा निर्मित 'चमेसनी देवी का मन्दिर' ऐतिहासिक चौगान के पास आज भी विद्यमान है। वास्तुकला की दृष्टि से यह मन्दिर अद्वितीय है।
संग्रहालय
चंबा में भूरीसिंह नाम का एक संग्रहालय है, जहाँ चंबा घाटी की प्राचीन कला के विभिन्न पक्ष अपनी मूक, किंतु जीवंत कहानी को कहते प्रतीत होते हैं। यह संग्रहालय भारत के पाँच प्रमुख प्राचीन संग्रहालयों में से एक है। इस संग्रहालय का निर्माण 1908 ई. में चंबा नरेश भूरीसिंह ने डच विद्वान डॉ. फोगल की प्रेरणा से किया था। इस संग्रहालय में पाँच हज़ार से अधिक दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं। विश्व प्रसिद्ध 'चंबा रुमाल' भी यहाँ की विरासत है।
धार्मिक स्थल
लक्ष्मीनारायण मन्दिर समूह तो चंबा का सर्वप्रसिद्ध देवस्थल है। इस मन्दिर समूह में महाकाली, हनुमान, नंदीगण के मंदिरों के अलावा विष्णु एवं शिव के तीन-तीन मंदिर हैं। चंबा की प्राचीन लक्ष्मीनारायण की बैकुंठ मूर्ति में कश्मीरी तथा गुप्तकालीन तक्षण कला का अनूठा संगम है।
उद्योग और व्यापार
ऊँचे टीले पर आवासीय क्षेत्र हैं और अधिक ऊँची ढलानों पर भवन निर्माण सहित कुछ उद्योग हैं और यहाँ कृषि उत्पाद का सक्रिय व्यापार भी होता है। यह क्षेत्र 10वीं सदी के मंदिरों के लिए विख्यात है।
कृषि और खनिज
आसपास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था भी पूर्ण रूप से कृषि आधारित है और यहाम बड़े वनाच्छादित क्षेत्र भी है।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार चंबा नगर की कुल जनसंख्या 20,312 है।
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वीथिका
चंबा का एक दृश्य, हिमाचल प्रदेश
संबंधित लेख
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