"जमशेद जी जीजाभाई" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - " कदम " to " क़दम ")
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 13 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
+
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
{{tocright}}
+
|चित्र=Sir-Jamsedjee-Jejeebhoy-Bart-Stamp.jpg
'''जमशेद जी जीजाभाई''' अपने (जन्म [[15 जुलाई]], [[1883]] ई.) व्यवसाय से अत्यंत धनी बने दानवीर थे। जमशेद जी जीजाभाई का सबसे अधिक नाम उनकी दानशीलता के कारण है।
+
|चित्र का नाम=
 
+
|पूरा नाम=जमशेद जी जीजाभाई
 +
|अन्य नाम=
 +
|जन्म=[[15 जुलाई]], 1783
 +
|जन्म भूमि=बॉम्बे (वर्तमान [[मुंबई]]])
 +
|मृत्यु=[[14 अप्रैल]], [[1859]]
 +
|मृत्यु स्थान=
 +
|अभिभावक=[[माता]]- जीवीबाई कोवासजी जीजाभाई
 +
[[पिता]]- मेरवानजी मैकजी जीजाभाई
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|गुरु=
 +
|कर्म भूमि=[[भारत]]
 +
|कर्म-क्षेत्र=व्यापार
 +
|मुख्य रचनाएँ=
 +
|विषय=
 +
|खोज=
 +
|भाषा=
 +
|शिक्षा=
 +
|विद्यालय=
 +
|पुरस्कार-उपाधि=
 +
|प्रसिद्धि=उद्योगपति और व्यापारी
 +
|विशेष योगदान=
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|शीर्षक 3=
 +
|पाठ 3=
 +
|शीर्षक 4=
 +
|पाठ 4=
 +
|शीर्षक 5=
 +
|पाठ 5=
 +
|अन्य जानकारी=जमशेद जी जीजाभाई का सबसे अधिक नाम उनकी दानशीलता के कारण है। उनकी आर्थिक सहायता से स्थापित संस्थाओं में प्रमुख हैं- जे. जे. अस्पताल, जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट, पूना बांध और जल संस्थान।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}'''जमशेद जी जीजाभाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jamsetjee Jejeebhoy'', जन्म: [[15 जुलाई]], [[1783]] ई.; मृत्यु: [[14 अप्रैल]], [[1859]]) भारतीय-पारसी व्यापारी और परोपकारी थे, जो बाद में एक ब्रिटिश शूरवीर और बैरोनेट थे। उन्होंने [[चीन]] के साथ [[कपास]] और अफ़ीम के व्यापार में सफलता पाई। वह अपने व्यवसाय से अत्यंत धनी बने दानवीर थे। जमशेद जी जीजाभाई का सबसे अधिक नाम उनकी दानशीलता के कारण है।
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
जमशेद जी जीजाभाई का जन्म 15 जुलाई, 1883 ई. को एक गरीब परिवार में [[मुंबई]] में हुआ था। आर्थिक तंगी के कारण वे शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके। 12 वर्ष की छोटी उम्र में अपने मामा के साथु पुरानी बोतलें बेचने के धंधे में लग गए थे। कुछ दिन बाद ममेरी बहन से उनका विवाह भी हो गया। 1899 में माता-पिता का देहांत हो जाने से परिवार का पूरा भार जीजाभाई ऊपर आ गया।
+
जमशेद जी जीजाभाई का जन्म 15 जुलाई, 1783 ई. को एक ग़रीब [[परिवार]] में [[मुंबई]] में हुआ था। आर्थिक तंगी के कारण वे शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके। 12 [[वर्ष]] की छोटी उम्र में अपने मामा के साथ पुरानी बोतलें बेचने के धंधे में लग गए थे। कुछ दिन बाद ममेरी बहन से उनका [[विवाह]] भी हो गया। [[1899]] में [[माता]]-[[पिता]] का देहांत हो जाने से परिवार का पूरा भार जीजाभाई ऊपर आ गया।
 
 
 
==व्यवसाय की शुरुआत==
 
==व्यवसाय की शुरुआत==
उनमें बड़ी व्यवसाय-बुद्धि थी। व्यवहार से उन्होंने साधारण हिसाब रखना और कामचलाऊ [[अंग्रेजी]] सीख ली थी। उन्होंने अपने व्यापार का [[भारत]] के बाहर विस्तार किया। भाड़े के जहाजों में [[चीन]] के साथ वस्तुओं का क्रय-विक्रय करने लगे। 20 वर्ष के थे तभी उन्होंने पहली चीन यात्रा की। कुल मिलाकर वे पांच बार चीन गए। कभी ये यात्राएं खतरनाक भी सिद्ध हुईं। एक बार [[पुर्तगाल|पुर्तगालियों]] ने इनका जहाज पकड़कर लूट लिया और इन्हें केप ऑफ गुडहोप के पास छोड़ दिया था। किसी तरह मुंबई आकर इन्होंने फिर अपने को संभाला और [[1914]] में अपना जहाज खरीदने के बाद जहाजी बेड़ा बढ़ाने और निरंतर उन्नति की दिशा में बढ़ते गए।  
+
जमशेद जी में बड़ी व्यवसाय-बुद्धि थी। व्यवहार से जमशेद जी जीजाभाई ने साधारण हिसाब रखना और कामचलाऊ [[अंग्रेज़ी]] सीख ली थी। उन्होंने अपने व्यापार का [[भारत]] के बाहर विस्तार किया। भाड़े के जहाज़ों में [[चीन]] के साथ वस्तुओं का क्रय-विक्रय करने लगे। 20 वर्ष के थे, तभी उन्होंने पहली [[चीन]] यात्रा की। कुल मिलाकर वे पांच बार चीन गए। कभी ये यात्राएं खतरनाक भी सिद्ध हुईं। एक बार [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ालियों]] ने उनका जहाज़ पकड़कर लूट लिया और उन्हें केप ऑफ़ गुडहोप के पास छोड़ दिया था। किसी तरह मुंबई आकर उन्होंने फिर अपने को संभाला और [[1914]] में अपना जहाज़ ख़रीदने के बाद जहाज़ी बेड़ा बढ़ाने और निरंतर उन्नति की दिशा में बढ़ते गए।
 +
==योगदान==
 +
[[अकाल|दुर्भिक्ष]] सहायता, कुओं और बांधों का निर्माण, सड़कों और पुलों का निर्माण, औषधालय स्थापना, शिक्षा-संस्थाएं, पशु-शालाएं, अनाथालय आदि सभी के लिए उन्होंने धन दिया। उनकी आर्थिक सहायता से स्थापित संस्थाओं में प्रमुख हैं-
 +
#जे. जे. अस्पताल
 +
#जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट
 +
#पूना बांध और जल संस्थान
  
==निर्माण==
 
जमशेद जी जीजाभाई का सबसे अधिक नाम उनकी दानशीलता के कारण है। दुर्भिक्ष सहायता, कुओं और बांधों का निर्माण, सड़कों और पुलों का निर्माण, औषधालय स्थापना, शिक्षा-संस्थाएं, पशु-शालाएं, अनाथालय आदि सभी के लिए उन्होंने धन दिया। उनकी आर्थिक सहायता से स्थापित संस्थाओं में प्रमुख हैं- जे. जे. अस्पताल, जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट, पूना बांध और जल संस्थान। ‘मुंबई समाचार’ और ‘मुंबई टाइम्स’ (अब का टाइम्स ऑफ इंडिया) जैसे पत्रों को भी सहायता मिली। अनुमानतः उस समय उन्होंने 30 लाख रुपये से अधिक का दान दिया था।
 
  
 +
‘मुंबई समाचार’ और ‘मुंबई टाइम्स’ (अब का टाइम्स ऑफ़ इंडिया) जैसे [[समाचार पत्र|पत्रों]] को भी सहायता मिली। अनुमानतः उस समय उन्होंने 30 लाख [[रुपया|रुपये]] से अधिक का दान दिया था।
 
==सम्मान==
 
==सम्मान==
महारानी विक्टोरिया द्वारा सम्मानित होने वाले प्रथम भारतीय थे। सांप्रदायिक भेदभाव से दूर रहने वाले जीजाभाई ने महिलाओं की स्थिति सुधारने तथा पारसी समाज की बुराइयां दूर करने के लिए भी अनेक क़दम उठाए।
+
[[महारानी विक्टोरिया]] द्वारा सम्मानित होने वाले प्रथम भारतीय थे। सांप्रदायिक भेदभाव से दूर रहने वाले जीजाभाई ने महिलाओं की स्थिति सुधारने तथा [[पारसी|पारसी समाज]] की बुराइयां दूर करने के लिए भी अनेक क़दम उठाए।
 
 
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{उद्योगपति और व्यापारी}}
 
{{उद्योगपति और व्यापारी}}
[[Category:उद्योगपति और व्यापारी]]  
+
[[Category:उद्योगपति और व्यापारी]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]  
 
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]  
 
[[Category:चरित कोश]]
 
[[Category:नया पन्ना अप्रॅल-2012]]
 
 
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

09:38, 16 मार्च 2024 के समय का अवतरण

जमशेद जी जीजाभाई
Sir-Jamsedjee-Jejeebhoy-Bart-Stamp.jpg
पूरा नाम जमशेद जी जीजाभाई
जन्म 15 जुलाई, 1783
जन्म भूमि बॉम्बे (वर्तमान मुंबई])
मृत्यु 14 अप्रैल, 1859
अभिभावक माता- जीवीबाई कोवासजी जीजाभाई

पिता- मेरवानजी मैकजी जीजाभाई

कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र व्यापार
प्रसिद्धि उद्योगपति और व्यापारी
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी जमशेद जी जीजाभाई का सबसे अधिक नाम उनकी दानशीलता के कारण है। उनकी आर्थिक सहायता से स्थापित संस्थाओं में प्रमुख हैं- जे. जे. अस्पताल, जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट, पूना बांध और जल संस्थान।

जमशेद जी जीजाभाई (अंग्रेज़ी: Jamsetjee Jejeebhoy, जन्म: 15 जुलाई, 1783 ई.; मृत्यु: 14 अप्रैल, 1859) भारतीय-पारसी व्यापारी और परोपकारी थे, जो बाद में एक ब्रिटिश शूरवीर और बैरोनेट थे। उन्होंने चीन के साथ कपास और अफ़ीम के व्यापार में सफलता पाई। वह अपने व्यवसाय से अत्यंत धनी बने दानवीर थे। जमशेद जी जीजाभाई का सबसे अधिक नाम उनकी दानशीलता के कारण है।

जीवन परिचय

जमशेद जी जीजाभाई का जन्म 15 जुलाई, 1783 ई. को एक ग़रीब परिवार में मुंबई में हुआ था। आर्थिक तंगी के कारण वे शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके। 12 वर्ष की छोटी उम्र में अपने मामा के साथ पुरानी बोतलें बेचने के धंधे में लग गए थे। कुछ दिन बाद ममेरी बहन से उनका विवाह भी हो गया। 1899 में माता-पिता का देहांत हो जाने से परिवार का पूरा भार जीजाभाई ऊपर आ गया।

व्यवसाय की शुरुआत

जमशेद जी में बड़ी व्यवसाय-बुद्धि थी। व्यवहार से जमशेद जी जीजाभाई ने साधारण हिसाब रखना और कामचलाऊ अंग्रेज़ी सीख ली थी। उन्होंने अपने व्यापार का भारत के बाहर विस्तार किया। भाड़े के जहाज़ों में चीन के साथ वस्तुओं का क्रय-विक्रय करने लगे। 20 वर्ष के थे, तभी उन्होंने पहली चीन यात्रा की। कुल मिलाकर वे पांच बार चीन गए। कभी ये यात्राएं खतरनाक भी सिद्ध हुईं। एक बार पुर्तग़ालियों ने उनका जहाज़ पकड़कर लूट लिया और उन्हें केप ऑफ़ गुडहोप के पास छोड़ दिया था। किसी तरह मुंबई आकर उन्होंने फिर अपने को संभाला और 1914 में अपना जहाज़ ख़रीदने के बाद जहाज़ी बेड़ा बढ़ाने और निरंतर उन्नति की दिशा में बढ़ते गए।

योगदान

दुर्भिक्ष सहायता, कुओं और बांधों का निर्माण, सड़कों और पुलों का निर्माण, औषधालय स्थापना, शिक्षा-संस्थाएं, पशु-शालाएं, अनाथालय आदि सभी के लिए उन्होंने धन दिया। उनकी आर्थिक सहायता से स्थापित संस्थाओं में प्रमुख हैं-

  1. जे. जे. अस्पताल
  2. जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट
  3. पूना बांध और जल संस्थान


‘मुंबई समाचार’ और ‘मुंबई टाइम्स’ (अब का टाइम्स ऑफ़ इंडिया) जैसे पत्रों को भी सहायता मिली। अनुमानतः उस समय उन्होंने 30 लाख रुपये से अधिक का दान दिया था।

सम्मान

महारानी विक्टोरिया द्वारा सम्मानित होने वाले प्रथम भारतीय थे। सांप्रदायिक भेदभाव से दूर रहने वाले जीजाभाई ने महिलाओं की स्थिति सुधारने तथा पारसी समाज की बुराइयां दूर करने के लिए भी अनेक क़दम उठाए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख