भारत का संविधान- छठी अनुसूची

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(अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1)

(असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों) के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबंध[1]

1. स्वशासी जिले और स्वशासी प्रदेश[2]

(1) इस पैरा के उपबंधों के अधीन रहते हुए, इस अनुसूची के पैरा 20 से संलग्न सारणी के [3][ [4] [ भाग 1, भाग 2 और भाग 2क] की प्रत्येक मद के और भाग 3] के जनजाति क्षेत्रों का एक स्वशासी जिला होगा।
(2) यदि किसी स्वशासी जिले में भिन्न-भिन्न अनुसूचित जनजातियां हैं तो राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रों को, जिनमें वे बसे हुए हैं, स्वशासी प्रदेशों में विभाजित कर सकेगा।
(3) राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा,--
(क) उक्त सारणी के [5] [किसी भाग] में किसी क्षेत्र को सम्मिलित कर सकेगा;
(ख) उक्त सारणी के [6] [किसी भाग] में किसी क्षेत्र को अप वर्जित कर सकेगा;
(ग) नया स्वशासी जिला बना सकेगा;
(घ) किसी स्वशासी जिले का क्षेत्र बढ़ा सकेगा;
(ङ) किसी स्वशासी जिले का क्षेत्र घटा सकेगा;
(च) दो या अधिक स्वशासी जिलों या उनके भागों को मिला सकेगा जिससे एक स्वशासी जिला बन सके;
[7] [(चच) किसी स्वशासी जिले के नाम् में परिवर्तन कर सकेगा; ]
(छ) किसी स्वशासी जिले की सीमाएं परिनिश्चित कर सकेगा; परंतु राज्यपाल इस उपपैरा के खंड (ग), खंड (घ), खंड (ङ) और खंड (च) के अधीन कोई आदेश इस अनुसूची के पैरा 14 के उपपैरा (1) के अधीन नियुक्त आयोग के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात ही करेगा, अन्यथा नहीं;
[8] [परंतु यह और कि राज्यपाल द्वारा इस उपपैरा के अधीन किए गए आदेश में ऐसे आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध (जिनके अंतगर्त पैरा 20 का और उक्त सारणी के किसी भाग की किसी मद का कोई संशोधन
है) अंतर्विष्ट हो सकेंगे जो राज्यपाल को उस आदेश के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक प्रतीत हों।

2. जिला परिषदों और प्रादेशिक परिषदों का गठन[9][10]

[11] [(1) प्रत्येक स्वशासी जिले के लिए एक जिलासपरिषद् होगी जो तीस से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से चार से अनधिक व्यक्ति राज्यपाल द्वारा नामनिर्देशित किए जाएंगे और शेष वयस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित किए जाएंगे।
(2) इस अनुसूची के पैरा 1 के उपपौरा (2) के अधीन स्वशासी प्रदेश के रूप में गठित प्रत्येक क्षेत्र के लिए पृथक प्रादेशिक परिषद होगी।
(3) प्रत्येक जिला परिषद् और प्रत्येक प्रादेशिक परिषद क्रमश: “(जिले का नाम) की जिला परिषद्” और “(प्रदेश का नाम) की प्रादेशिक परिषद” नामक निगमित निकाय होगी, उसका शाश्वत उत्तराधिकार होगा और उसकी सामान्य मुद्रा होगी और उक्त नाम से वह वाद लाएगी और उस पर वाद लाया जाएगा।
(4) इस अनुसूची के उपबंधों के अधीन रहते हुए, स्वशासी जिले का प्रशासन ऐसे जिले की जिला परिषद में वहां तक निहित होगा जहां तक वह इस अनूसूची के अधीन ऐसे जिले के भीतर किसी प्रादेशिक परिषद में निहित नहीं हैं और स्वशासी प्रदेश का प्रशासन ऐसे प्रदेश की प्रादेशिक परिषद में निहित होगा ।
(5) प्रादेशिक परिषद वाले स्वशासी जिले में प्रादेशिक परिषद के प्राधिकारी के अधीन क्षेत्रों के संबंध में जिला परिषद को, इस अनूसूची द्वारा ऐसे क्षेत्रों के संबंध में प्रदत्त शक्तियों के अतिरिक्त के केवल ऐसी शक्तियाँ होंगी जो उसे प्रादेशिक परिषद द्वारा प्रत्यायोजित की जाएं ।
(6) राज्यपाल, संबंधित स्वशासी जिलों या प्रदेशों के भीतर विद्यमान जनजाति परिषदों या अन्य प्रतिनिधि जनजाति संगठनों से परामर्श करके, जिला परिषदों और प्रादेशिक परिषदों के प्रथम गठन के लिए नियम बनाएगा और ऐसे नियमों में निम्नलिखित के लिए उपबंध किए जाएंगे, अर्थात् :--
(क) जिला परिषदों और प्रादेशिक परिषदों की संरचना तथा उनमें स्थानों का आबंटन;
(ख) उन परिषदों के लिए निर्वाचनों के प्रयोजन के लिए प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों का परिसीमन;
(ग) ऐसे नि र्वाचनों में मतदान के लिए अर्हताएं
और उनके लिए नि र्वाचक नामा वलियों की तैयारी;
(घ) ऐसे निर्वाचनों में ऐसी परिषदों के सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हताएं ;
(ङ) [12] [प्रादेशिक परिषदों] के सदस्यों की पदावधि;
(च) ऐसी परिषदों के लिए निर्वाचन या नामनिर्देशन से संबंधित या संसक्त कोई अन्य विषय;
(छ) जिला परिषदों और प्रादेशिक परिषदों की प्रक्रिया और
उनका कार्य संचालन [13] [ (जिसके अंतर्गत किसी रिक्ति के होते हुए भी कार्य करने की शक्ति है)];
(ज) जिला और प्रादेशिक परिषदों के अधिकारियों और कर्मचारिवृद की नियुक्ति।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 34) की धारा 39 द्वारा कुछ शब्दों के स्थान पर (20-2-1987 से) प्रतिस्थापित ।
  2. संविधान (छठी अनुसूची) संशोधन अधिनियम, 2003 (2003 का 44) की धारा 2 द्वारा असम में लागू होने के लिए पैरा 1 में उपपैरा (2) के पश्चात् निम्नलिखित परंतुक अंत:स्थापित कर संशोधित किया गया, अर्थात् "परन्तु इस उपपैरा की कोई बात, बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिले को लागू नहीं होगी।"
  3. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 (i) और आठ वीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) 'भाग क' के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  4. संविधान (उनचासवां संशोधन) अधिनियम, 1984 की धारा 4 द्वारा (1-4-1985 से) "भाग 1 और भाग 2" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  5. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 (i) और आठ वीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) 'भाग क' के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  6. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 (i) और आठ वीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) 'भाग क' के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  7. आसाम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 (1969 का 55) की धारा 74 और चौथी अनुसूची द्वारा (2-4-1970 से) अंत:स्थापित।
  8. पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 (i) और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) अंत:स्थापित
  9. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 2003 (2003 का 44) की धारा 2 द्वारा असम में लागू होने के लिए पैरा 2 में उपपैरा (1) के पश्चात् तथा उपपैरा (3) में परन्तुक के पश्चात् क्रमश: निम्नलिखित परंतुक अंत:स्थापित कर संशोधित किया गया, अर्थात्: परंतु यह कि बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद छियालीस से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से चालीस सदस्यों को व्यस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित किया जाएगा, जिनमें से तीस अनुसूचित जनजातियों के लिए, पांच गैर जनजातीय समुदायों के लिए, पांच सभी समुदायों के लिए आरक्षित होंगे तथा शेष छह राज्यपाल द्वारा नामनिर्देशित किए जाएंगे जिनके अधिकार और विशेषाधिकार, जिनके अंतर्गत मत देने के अधिकार भी हैं, वही होंगे जो अन्य सदस्यों के हैं, बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिले के उन समुदायों में से, जिनका प्रतिनिधित्व नहीं है, कम से कम दो महिलाएं होंगी”। “परंतु यह और कि बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिले के लिए गठित जिला परिषद् बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद् कहलाएगी।“
  10. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1995 (1995 का 42) की धारा 2 द्वारा असम में लागू होने के लिए पैरा 2 में उपपैरा (3) के पश्चात् निम्नलिखित परंतुक अंत:स्थापित किया गया, अर्थात् :-- “परंतु उत्तरी कछार पहाड़ी जिले के लिए गठित जिला परिषद, उत्तरी कछार प हाड़ी स्वशासी परिषद् कहलाएगी और कार्बी आलांग जिले के लिए गठित जिला परिषद, कार्बी आलांग स्वशासी परिषद् कहलाएगी।“
  11. आसाम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 (1969 का 55) की धारा 74 और चौथी अनुसूची द्वारा (2-4-1970 से) उपपैरा (1) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  12. आसाम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 (1969 का 55) की धारा 74 और चौथी अनुसूची द्वारा (2-4-1970 से) ऐसी परिषदों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  13. आसाम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 (1969 का 55) की धारा 74 और चौथी अनुसूची द्वारा (2-4-1970 से) अंत:स्थापित

बाहरी कड़ियाँ

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