भारत का संविधान- भाग V अध्याय II कार्यपालिका
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राज्यपाल
- 153. राज्यों के राज्यपाल-
प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा, परन्तु इस अनुच्छेद की कोई बात एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल नियुक्त किए जाने से निवारित नहीं करेगी।[1]
- 154. राज्य की कार्यपालिका शक्ति-
- (1) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
- (2) इस अनुच्छेद की कोई बात-
- (क) किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी अन्य प्राधिकारी को प्रदान किए गए कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जाएगी, या
- (ख) राज्यपाल के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को विधि द्वारा कृत्य प्रदान करने से संसद या राज्य के विधान-मंडल को निवारित नहीं करेगी।
- (क) किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी अन्य प्राधिकारी को प्रदान किए गए कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जाएगी, या
- 155. राज्यपाल की नियुक्ति-
राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा।
- 156. राज्यपाल की पदावधि-
- (1) राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करेगा।
- (2) राज्यपाल, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।
- (3) इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्यपाल अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा, परन्तु राज्यपाल, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
- 157. राज्यपाल नियुक्त होने के लिए अर्हताएँ-
कोई व्यक्ति राज्यपाल नियुक्त होने का पात्र तभी होगा, जब वह भारत का नागरिक है और पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है।
- 158. राज्यपाल के पद के लिए शर्तें-
- (1) राज्यपाल संसद के किसी सदन का या पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या ऐसे किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य राज्यपाल नियुक्त हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान राज्यपाल के रूंप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।
- (2) राज्यपाल अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा।
- (3) राज्यपाल, बिना किराया दिए, अपने शासकीय निवासों के उपयोग का हकदार होगा, अब ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का भी, जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है, तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा।
- (3क) जहाँ एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है, वहाँ उस राज्यपाल को संदेय उपलब्धियाँ और भत्ते उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आबंटित किए जाएंगे, जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करे।[2]
- (4) राज्यपाल की उपलब्धियाँ और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जाएंगे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 6 द्वारा जोड़ा गया।
- ↑ संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 7 द्वारा अंत:स्थापित।
बाहरी कड़ियाँ
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