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*इसे मध्यदेश भी कहते थे।  
 
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*यहाँ बोली जानेवाली भाषा शौरसेनी कहलाती थी।  
 
*यहाँ बोली जानेवाली भाषा शौरसेनी कहलाती थी।  
*अन्य क्षेत्रीय रूप थे- पूर्वदेश की मागधी अथवा [[अर्ध मागधी]] और पश्चिमौत्तर प्रदेश की पैशाची।
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*अन्य क्षेत्रीय रूप थे- पूर्वदेश की मागधी अथवा [[अर्ध मागधी]] और पश्चिमौत्तर प्रदेश की [[पैशाची भाषा|पैशाची]]।
 
*[[अशोक]] के समय के प्राचीन लेखों में इन्हीं प्राकृतों, विशेषत: शौरसेनी का प्रयोग पाया जाता है।
 
*[[अशोक]] के समय के प्राचीन लेखों में इन्हीं प्राकृतों, विशेषत: शौरसेनी का प्रयोग पाया जाता है।
  

10:01, 4 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

  • 600 ई.पू. से लेकर 1000 ई. सन् तक उत्तर भारत में जो भाषाएं बोली जाती थीं, उनका सामान्य नाम प्राकृत था।
  • किंतु प्रदेश-भेद से इनके अलग-अलग नाम पड़े।
  • उस समय मथुरा और उसके आसपास का क्षेत्र शूरसेन कहलाता था।
  • इसे मध्यदेश भी कहते थे।
  • यहाँ बोली जानेवाली भाषा शौरसेनी कहलाती थी।
  • अन्य क्षेत्रीय रूप थे- पूर्वदेश की मागधी अथवा अर्ध मागधी और पश्चिमौत्तर प्रदेश की पैशाची
  • अशोक के समय के प्राचीन लेखों में इन्हीं प्राकृतों, विशेषत: शौरसेनी का प्रयोग पाया जाता है।


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