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==केंद्रीय हिंदी संस्थान==
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[[चित्र:Hindi-Sansthan-Logo.jpg|thumb|केंद्रीय हिंदी संस्थान प्रतीक चिन्ह]]
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|चित्र=Hindi-sansthan-logo.png
[[भारत]] सरकार के 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय'  के अधीन 'केंद्रीय हिंदी संस्थान'  एक उच्चतर शैक्षिक और शोध संस्थान है। संविधान के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार [[हिंदी भाषा|हिंदी]] को समर्थ और सक्रिय बनाने के लिए अनेक शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यवहारिक अनुसंधानों के द्वारा हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री आदि के  निर्माण को संगठित और परिपक्व रूप देने के लिए सन 1961 में भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' की स्थापना [[उत्तर प्रदेश]] के [[आगरा]] नगर में की थी।
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|चित्र का नाम=केंद्रीय हिन्दी संस्थान प्रतीक चिह्न
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-1.jpg|thumb|250px|left|केंद्रीय हिंदी संस्थान (मुख्यालय) में अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों का विशेष पाठ्यक्रम]]
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|प्रकार=विश्व में हिंदी शिक्षा, प्रचार-प्रसार एवं प्रकाशन
हिंदी संस्थान का प्रमुख कार्य [[हिंदी भाषा]] से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना, शोध कार्य कराना और साथ ही हिन्दी के प्रचार व प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में हिंदी संस्थान का प्रमुख कार्य 'अहिंदी भाषी क्षेत्रों' के लिए योग्य, सक्षम और प्रभावकारी हिंदी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करना था, किंतु बाद में हिंदी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने दृष्टिकोण और कार्य क्षेत्र को विस्तार दिया, जिसके अंतर्गत हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषा-परक शोध, भाषा विज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ कर दिया और साथ ही विविध स्तरों के शैक्षिक पाठ्यक्रम, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ आदि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया गया।
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|उद्योग=
 
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|उत्तराधिकारी=
इस प्रकार के विस्तृत दृष्टिकोण और कार्यक्रमों के आयोजन से हिंदी संस्थान का कार्यक्षेत्र अत्यधिक विस्तृत और विशाल हो गया। इन सभी कार्यक्रमों के कारण हिंदी संस्थान ने केवल भारत में ही नहीं वरन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति और मान्यता प्राप्त की।
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|स्थापना=[[19 मार्च]], [[1960]] ई. को [[भारत सरकार]] के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने एक स्वायत्तशासी संस्था 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल' का गठन किया और [[1 नवम्बर]] [[1960]] को इस संस्थान का [[लखनऊ]] में पंजीकरण करवाया गया।
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-6.jpg|thumb|250px|केंद्रीय हिंदी संस्थान पुस्तकालय]]  
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|संस्थापक=मानव संसाधन विकास मंत्रालय (तत्कालीन शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय), भारत सरकार
==हिंदी संस्थान की स्थापना==
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|मुख्यालय=[[हिन्दी संस्थान आगरा|आगरा]]
हिंदी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप को समान स्तर का बनाने के लिए और साथ ही पूरे [[भारत]] में हिंदी भाषा के शिक्षण को सबल आधार देने के उद्देश्य से 19 मार्च, 1960 ई0 को भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने एक स्वायत्तशासी संस्था 'केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल' का गठन किया और 1 नवम्बर 1960 को इस संस्थान का [[लखनऊ]] में पंजीकरण करवाया गया।  
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|शाखाएँ=[[हिन्दी संस्थान, आगरा|आगरा मुख्यालय]] के अतिरिक्त आठ शाखाएँ हैं जो [[दिल्ली]], [[हैदराबाद]], [[गुवाहाटी]], [[शिलांग]], [[मैसूर]], दीमापुर, [[भुवनेश्वर]] और [[अहमदाबाद]] में हैं।
==केंद्रीय हिंदी संस्थान==
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|प्रमुख लोग=अध्यक्ष- [[स्मृति ईरानी|श्रीमती स्मृति ईरानी]], उपाध्यक्ष- डॉ. कमल किशोर गोयनका, निदेशक- प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय<ref>[http://khsindia.org/index.php?lang=hi आधिकारिक वेबसाइट]</ref>
भारत सरकार द्वारा 'केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल' को 'अखिल भारतीय हिंदी प्रशिक्षण महाविद्यालय' को संचालित करने का  पूर्ण दायित्व सौंपा गया। 1 जनवरी, 1963 को अखिल भारतीय हिंदी प्रशिक्षण महाविद्यालय का नाम बदल कर 'केंद्रीय हिंदी शिक्षण महाविद्यालय' कर दिया गया। बाद में  29 अक्टूबर, 1963 को संपन्न परिषद की गोष्ठी में केंद्रीय हिंदी शिक्षण महाविद्यालय नाम भी बदलकर 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' कर दिया गया।
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|उत्पादन=
केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय [[आगरा]] में है। मुख्यालय को मिलाकर इसके नौ केंद्र हैं -  
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|आय=
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-7.jpg|thumb|250px|हिन्दी सेवी सम्मान समारोह 2007, केंद्रीय हिंदी संस्थान]]
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|कर्मचारी=
#[[हिंदी संस्थान आगरा]]
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|प्रसिद्धि=
#[[हिंदी संस्थान दिल्ली]]  
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|सहायक=
#[[हिंदी संस्थान हैदराबाद]]  
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|वेबसाइट=[http://www.khsindia.org केंद्रीय हिंदी संस्थान]
#[[हिंदी संस्थान गुवाहाटी]]  
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|संबंधित लेख=[[हिन्दी संस्थान आगरा]], [[हिन्दी संस्थान दिल्ली]], [[हिन्दी संस्थान हैदराबाद]], [[हिन्दी संस्थान गुवाहाटी]], [[हिन्दी संस्थान शिलांग]], [[हिन्दी संस्थान मैसूर]], [[हिन्दी संस्थान दीमापुर]], [[हिन्दी संस्थान भुवनेश्वर]], [[हिन्दी संस्थान अहमदाबाद]]
#[[हिंदी संस्थान शिलांग]],
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|शीर्षक 1=
#[[हिंदी संस्थान मैसूर]],
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#[[हिंदी संस्थान दीमापुर]],
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|अन्य जानकारी=हिन्दी संस्थान का प्रमुख कार्य [[हिन्दी भाषा]] से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना, शोध कार्य कराना और साथ ही हिन्दी के प्रचार व प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है।
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'''हिन्दी संस्थान''' अथवा '''केंद्रीय हिन्दी संस्थान''' [[भारत सरकार]] के 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय'  के अधीन एक उच्चतर शैक्षिक और शोध संस्थान है। [[संविधान]] के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार [[हिन्दी भाषा|हिन्दी]] को समर्थ और सक्रिय बनाने के लिए अनेक शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक अनुसंधानों के द्वारा हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिन्दी भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री आदि के  निर्माण को संगठित और परिपक्व रूप देने के लिए सन् 1961 में भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने 'केंद्रीय हिन्दी संस्थान' की स्थापना [[उत्तर प्रदेश]] के [[आगरा]] नगर में की थी।
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-1.jpg|thumb|250px|left|केंद्रीय हिन्दी संस्थान (मुख्यालय) में अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों का विशेष पाठ्यक्रम]]
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हिन्दी संस्थान का प्रमुख कार्य [[हिन्दी भाषा]] से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना, शोध कार्य कराना और साथ ही हिन्दी के प्रचार व प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में हिन्दी संस्थान का प्रमुख कार्य 'अहिन्दी भाषी क्षेत्रों' के लिए योग्य, सक्षम और प्रभावकारी हिन्दी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करना था, किंतु बाद में हिन्दी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने दृष्टिकोण और कार्य क्षेत्र को विस्तार दिया, जिसके अंतर्गत हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिन्दी भाषा-परक शोध, भाषा विज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ कर दिया और साथ ही विविध स्तरों के शैक्षिक पाठ्यक्रम, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ आदि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया गया। इस प्रकार के विस्तृत दृष्टिकोण और कार्यक्रमों के आयोजन से हिन्दी संस्थान का कार्यक्षेत्र अत्यधिक विस्तृत और विशाल हो गया। इन सभी कार्यक्रमों के कारण हिन्दी संस्थान ने केवल भारत में ही नहीं वरन् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति और मान्यता प्राप्त की।
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-6.jpg|thumb|250px|केंद्रीय हिन्दी संस्थान पुस्तकालय]]  
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==हिन्दी संस्थान की स्थापना==
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हिन्दी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप को समान स्तर का बनाने के लिए और साथ ही पूरे [[भारत]] में हिन्दी भाषा के शिक्षण को सबल आधार देने के उद्देश्य से 19 मार्च, 1960 ई. को भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने एक स्वायत्तशासी संस्था 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल' का गठन किया और 1 नवम्बर 1960 को इस संस्थान का [[लखनऊ]] में पंजीकरण करवाया गया।  
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==केंद्रीय हिन्दी संस्थान की शाखाएँ==
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भारत सरकार द्वारा 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल' को 'अखिल भारतीय हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय' को संचालित करने का  पूर्ण दायित्व सौंपा गया। 1 जनवरी, 1963 को अखिल भारतीय हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय का नाम बदल कर 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण महाविद्यालय' कर दिया गया। बाद में  29 अक्टूबर, 1963 को संपन्न परिषद की गोष्ठी में केंद्रीय हिन्दी शिक्षण महाविद्यालय नाम भी बदलकर 'केंद्रीय हिन्दी संस्थान' कर दिया गया।
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केंद्रीय हिन्दी संस्थान का मुख्यालय [[आगरा]] में है। मुख्यालय को मिलाकर इसके नौ केंद्र हैं -  
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-7.jpg|thumb|250px|हिन्दी सेवी सम्मान समारोह 2007, केंद्रीय हिन्दी संस्थान]]
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#[[हिन्दी संस्थान आगरा]]
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#[[हिन्दी संस्थान दिल्ली]]  
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#[[हिन्दी संस्थान हैदराबाद]]  
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#[[हिन्दी संस्थान गुवाहाटी]]  
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#[[हिन्दी संस्थान शिलांग]]
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#[[हिन्दी संस्थान मैसूर]]
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#[[हिन्दी संस्थान दीमापुर]]
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#[[हिन्दी संस्थान भुवनेश्वर]]  
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#[[हिन्दी संस्थान अहमदाबाद]]।  
 
*भारत सरकार ने 'मंडल' के गठन के समय जो प्रमुख प्रकार्य निर्धारित किए थे उन्हें तब से आज तक सतत कार्यनिष्ठा से संपन्न किया जा रहा है।
 
*भारत सरकार ने 'मंडल' के गठन के समय जो प्रमुख प्रकार्य निर्धारित किए थे उन्हें तब से आज तक सतत कार्यनिष्ठा से संपन्न किया जा रहा है।
 
==मंडल के प्रमुख कार्य==
 
==मंडल के प्रमुख कार्य==
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-5.jpg|thumb|250px| केंद्रीय हिंदी संस्थान, [[हिंदी संस्थान दीमापुर|दीमापुर केंद्र]]]]
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-5.jpg|thumb|250px| केंद्रीय हिन्दी संस्थान, [[हिन्दी संस्थान दीमापुर|दीमापुर केंद्र]]]]
केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के निर्धारित प्रमुख कार्य हैं-
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केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल के निर्धारित प्रमुख कार्य हैं-
#हिंदी भाषा के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना ।
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#हिन्दी भाषा के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना ।
#हिंदीतर प्रदेशों के हिंदी अध्ययन कर्ताओं की समस्याओं को दूर करना।
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#हिन्दीतर प्रदेशों के हिन्दी अध्ययन कर्ताओं की समस्याओं को दूर करना।
#हिंदी शिक्षण में अनुसंधान के लिए अधिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाना।
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#हिन्दी शिक्षण में अनुसंधान के लिए अधिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाना।
#उच्चतर हिंदी भाषा, साहित्य और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी का तुलनात्मक भाषाशास्त्रीय अध्ययन और सुविधाओं को उपलब्ध करवाना।
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#उच्चतर हिन्दी भाषा, साहित्य और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ हिन्दी का तुलनात्मक भाषाशास्त्रीय अध्ययन और सुविधाओं को उपलब्ध करवाना।
#भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिंदी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप का विकास कराना और दिशा-निर्देशों के अनुसार हिंदी को अखिल भारतीय भाषा के रूप में विकसित करने के लिए कार्य करना।
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#भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिन्दी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप का विकास कराना और दिशा-निर्देशों के अनुसार हिन्दी को अखिल भारतीय भाषा के रूप में विकसित करने के लिए कार्य करना।
 
==शिक्षण-प्रशिक्षण==
 
==शिक्षण-प्रशिक्षण==
* हिंदीतर क्षेत्रों के हिंदी अध्यापकों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण ।
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* हिन्दीतर क्षेत्रों के हिन्दी अध्यापकों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण ।
* हिंदीतर क्षेत्रों के हिंदी अध्यापकों के लिए पत्राचार द्वारा (दूरस्थ) शिक्षण-प्रशिक्षण ।
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* हिन्दीतर क्षेत्रों के हिन्दी अध्यापकों के लिए पत्राचार द्वारा (दूरस्थ) शिक्षण-प्रशिक्षण ।
* विदेशी छात्रों के लिए द्वितीय एवं विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण ।  
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* विदेशी छात्रों के लिए द्वितीय एवं विदेशी भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण ।  
* अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार ।
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* अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी का प्रचार-प्रसार ।
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-12.jpg|thumb|left|250px|स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिंदी संस्थान]]
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-12.jpg|thumb|left|250px|स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिन्दी संस्थान]]
* सांध्यकालीन परास्नातकोत्तर अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, जनसंचार एवं हिंदी पत्रकारिता और अनुवाद विज्ञान पाठ्यक्रम।
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* सांध्यकालीन परास्नातकोत्तर अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, जनसंचार एवं हिन्दी [[पत्रकारिता]] और अनुवाद विज्ञान पाठ्यक्रम।
 
* नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम ।
 
* नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम ।
* हिंदीतर क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के सेवारत हिंदी अध्यापकों के लिए नवीकरण, उच्च नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम ।
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* हिन्दीतर क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के सेवारत हिन्दी अध्यापकों के लिए नवीकरण, उच्च नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम ।
* केंद्र/राज्य सरकार के तथा बैंकों आदि के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए नवीकरण, संवर्धनात्मक, कौशलपरक कार्यक्रम और कार्यालयीन हिंदी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम।
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* केंद्र/राज्य सरकार के तथा बैंकों आदि के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए नवीकरण, संवर्धनात्मक, कौशलपरक कार्यक्रम और कार्यालयीन हिन्दी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम।
* भाषा प्रयोगशाला एवं दृश्य - श्रव्य उपकरणों के माध्यम से हिंदी के उच्चारण का सुधारात्मक अभ्यास ।
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* भाषा प्रयोगशाला एवं दृश्य - श्रव्य उपकरणों के माध्यम से हिन्दी के उच्चारण का सुधारात्मक अभ्यास ।
* कंप्यूटर साधित हिंदी भाषा शिक्षण ।
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* कंप्यूटर साधित हिन्दी भाषा शिक्षण ।
 
==अन्य कार्य==
 
==अन्य कार्य==
 
* संगोष्ठी, कार्यगोष्ठी, विशेष व्याख्यान, प्रसार व्याख्यान माला आदि का आयोजन ।
 
* संगोष्ठी, कार्यगोष्ठी, विशेष व्याख्यान, प्रसार व्याख्यान माला आदि का आयोजन ।
 
* संस्थान द्वारा प्रणीत, संपादित एवं संकलित पाठ्य सामग्री, आलेख, पाठ्य  पुस्तकों आदि का प्रकाशन ।
 
* संस्थान द्वारा प्रणीत, संपादित एवं संकलित पाठ्य सामग्री, आलेख, पाठ्य  पुस्तकों आदि का प्रकाशन ।
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-9.jpg|thumb|250px|मुख्यालय में विदेशी विद्यार्थियों रंगोली की सज्जा, केंद्रीय हिंदी संस्थान]]
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-9.jpg|thumb|250px|मुख्यालय में विदेशी विद्यार्थियों रंगोली की सज्जा, केंद्रीय हिन्दी संस्थान]]
* हिंदी भाषा, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, तुलनात्मक साहित्य आदि से संबंधित शोधपूर्ण पुस्तक, पत्रिका का प्रकाशन ।
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* हिन्दी भाषा, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, तुलनात्मक साहित्य आदि से संबंधित शोधपूर्ण पुस्तक, पत्रिका का प्रकाशन ।
* हिंदी भाषा तथा साहित्य का अध्ययन - अध्यापन तथा अनुसंधान में सहायतार्थ समृद्ध पुस्तकालय ।  
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* हिन्दी भाषा तथा साहित्य का अध्ययन - अध्यापन तथा अनुसंधान में सहायतार्थ समृद्ध पुस्तकालय ।  
* हिंदी के प्रोत्साहन के लिए अखिल भारतीय प्रतियोगिताएँ।हिंदी सेवियों का सम्मान (हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार, शैक्षिक अनुसंधान, जनसंचार, विज्ञान आदि क्षेत्रों में कार्यरत हिंदी विद्वानों के लिए) ।
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* हिन्दी के प्रोत्साहन के लिए अखिल भारतीय प्रतियोगिताएँ। हिन्दी सेवियों का सम्मान (हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार, शैक्षिक अनुसंधान, जनसंचार, विज्ञान आदि क्षेत्रों में कार्यरत हिन्दी विद्वानों के लिए) ।
* समय - समय पर भारत सरकार द्वारा सौंपी जाने वाली हिंदी संबंधी परियोजनाएँ तथा राजभाषा विषयक अन्य कार्य।
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* समय - समय पर भारत सरकार द्वारा सौंपी जाने वाली हिन्दी संबंधी परियोजनाएँ तथा राजभाषा विषयक अन्य कार्य।
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-3.jpg|thumb|left|250px|केंद्रीय हिंदी संस्थान, [[हिंदी संस्थान भुवनेश्वर|भुवनेश्वर केंद्र]]]]
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-3.jpg|thumb|left|250px|केंद्रीय हिन्दी संस्थान, [[हिन्दी संस्थान भुवनेश्वर|भुवनेश्वर केंद्र]]]]
 
==मुख्यालय==
 
==मुख्यालय==
{{main|हिंदी संस्थान आगरा}}
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{{main|हिन्दी संस्थान आगरा}}
संविधान के अनुच्छेद 351 मे निहित दिशा निर्देश के अनुसार हिंदी को अपनी विविध भूमिकाएं निभाने मे समर्थ और सक्रिय बनाने के उद्देश्य से और विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक स्तरों पर सुनियोजित अनुसंधान द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री निर्माण आदि को विकसित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सन 1961 में 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' की स्थापना [[आगरा]] में की गई।
+
संविधान के अनुच्छेद 351 में निहित दिशा निर्देश के अनुसार हिन्दी को अपनी विविध भूमिकाएँ निभाने में समर्थ और सक्रिय बनाने के उद्देश्य से और विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक स्तरों पर सुनियोजित अनुसंधान द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री निर्माण आदि को विकसित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सन् 1961 में 'केंद्रीय हिन्दी संस्थान' की स्थापना [[आगरा]] में की गई।
 
 
 
==दिल्ली केंद्र==
 
==दिल्ली केंद्र==
{{main|हिंदी संस्थान दिल्ली}}
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{{main|हिन्दी संस्थान दिल्ली}}
दिल्ली केंद्र की स्थापना वर्ष 1970 में हुई। सर्वप्रथम राजभाषा क्रियान्वयन योजना के लिए केंद्रीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए गहन हिंदी शिक्षण कार्यक्रम और विदेशों में हिंदी प्रचार-प्रसार के अंतर्गत विदेशियों के लिए हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए। कार्याधिक्य के कारण वर्ष 1993 में विदेशियों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम की छात्रवृत्ति आधारित योजना आगरा मुख्यालय में स्थानांतरित कर दी गई।
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दिल्ली केंद्र की स्थापना वर्ष 1970 में हुई। सर्वप्रथम राजभाषा क्रियान्वयन योजना के लिए केंद्रीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए गहन हिन्दी शिक्षण कार्यक्रम और विदेशों में हिन्दी प्रचार-प्रसार के अंतर्गत विदेशियों के लिए हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए। कार्याधिक्य के कारण वर्ष 1993 में विदेशियों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम की छात्रवृत्ति आधारित योजना आगरा मुख्यालय में स्थानांतरित कर दी गई।
  
 
==हैदराबाद केंद्र==
 
==हैदराबाद केंद्र==
{{main|हिंदी संस्थान हैदराबाद}}
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{{main|हिन्दी संस्थान हैदराबाद}}
हैदराबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 1976 में हुई। शिक्षण-प्रशिक्षण  कार्यक्रमों के अंतर्गत यह केंद्र स्कूलों/कॉलेजों एवं स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं के हिंदी अध्यापकों के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसमें हिंदी अध्यापकों को हिंदी के वर्तमान परिवेश के अंतर्गत भाषाशिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराया जाता है। वर्तमान में हैदराबाद केंद्र का कार्यक्षेत्र [[आन्ध्र प्रदेश]], [[तमिलनाडु]], [[गोवा]], [[महाराष्ट्र]] एवं केंद्र शासित प्रदेश [[पुदुचेरी|पांडिचेरी]] एवं [[अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह]] हैं। [[हैदराबाद]] केंद्र पर हिंदी शिक्षण पारंगत पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है ।
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हैदराबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 1976 में हुई। शिक्षण-प्रशिक्षण  कार्यक्रमों के अंतर्गत यह केंद्र स्कूलों/कॉलेजों एवं स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाओं के हिन्दी अध्यापकों के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसमें हिन्दी अध्यापकों को हिन्दी के वर्तमान परिवेश के अंतर्गत भाषाशिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराया जाता है। वर्तमान में हैदराबाद केंद्र का कार्यक्षेत्र [[आन्ध्र प्रदेश]], [[तमिलनाडु]], [[गोवा]], [[महाराष्ट्र]] एवं केंद्र शासित प्रदेश [[पुदुचेरी|पांडिचेरी]] एवं [[अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह]] हैं। [[हैदराबाद]] केंद्र पर हिन्दी शिक्षण पारंगत पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है ।
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-10.jpg|thumb|250px|स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिंदी संस्थान]]
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-10.jpg|thumb|250px|स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिन्दी संस्थान]]
 
==गुवाहाटी केंद्र==  
 
==गुवाहाटी केंद्र==  
{{main|हिंदी संस्थान गुवाहाटी}}
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{{main|हिन्दी संस्थान गुवाहाटी}}
इस केंद्र की स्थापना वर्ष 1978 में हुई। इस केंद्र का उद्देश्य पूर्वांचल में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हिंदी के अध्यापकों एवं प्रचारकों के लिए हिंदी भाषा शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का संचालन करना है। इस केंद्र का कार्य क्षेत्र [[असम]], [[अरुणाचल प्रदेश]], [[सिक्किम]] एवं [[नागालैंड]] राज्य है । इस केंद्र में इस शैक्षिक वर्ष से  स्नातकोत्तर अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा के  अतिरिक्त 'हिंदी शिक्षण प्रवीण'  भी प्रारंभ किये गये हैं |
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इस केंद्र की स्थापना वर्ष 1978 में हुई। इस केंद्र का उद्देश्य पूर्वांचल में हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हिन्दी के अध्यापकों एवं प्रचारकों के लिए हिन्दी भाषा शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का संचालन करना है। इस केंद्र का कार्य क्षेत्र [[असम]], [[अरुणाचल प्रदेश]], [[सिक्किम]] एवं [[नागालैंड]] राज्य है । इस केंद्र में इस शैक्षिक वर्ष से  स्नातकोत्तर अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा के  अतिरिक्त 'हिन्दी शिक्षण प्रवीण'  भी प्रारंभ किये गये हैं |
  
 
==शिलांग केंद्र==
 
==शिलांग केंद्र==
{{main|हिंदी संस्थान शिलांग}}
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{{main|हिन्दी संस्थान शिलांग}}
इस केंद्र की स्थापना 1976 में हुई थी। 1978 में केंद्र गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। पुन: इसकी स्थापना वर्ष 1987 में की गई। हिंदी के प्रचार-प्रसार के अंतर्गत शिलांग केंद्र हिंदी शिक्षकों के लिए नवीकरण (तीन सप्ताह का) पाठ्यक्रम और असम रायफ़ल्स के विद्यालयों के हिंदी शिक्षकों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हिंदी का कार्य साधक ज्ञान कराने के लिए 2-3 सप्ताह का हिंदी शिक्षणपरक कार्यक्रम संचालित करता है। इस केंद्र के कार्य क्षेत्र [[मेघालय]], [[त्रिपुरा]] एवं [[मिज़ोरम]] राज्य हैं ।
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इस केंद्र की स्थापना 1976 में हुई थी। 1978 में केंद्र गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। पुन: इसकी स्थापना वर्ष 1987 में की गई। हिन्दी के प्रचार-प्रसार के अंतर्गत शिलांग केंद्र हिन्दी शिक्षकों के लिए नवीकरण (तीन सप्ताह का) पाठ्यक्रम और असम रायफ़ल्स के विद्यालयों के हिन्दी शिक्षकों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हिन्दी का कार्य साधक ज्ञान कराने के लिए 2-3 सप्ताह का हिन्दी शिक्षणपरक कार्यक्रम संचालित करता है। इस केंद्र के कार्य क्षेत्र [[मेघालय]], [[त्रिपुरा]] एवं [[मिज़ोरम]] राज्य हैं ।
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-2.jpg|thumb|250px|left|केंद्रीय हिंदी संस्थान (मुख्यालय) में अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों का विशेष पाठ्यक्रम]]
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-2.jpg|thumb|250px|left|केंद्रीय हिन्दी संस्थान (मुख्यालय) में अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों का विशेष पाठ्यक्रम]]
 
==मैसूर केंद्र==
 
==मैसूर केंद्र==
{{main|हिंदी संस्थान मैसूर}}
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{{main|हिन्दी संस्थान मैसूर}}
[[मैसूर]] केंद्र की स्थापना वर्ष 1988 में हुई। केंद्र का प्रमुख कार्य हिंदी का शिक्षण-प्रशिक्षण एवं हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है। मैसूर केंद्र हिंदी के शिक्षण-प्रशिक्षण के अंतर्गत, प्राइमरी, हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट के हिंदी शिक्षकों के लिए हिंदी शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 3-4 सप्ताह के लघुअवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का आयोजन तथा विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के हिंदी अध्यापकों के लिए 2 सप्ताह के प्रयोजनमूलक पाठ्यक्रमों का संचालन करता है।
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[[मैसूर]] केंद्र की स्थापना वर्ष 1988 में हुई। केंद्र का प्रमुख कार्य हिन्दी का शिक्षण-प्रशिक्षण एवं हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना है। मैसूर केंद्र हिन्दी के शिक्षण-प्रशिक्षण के अंतर्गत, प्राइमरी, हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट के हिन्दी शिक्षकों के लिए हिन्दी शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 3-4 सप्ताह के लघुअवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का आयोजन तथा विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के हिन्दी अध्यापकों के लिए 2 सप्ताह के प्रयोजनमूलक पाठ्यक्रमों का संचालन करता है।
  
 
==दीमापुर केंद्र==
 
==दीमापुर केंद्र==
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इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2003 में हुई। दीमापुर केंद्र को पूर्णसत्रीय पाठ्यक्रम के अंतर्गत हिंदी शिक्षण प्रवीण व हिंदी शिक्षण विशेष गहन पाठ्यक्रमों के संचालन एवं [[मणिपुर]] व [[नागालैंड]] राज्य के हिंदी अध्यापकों के लिए नवीकरण कार्यक्रमों के संचालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। इस केंद्र का कार्यक्षेत्र नागालैंड एवं मणिपुर राज्य है।
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इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2003 में हुई। दीमापुर केंद्र को पूर्णसत्रीय पाठ्यक्रम के अंतर्गत हिन्दी शिक्षण प्रवीण व हिन्दी शिक्षण विशेष गहन पाठ्यक्रमों के संचालन एवं [[मणिपुर]] व [[नागालैंड]] राज्य के हिन्दी अध्यापकों के लिए नवीकरण कार्यक्रमों के संचालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। इस केंद्र का कार्यक्षेत्र नागालैंड एवं मणिपुर राज्य है।
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==भुवनेश्वर केंद्र==
 
==भुवनेश्वर केंद्र==
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इस केंद्र की स्थापना नवम्बर, 2003 में हुई। यहाँ नवीकरण पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं । गत वर्ष राजभाषा सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।
 
इस केंद्र की स्थापना नवम्बर, 2003 में हुई। यहाँ नवीकरण पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं । गत वर्ष राजभाषा सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।
  
 
==अहमदाबाद केंद्र==
 
==अहमदाबाद केंद्र==
{{main|हिंदी संस्थान अहमदाबाद}}
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[[अहमदाबाद]] केंद्र की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। राज्य में सेवारत हिंदी शिक्षकों के लिए लघुअवधीय नवीकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
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[[अहमदाबाद]] केंद्र की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। राज्य में सेवारत हिन्दी शिक्षकों के लिए लघुअवधीय नवीकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  
 
==संबद्ध प्रशिक्षण महाविद्यालय==
 
==संबद्ध प्रशिक्षण महाविद्यालय==
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-13.jpg|thumb|250px|left|स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिंदी संस्थान]]
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-13.jpg|thumb|250px|left|स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिन्दी संस्थान]]
हिंदी शिक्षक-प्रशिक्षण के स्तर को समुन्नत करने और राष्ट्रीय स्तर पर उसमें एकरूपता लाने के प्रयास में भारत सरकार के निर्देश पर देश के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने-अपने क्षेत्रों में हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों, संस्थाओं को स्थापित किया गया है और उन्हें संस्थान से संबद्ध किया है। इन संबद्ध महाविद्यालयों/संस्थाओं में प्रांतीय आवश्यकताओं के अनुरूप संस्थान के पाठ्यक्रम संचालित एवं आयोजित किए जाते हैं और संस्थान ही इन पाठ्यक्रमों की परीक्षाएँ नियंत्रित करता है। कुछ प्रमुख महाविद्यालयों/संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं-
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हिन्दी शिक्षक-प्रशिक्षण के स्तर को समुन्नत करने और राष्ट्रीय स्तर पर उसमें एकरूपता लाने के प्रयास में भारत सरकार के निर्देश पर देश के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने-अपने क्षेत्रों में हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों, संस्थाओं को स्थापित किया गया है और उन्हें संस्थान से संबद्ध किया है। इन संबद्ध महाविद्यालयों/संस्थाओं में प्रांतीय आवश्यकताओं के अनुरूप संस्थान के पाठ्यक्रम संचालित एवं आयोजित किए जाते हैं और संस्थान ही इन पाठ्यक्रमों की परीक्षाएँ नियंत्रित करता है। कुछ प्रमुख महाविद्यालयों/संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं-
*राजकीय हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, उत्तर गुवाहाटी (असम)
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*राजकीय हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, उत्तर [[गुवाहाटी]] (असम)
*मिज़ोरम हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, आईजोल (मिज़ोरम)
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*मिज़ोरम हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, [[आईजोल]] (मिज़ोरम)
*राजकीय हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, मैसूर (कर्नाटक)
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*राजकीय हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, मैसूर (कर्नाटक)
*राजकीय हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, दीमापुर (नागालैंड)
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*राजकीय हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, दीमापुर (नागालैंड)
  
 
==परियोजनाएँ==
 
==परियोजनाएँ==
*परियोजना: अंतर्राष्ट्रीय मानक हिंदी पाठ्यक्रम
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*परियोजना: अंतर्राष्ट्रीय मानक हिन्दी पाठ्यक्रम
*परियोजना: हिंदी कॉपोरा
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*परियोजना: हिन्दी कॉपोरा
 
*परियोजना: भाषा-साहित्य सी. डी. निर्माण
 
*परियोजना: भाषा-साहित्य सी. डी. निर्माण
*परियोजना: हिंदी लोक शब्द कोश
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*परियोजना: हिन्दी लोक शब्द कोश
[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-8.jpg|thumb|250px|हिन्दी सेवी सम्मान समारोह 2007, केंद्रीय हिंदी संस्थान]]
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[[चित्र:Purnima.jpg|thumb|left|250px|[[2012]] महामहिम [[प्रतिभा पाटील]] से [[पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार]] प्राप्त करते हुए [[पूर्णिमा वर्मन| पूर्णिमा जी]]]]
संस्थान हिंदी अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। संस्थान को उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। हिंदी भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में अपनी सार्थक भूमिका निभा सके, इस उद्देश्य एवं संकल्प के साथ संस्थान निरंतर कार्यरत है। अखिल भारतीय स्तर पर हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए भी संस्थान अथक प्रयास कर रहा है। संस्थान का मूलभूत उद्देश्य है कि भारतीय भाषाएँ एक दूसरे के निकट आएँ और सामान्य बोधगम्यता की द्रष्टि से हिंदी इनके बीच सेतु का कार्य करे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चेतना, संस्कृति एवं उससे संबद्ध मूल तत्व हिंदी के माध्यम से प्रसारित ही न हों, बल्कि सुग्राह्य भी बनें।
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[[चित्र:Kendriya-Hindi-Sansthan-8.jpg|thumb|250px|हिन्दी सेवी सम्मान समारोह 2007, केंद्रीय हिन्दी संस्थान]]
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संस्थान हिन्दी अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। संस्थान को उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। हिन्दी भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में अपनी सार्थक भूमिका निभा सके, इस उद्देश्य एवं संकल्प के साथ संस्थान निरंतर कार्यरत है। अखिल भारतीय स्तर पर हिन्दी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए भी संस्थान अथक प्रयास कर रहा है। संस्थान का मूलभूत उद्देश्य है कि भारतीय भाषाएँ एक दूसरे के निकट आएँ और सामान्य बोधगम्यता की द्रष्टि से हिन्दी इनके बीच सेतु का कार्य करे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चेतना, संस्कृति एवं उससे संबद्ध मूल तत्त्व हिन्दी के माध्यम से प्रसारित ही न हों, बल्कि सुग्राह्य भी बनें।
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://www.hindisansthan.org/hi/index.htm  केंद्रीय हिंदी संस्थान]
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*[http://www.khsindia.org केंद्रीय हिंदी संस्थान]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{हिंदी संस्थान}}
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{{हिन्दी संस्थान}}{{भारत के संस्थान}}{{हिन्दी भाषा}}
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07:40, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

केंद्रीय हिन्दी संस्थान प्रतीक चिह्न
प्रकार विश्व में हिंदी शिक्षा, प्रचार-प्रसार एवं प्रकाशन
स्थापना 19 मार्च, 1960 ई. को भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने एक स्वायत्तशासी संस्था 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल' का गठन किया और 1 नवम्बर 1960 को इस संस्थान का लखनऊ में पंजीकरण करवाया गया।
संस्थापक मानव संसाधन विकास मंत्रालय (तत्कालीन शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय), भारत सरकार
मुख्यालय आगरा
शाखाएँ आगरा मुख्यालय के अतिरिक्त आठ शाखाएँ हैं जो दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर, भुवनेश्वर और अहमदाबाद में हैं।
प्रमुख लोग अध्यक्ष- श्रीमती स्मृति ईरानी, उपाध्यक्ष- डॉ. कमल किशोर गोयनका, निदेशक- प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय[1]
वेबसाइट केंद्रीय हिंदी संस्थान
संबंधित लेख हिन्दी संस्थान आगरा, हिन्दी संस्थान दिल्ली, हिन्दी संस्थान हैदराबाद, हिन्दी संस्थान गुवाहाटी, हिन्दी संस्थान शिलांग, हिन्दी संस्थान मैसूर, हिन्दी संस्थान दीमापुर, हिन्दी संस्थान भुवनेश्वर, हिन्दी संस्थान अहमदाबाद
अन्य जानकारी हिन्दी संस्थान का प्रमुख कार्य हिन्दी भाषा से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना, शोध कार्य कराना और साथ ही हिन्दी के प्रचार व प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है।
अद्यतन‎

हिन्दी संस्थान अथवा केंद्रीय हिन्दी संस्थान भारत सरकार के 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय' के अधीन एक उच्चतर शैक्षिक और शोध संस्थान है। संविधान के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिन्दी को समर्थ और सक्रिय बनाने के लिए अनेक शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक अनुसंधानों के द्वारा हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिन्दी भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री आदि के निर्माण को संगठित और परिपक्व रूप देने के लिए सन् 1961 में भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने 'केंद्रीय हिन्दी संस्थान' की स्थापना उत्तर प्रदेश के आगरा नगर में की थी।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान (मुख्यालय) में अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों का विशेष पाठ्यक्रम

हिन्दी संस्थान का प्रमुख कार्य हिन्दी भाषा से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना, शोध कार्य कराना और साथ ही हिन्दी के प्रचार व प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में हिन्दी संस्थान का प्रमुख कार्य 'अहिन्दी भाषी क्षेत्रों' के लिए योग्य, सक्षम और प्रभावकारी हिन्दी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करना था, किंतु बाद में हिन्दी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने दृष्टिकोण और कार्य क्षेत्र को विस्तार दिया, जिसके अंतर्गत हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिन्दी भाषा-परक शोध, भाषा विज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ कर दिया और साथ ही विविध स्तरों के शैक्षिक पाठ्यक्रम, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ आदि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया गया। इस प्रकार के विस्तृत दृष्टिकोण और कार्यक्रमों के आयोजन से हिन्दी संस्थान का कार्यक्षेत्र अत्यधिक विस्तृत और विशाल हो गया। इन सभी कार्यक्रमों के कारण हिन्दी संस्थान ने केवल भारत में ही नहीं वरन् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति और मान्यता प्राप्त की।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान पुस्तकालय

हिन्दी संस्थान की स्थापना

हिन्दी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप को समान स्तर का बनाने के लिए और साथ ही पूरे भारत में हिन्दी भाषा के शिक्षण को सबल आधार देने के उद्देश्य से 19 मार्च, 1960 ई. को भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने एक स्वायत्तशासी संस्था 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल' का गठन किया और 1 नवम्बर 1960 को इस संस्थान का लखनऊ में पंजीकरण करवाया गया।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान की शाखाएँ

भारत सरकार द्वारा 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल' को 'अखिल भारतीय हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय' को संचालित करने का पूर्ण दायित्व सौंपा गया। 1 जनवरी, 1963 को अखिल भारतीय हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय का नाम बदल कर 'केंद्रीय हिन्दी शिक्षण महाविद्यालय' कर दिया गया। बाद में 29 अक्टूबर, 1963 को संपन्न परिषद की गोष्ठी में केंद्रीय हिन्दी शिक्षण महाविद्यालय नाम भी बदलकर 'केंद्रीय हिन्दी संस्थान' कर दिया गया। केंद्रीय हिन्दी संस्थान का मुख्यालय आगरा में है। मुख्यालय को मिलाकर इसके नौ केंद्र हैं -

हिन्दी सेवी सम्मान समारोह 2007, केंद्रीय हिन्दी संस्थान
  1. हिन्दी संस्थान आगरा
  2. हिन्दी संस्थान दिल्ली
  3. हिन्दी संस्थान हैदराबाद
  4. हिन्दी संस्थान गुवाहाटी
  5. हिन्दी संस्थान शिलांग
  6. हिन्दी संस्थान मैसूर
  7. हिन्दी संस्थान दीमापुर
  8. हिन्दी संस्थान भुवनेश्वर
  9. हिन्दी संस्थान अहमदाबाद
  • भारत सरकार ने 'मंडल' के गठन के समय जो प्रमुख प्रकार्य निर्धारित किए थे उन्हें तब से आज तक सतत कार्यनिष्ठा से संपन्न किया जा रहा है।

मंडल के प्रमुख कार्य

केंद्रीय हिन्दी संस्थान, दीमापुर केंद्र

केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल के निर्धारित प्रमुख कार्य हैं-

  1. हिन्दी भाषा के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना ।
  2. हिन्दीतर प्रदेशों के हिन्दी अध्ययन कर्ताओं की समस्याओं को दूर करना।
  3. हिन्दी शिक्षण में अनुसंधान के लिए अधिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाना।
  4. उच्चतर हिन्दी भाषा, साहित्य और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ हिन्दी का तुलनात्मक भाषाशास्त्रीय अध्ययन और सुविधाओं को उपलब्ध करवाना।
  5. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिन्दी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप का विकास कराना और दिशा-निर्देशों के अनुसार हिन्दी को अखिल भारतीय भाषा के रूप में विकसित करने के लिए कार्य करना।

शिक्षण-प्रशिक्षण

  • हिन्दीतर क्षेत्रों के हिन्दी अध्यापकों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण ।
  • हिन्दीतर क्षेत्रों के हिन्दी अध्यापकों के लिए पत्राचार द्वारा (दूरस्थ) शिक्षण-प्रशिक्षण ।
  • विदेशी छात्रों के लिए द्वितीय एवं विदेशी भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण ।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी का प्रचार-प्रसार ।
स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिन्दी संस्थान
  • सांध्यकालीन परास्नातकोत्तर अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, जनसंचार एवं हिन्दी पत्रकारिता और अनुवाद विज्ञान पाठ्यक्रम।
  • नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम ।
  • हिन्दीतर क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के सेवारत हिन्दी अध्यापकों के लिए नवीकरण, उच्च नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम ।
  • केंद्र/राज्य सरकार के तथा बैंकों आदि के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए नवीकरण, संवर्धनात्मक, कौशलपरक कार्यक्रम और कार्यालयीन हिन्दी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम।
  • भाषा प्रयोगशाला एवं दृश्य - श्रव्य उपकरणों के माध्यम से हिन्दी के उच्चारण का सुधारात्मक अभ्यास ।
  • कंप्यूटर साधित हिन्दी भाषा शिक्षण ।

अन्य कार्य

  • संगोष्ठी, कार्यगोष्ठी, विशेष व्याख्यान, प्रसार व्याख्यान माला आदि का आयोजन ।
  • संस्थान द्वारा प्रणीत, संपादित एवं संकलित पाठ्य सामग्री, आलेख, पाठ्य पुस्तकों आदि का प्रकाशन ।
मुख्यालय में विदेशी विद्यार्थियों रंगोली की सज्जा, केंद्रीय हिन्दी संस्थान
  • हिन्दी भाषा, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, तुलनात्मक साहित्य आदि से संबंधित शोधपूर्ण पुस्तक, पत्रिका का प्रकाशन ।
  • हिन्दी भाषा तथा साहित्य का अध्ययन - अध्यापन तथा अनुसंधान में सहायतार्थ समृद्ध पुस्तकालय ।
  • हिन्दी के प्रोत्साहन के लिए अखिल भारतीय प्रतियोगिताएँ। हिन्दी सेवियों का सम्मान (हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार, शैक्षिक अनुसंधान, जनसंचार, विज्ञान आदि क्षेत्रों में कार्यरत हिन्दी विद्वानों के लिए) ।
  • समय - समय पर भारत सरकार द्वारा सौंपी जाने वाली हिन्दी संबंधी परियोजनाएँ तथा राजभाषा विषयक अन्य कार्य।
केंद्रीय हिन्दी संस्थान, भुवनेश्वर केंद्र

मुख्यालय

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संविधान के अनुच्छेद 351 में निहित दिशा निर्देश के अनुसार हिन्दी को अपनी विविध भूमिकाएँ निभाने में समर्थ और सक्रिय बनाने के उद्देश्य से और विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक स्तरों पर सुनियोजित अनुसंधान द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री निर्माण आदि को विकसित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सन् 1961 में 'केंद्रीय हिन्दी संस्थान' की स्थापना आगरा में की गई।

दिल्ली केंद्र

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दिल्ली केंद्र की स्थापना वर्ष 1970 में हुई। सर्वप्रथम राजभाषा क्रियान्वयन योजना के लिए केंद्रीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए गहन हिन्दी शिक्षण कार्यक्रम और विदेशों में हिन्दी प्रचार-प्रसार के अंतर्गत विदेशियों के लिए हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए। कार्याधिक्य के कारण वर्ष 1993 में विदेशियों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम की छात्रवृत्ति आधारित योजना आगरा मुख्यालय में स्थानांतरित कर दी गई।

हैदराबाद केंद्र

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हैदराबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 1976 में हुई। शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत यह केंद्र स्कूलों/कॉलेजों एवं स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाओं के हिन्दी अध्यापकों के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसमें हिन्दी अध्यापकों को हिन्दी के वर्तमान परिवेश के अंतर्गत भाषाशिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराया जाता है। वर्तमान में हैदराबाद केंद्र का कार्यक्षेत्र आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र एवं केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी एवं अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह हैं। हैदराबाद केंद्र पर हिन्दी शिक्षण पारंगत पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है ।

स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिन्दी संस्थान

गुवाहाटी केंद्र

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इस केंद्र की स्थापना वर्ष 1978 में हुई। इस केंद्र का उद्देश्य पूर्वांचल में हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हिन्दी के अध्यापकों एवं प्रचारकों के लिए हिन्दी भाषा शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का संचालन करना है। इस केंद्र का कार्य क्षेत्र असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम एवं नागालैंड राज्य है । इस केंद्र में इस शैक्षिक वर्ष से स्नातकोत्तर अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा के अतिरिक्त 'हिन्दी शिक्षण प्रवीण' भी प्रारंभ किये गये हैं |

शिलांग केंद्र

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इस केंद्र की स्थापना 1976 में हुई थी। 1978 में केंद्र गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। पुन: इसकी स्थापना वर्ष 1987 में की गई। हिन्दी के प्रचार-प्रसार के अंतर्गत शिलांग केंद्र हिन्दी शिक्षकों के लिए नवीकरण (तीन सप्ताह का) पाठ्यक्रम और असम रायफ़ल्स के विद्यालयों के हिन्दी शिक्षकों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हिन्दी का कार्य साधक ज्ञान कराने के लिए 2-3 सप्ताह का हिन्दी शिक्षणपरक कार्यक्रम संचालित करता है। इस केंद्र के कार्य क्षेत्र मेघालय, त्रिपुरा एवं मिज़ोरम राज्य हैं ।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान (मुख्यालय) में अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों का विशेष पाठ्यक्रम

मैसूर केंद्र

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मैसूर केंद्र की स्थापना वर्ष 1988 में हुई। केंद्र का प्रमुख कार्य हिन्दी का शिक्षण-प्रशिक्षण एवं हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना है। मैसूर केंद्र हिन्दी के शिक्षण-प्रशिक्षण के अंतर्गत, प्राइमरी, हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट के हिन्दी शिक्षकों के लिए हिन्दी शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 3-4 सप्ताह के लघुअवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का आयोजन तथा विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के हिन्दी अध्यापकों के लिए 2 सप्ताह के प्रयोजनमूलक पाठ्यक्रमों का संचालन करता है।

दीमापुर केंद्र

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इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2003 में हुई। दीमापुर केंद्र को पूर्णसत्रीय पाठ्यक्रम के अंतर्गत हिन्दी शिक्षण प्रवीण व हिन्दी शिक्षण विशेष गहन पाठ्यक्रमों के संचालन एवं मणिपुरनागालैंड राज्य के हिन्दी अध्यापकों के लिए नवीकरण कार्यक्रमों के संचालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। इस केंद्र का कार्यक्षेत्र नागालैंड एवं मणिपुर राज्य है।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान, भुवनेश्वर केंद्र

भुवनेश्वर केंद्र

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इस केंद्र की स्थापना नवम्बर, 2003 में हुई। यहाँ नवीकरण पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं । गत वर्ष राजभाषा सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।

अहमदाबाद केंद्र

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अहमदाबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। राज्य में सेवारत हिन्दी शिक्षकों के लिए लघुअवधीय नवीकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

संबद्ध प्रशिक्षण महाविद्यालय

स्वदेशी विद्यार्थियों द्वारा संचालित सांस्कृतिक कार्यक़म, केंद्रीय हिन्दी संस्थान

हिन्दी शिक्षक-प्रशिक्षण के स्तर को समुन्नत करने और राष्ट्रीय स्तर पर उसमें एकरूपता लाने के प्रयास में भारत सरकार के निर्देश पर देश के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने-अपने क्षेत्रों में हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों, संस्थाओं को स्थापित किया गया है और उन्हें संस्थान से संबद्ध किया है। इन संबद्ध महाविद्यालयों/संस्थाओं में प्रांतीय आवश्यकताओं के अनुरूप संस्थान के पाठ्यक्रम संचालित एवं आयोजित किए जाते हैं और संस्थान ही इन पाठ्यक्रमों की परीक्षाएँ नियंत्रित करता है। कुछ प्रमुख महाविद्यालयों/संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं-

  • राजकीय हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, उत्तर गुवाहाटी (असम)
  • मिज़ोरम हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, आईजोल (मिज़ोरम)
  • राजकीय हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, मैसूर (कर्नाटक)
  • राजकीय हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, दीमापुर (नागालैंड)

परियोजनाएँ

  • परियोजना: अंतर्राष्ट्रीय मानक हिन्दी पाठ्यक्रम
  • परियोजना: हिन्दी कॉपोरा
  • परियोजना: भाषा-साहित्य सी. डी. निर्माण
  • परियोजना: हिन्दी लोक शब्द कोश
हिन्दी सेवी सम्मान समारोह 2007, केंद्रीय हिन्दी संस्थान

संस्थान हिन्दी अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। संस्थान को उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। हिन्दी भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में अपनी सार्थक भूमिका निभा सके, इस उद्देश्य एवं संकल्प के साथ संस्थान निरंतर कार्यरत है। अखिल भारतीय स्तर पर हिन्दी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए भी संस्थान अथक प्रयास कर रहा है। संस्थान का मूलभूत उद्देश्य है कि भारतीय भाषाएँ एक दूसरे के निकट आएँ और सामान्य बोधगम्यता की द्रष्टि से हिन्दी इनके बीच सेतु का कार्य करे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चेतना, संस्कृति एवं उससे संबद्ध मूल तत्त्व हिन्दी के माध्यम से प्रसारित ही न हों, बल्कि सुग्राह्य भी बनें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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