हिन्दू पद पादशाही

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हिन्दू पद पादशाही की स्थापना का लक्ष्य दूसरे पेशवा बाजीराव प्रथम (1720-1740 ई.) ने रखा था। इसका अर्थ था भारत पर मुस्लिमों का शासन समाप्त करने के लिए सभी हिन्दू राजाओं का एक हो जाना और सम्पूर्ण भारत में हिन्दू राज्य की स्थापना करना।

  • इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक था कि मराठे अन्य सभी हिन्दू राजाओं के साथ मैत्रीपूर्ण, उदारतापूर्ण तथा बराबरी का व्यवहार करते, ताकि स्वराज्य की स्थापना में सभी हिन्दू भागीदार बन सकते।
  • तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव (1740-1761 ई.) ने इस नीति को जान-बूझ कर त्याग दिया।
  • उसने केवल मराठों की प्रमुखता स्थापित करने पर ही अधिक प्रयास किया।
  • हिन्दू राजाओं और उनकी हिन्दू प्रजा को भी बालाजी ने उसी प्रकार लूटना और उनके साथ निर्दयता का व्यवहार करना शुरू कर दिया, जिस प्रकार मुसलमान शासकों के साथ किया जाता था।
  • इसका परिणाम यह हुआ कि 'हिन्दू पद पादशाही' की स्थापना का विचार पूरी तरह समाप्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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