"पत्थर का आसमान -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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[[प्रेमचन्द|मुंशी प्रेमचन्द]] की कहानी '[[पूस की रात -प्रेमचंद|पूस की रात]]', [[मोहन राकेश]] के नाटक '[[आषाढ़ का एक दिन -मोहन राकेश|आषाढ़ का एक दिन]]' और दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों की स्मृति में | [[प्रेमचन्द|मुंशी प्रेमचन्द]] की कहानी '[[पूस की रात -प्रेमचंद|पूस की रात]]', [[मोहन राकेश]] के नाटक '[[आषाढ़ का एक दिन -मोहन राकेश|आषाढ़ का एक दिन]]' और दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों की स्मृति में | ||
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कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता | कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता | ||
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो | एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो | ||
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिये, | हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिये, | ||
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिये -[[दुष्यंत कुमार]] | इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिये -[[दुष्यंत कुमार]] | ||
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{{भारतकोश सम्पादकीय}} | {{भारतकोश सम्पादकीय}} |
06:46, 24 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
![]() पत्थर का आसमान -आदित्य चौधरी
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