"बद्री नाथ जी की आरती": अवतरणों में अंतर
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कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम | | कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम | | ||
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जय जय श्री बद्रीनाथ, जयति योग ध्यानी || टेक || | |||
निर्गुण सगुण स्वरूप, मेधवर्ण अति अनूप | | |||
सेवत चरण स्वरूप, ज्ञानी विज्ञानी | जय... | |||
झलकत है शीश छत्र, छवि अनूप अति विचित्र | | |||
बरनत पावन चरित्र, स्कुचत बरबानी | जय... | |||
तिलक भाल अति विशाल, गल में मणि मुक्त-माल | | |||
प्रनत पल अति दयाल, सेवक सुखदानी | जय.... | |||
कानन कुण्डल ललाम, मूरति सुखमा की धाम | | |||
सुमिरत हों सिद्धि काम, कहत गुण बखानी | जय... | |||
गावत गुण शंभु शेष, इन्द्र चन्द्र अरु दिनेश | | |||
विनवत श्यामा हमेश, जोरी जुगल पानी | जय... | |||
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12:16, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

Badrinath Ji
पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम |
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम |
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम |
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम |
सिद्ध मुनिजन करत जै जै बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम |
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
कैलाश में एक देव निंरजन शैल शिखर महेश्वरम |
राजयुधिष्ठिर करतस्तुति श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
श्री बद्री जी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम |
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम |
जय जय श्री बद्रीनाथ, जयति योग ध्यानी || टेक ||
निर्गुण सगुण स्वरूप, मेधवर्ण अति अनूप |
सेवत चरण स्वरूप, ज्ञानी विज्ञानी | जय...
झलकत है शीश छत्र, छवि अनूप अति विचित्र |
बरनत पावन चरित्र, स्कुचत बरबानी | जय...
तिलक भाल अति विशाल, गल में मणि मुक्त-माल |
प्रनत पल अति दयाल, सेवक सुखदानी | जय....
कानन कुण्डल ललाम, मूरति सुखमा की धाम |
सुमिरत हों सिद्धि काम, कहत गुण बखानी | जय...
गावत गुण शंभु शेष, इन्द्र चन्द्र अरु दिनेश |
विनवत श्यामा हमेश, जोरी जुगल पानी | जय...
इन्हें भी देखें: बद्रीनाथ
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