"बद्री नाथ जी की आरती": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (श्रेणी:हिन्दू संस्कार (को हटा दिया गया हैं।))
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
श्री बद्री जी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम |
श्री बद्री जी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम |
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम |
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम |
</poem></span></blockquote>
--------
<blockquote><span style="color: blue"><poem>
जय जय श्री बद्रीनाथ, जयति योग ध्यानी || टेक ||
निर्गुण सगुण स्वरूप, मेधवर्ण अति अनूप |
सेवत चरण स्वरूप, ज्ञानी विज्ञानी | जय...
झलकत है शीश छत्र, छवि अनूप अति विचित्र |
बरनत पावन चरित्र, स्कुचत बरबानी | जय...
तिलक भाल अति विशाल, गल में मणि मुक्त-माल |
प्रनत पल अति दयाल, सेवक सुखदानी | जय....
कानन कुण्डल ललाम, मूरति सुखमा की धाम |
सुमिरत हों सिद्धि काम, कहत गुण बखानी | जय...
गावत गुण शंभु शेष, इन्द्र चन्द्र अरु दिनेश |
विनवत श्यामा हमेश, जोरी जुगल पानी | जय...
</poem></span></blockquote>
</poem></span></blockquote>


पंक्ति 25: पंक्ति 44:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{आरती_स्तुति_स्त्रोत}}
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}


[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]]  
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__

12:16, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

बद्री नाथ जी
Badrinath Ji

पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम |
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम |
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम |
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम |
सिद्ध मुनिजन करत जै जै बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम |
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
कैलाश में एक देव निंरजन शैल शिखर महेश्वरम |
राजयुधिष्ठिर करतस्तुति श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
श्री बद्री जी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम |
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम |


जय जय श्री बद्रीनाथ, जयति योग ध्यानी || टेक ||

निर्गुण सगुण स्वरूप, मेधवर्ण अति अनूप |
सेवत चरण स्वरूप, ज्ञानी विज्ञानी | जय...

झलकत है शीश छत्र, छवि अनूप अति विचित्र |
बरनत पावन चरित्र, स्कुचत बरबानी | जय...

तिलक भाल अति विशाल, गल में मणि मुक्त-माल |
प्रनत पल अति दयाल, सेवक सुखदानी | जय....

कानन कुण्डल ललाम, मूरति सुखमा की धाम |
सुमिरत हों सिद्धि काम, कहत गुण बखानी | जय...

गावत गुण शंभु शेष, इन्द्र चन्द्र अरु दिनेश |
विनवत श्यामा हमेश, जोरी जुगल पानी | जय...

इन्हें भी देखें: बद्रीनाथ


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख