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*[[हरिवंशपुराण]] में उल्लेख आया है कि ‘काशी’ को बसाने वाले [[पुरुरवा]] के वंशज राजा ‘काश’ थे। अत: उनके वंशज ‘काशि’ कहलाए।<ref>‘‘काशस्य काशयो राजन् पुत्रोदीर्घतपस्तथा।’’ – [[हरिवंशपुराण]], अध्याय 29</ref> संभव है इसके आधार पर ही इस जनपद का नाम ‘काशी’ पड़ा हो। | |||
*काशी नामकरण से संबद्ध एक पौराणिक [[मिथक]] भी उपलब्ध है। उल्लेख है कि [[विष्णु]] ने [[पार्वती]] के मुक्तामय कुंडल गिर जाने से इस क्षेत्र को मुक्त क्षेत्र की संज्ञा दी और इसकी अकथनीय परम ज्योति के कारण तीर्थ का नामकरण काशी किया।<ref>‘‘काशते त्रयतो ज्योतिस्तदनख्येमपोश्वर:। अतोनापरं चास्तुकाशीति प्रथितांविभो।’ ॥68॥ काशी खंड, अध्याय 26</ref> | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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06:15, 15 मई 2016 के समय का अवतरण
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मुख्य लेख : वाराणसी
- पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक। वाराणसी का दूसरा नाम ‘काशी’ प्राचीन काल में एक जनपद के रूप में प्रख्यात था और वाराणसी उसकी राजधानी थी।
- इसकी पुष्टि पाँचवीं शताब्दी में भारत आने वाले चीनी यात्री फ़ाह्यान के यात्रा विवरण से भी होती है।[1]
- हरिवंशपुराण में उल्लेख आया है कि ‘काशी’ को बसाने वाले पुरुरवा के वंशज राजा ‘काश’ थे। अत: उनके वंशज ‘काशि’ कहलाए।[2] संभव है इसके आधार पर ही इस जनपद का नाम ‘काशी’ पड़ा हो।
- काशी नामकरण से संबद्ध एक पौराणिक मिथक भी उपलब्ध है। उल्लेख है कि विष्णु ने पार्वती के मुक्तामय कुंडल गिर जाने से इस क्षेत्र को मुक्त क्षेत्र की संज्ञा दी और इसकी अकथनीय परम ज्योति के कारण तीर्थ का नामकरण काशी किया।[3]
इन्हें भी देखें: वाराणसी, वाराणसी पर्यटन एवं वाराणसी ज़िला