"लेप्चा भाषा": अवतरणों में अंतर
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[[लेप्चा]] पूर्वी [[नेपाल]], पश्चिमी [[भूटान]] और [[भारत]] के [[सिक्किम]] तथा [[पश्चिम बंगाल]] राज्य के [[दार्जिलिंग]] में रहने वाली जनजाति है। इस जाति द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ही लेप्चा भाषा कहते हैं। सिक्किम में प्रचलित लेप्चा भाषा की अपनी लिपि है। | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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[[लेप्चा]] पूर्वी [[नेपाल]], पश्चिमी [[भूटान]] और [[भारत]] के [[सिक्किम]] तथा [[पश्चिम बंगाल]] राज्य के [[दार्जिलिंग]] में रहने वाली जनजाति है। इस जाति द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ही लेप्चा भाषा ([[अंग्रेज़ी]]: ''Lepcha Language'') कहते हैं। सिक्किम में प्रचलित लेप्चा भाषा की अपनी लिपि है। | |||
==उत्पत्ति== | ==उत्पत्ति== | ||
*लेप्चा परंपरा के अनुसार, लेप्चा लिपि का आविष्कार 17वीं शताब्दी के दौरान लेप्चा विद्वान थिकुंग मेन सोलोंग द्वारा किया गया था। लिपि के आविष्कारक शायद [[बौद्ध]] मिशनरियों से प्रेरित थे। | *लेप्चा परंपरा के अनुसार, लेप्चा लिपि का आविष्कार 17वीं शताब्दी के दौरान लेप्चा विद्वान थिकुंग मेन सोलोंग द्वारा किया गया था। लिपि के आविष्कारक शायद [[बौद्ध]] मिशनरियों से प्रेरित थे। | ||
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*आज लेप्चा लिपि का प्रयोग [[अखबार|अखबारों]], [[पत्रिका|पत्रिकाओं]], पाठ्यपुस्तकों, कविता संग्रह, गद्य और [[नाटक|नाटकों]] में किया जाता है। | *आज लेप्चा लिपि का प्रयोग [[अखबार|अखबारों]], [[पत्रिका|पत्रिकाओं]], पाठ्यपुस्तकों, कविता संग्रह, गद्य और [[नाटक|नाटकों]] में किया जाता है। | ||
==लेखन प्रणाली का प्रकार== | ==लेखन प्रणाली का प्रकार== | ||
[[चित्र:Lepcha-Language-and-Script-1.jpg|thumb|left|250px|लेप्चा भाषा के अंतर्गत आने वाले स्वर तथा अंक]] | |||
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*प्रत्येक अक्षर में अंतर्निहित स्वर | *प्रत्येक अक्षर में अंतर्निहित स्वर (a) है, अन्य स्वरों का प्रयोग संकेतक का उपयोग करके किया जाता है। | ||
*जब स्वर स्वयं या स्वयं के शब्दों में प्रकट होते हैं, तो उन्हें लिखने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग किया जाता है। | *जब स्वर स्वयं या स्वयं के शब्दों में प्रकट होते हैं, तो उन्हें लिखने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग किया जाता है। | ||
*स्वर का उपयोग किसी भी क्रम के प्रारंभ या अंत में किया जा सकता है। | *स्वर का उपयोग किसी भी क्रम के प्रारंभ या अंत में किया जा सकता है। | ||
* | *सभी व्यंजन को एक शब्दांश की शुरुआत में इस्तेमाल किया जा सकता है। केवल उनमें से कुछ शब्दांश-अंतिम स्थिति में प्रकट होते हैं। | ||
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लेखन कार्य क्षैतिज रेखाओं में दाएं से दाएं किया जाता है और शब्दों के बीच में रिक्त स्थान रहता है। | लेखन कार्य क्षैतिज रेखाओं में दाएं से दाएं किया जाता है और शब्दों के बीच में रिक्त स्थान रहता है। | ||
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इस चित्र में लेप्चा भाषा में जो लेख लिखा गया है, उसका हिन्दी अनुवाद निम्न प्रकार है<ref>{{cite web |url=http://www.language-museum.com/encyclopedia/l/lepcha.php |title=LM Languages |accessmonthday=27 दिसम्बर|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=language-museum.com |language=हिन्दी }}</ref>- | |||
शुरुआत में परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया। पृथ्वी निराकार और खाली थी, और अंधेरे ने गहरे पानी को ढक रखा था। भगवान की आत्मा पानी पर घूम रही थी तब भगवान ने कहा, "यहाँ प्रकाश हो जाए", इसीलिए वहाँ प्रकाश हो गया। भगवान ने देखा कि प्रकाश अच्छा था तो भगवान ने प्रकाश को अंधेरे से अलग कर दिया। भगवान ने प्रकाश को 'दिन' का नाम दिया और अंधेरे को 'रात' का नाम दिया। वहाँ शाम थी, फिर सुबह और पहला दिन। | |||
==आँकड़े== | |||
आँकड़ों के अनुसार लेप्चा भाषा बोलने वालों की संख्या है- | |||
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#[[भूटान]] - 24,200 | |||
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वर्तमान में इस भाषा का 'सिनो तिब्बती' तथा 'तिब्बतो बर्मन' में वर्गीकरण किया गया है। | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[https://www.omniglot.com/writing/lepcha.htm Lepcha (Rong) script] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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12:24, 30 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
लेप्चा भाषा
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विवरण | 'लेप्चा भाषा' भारत की संकटग्रस्त भाषाओं में से एक है। सिक्किम तथा दार्जिलिंग के अतिरिक्त यह भाषा भूटान व नेपाल में भी बोली जाती है। |
बोली क्षेत्र | भारत, भूटान व नेपाल |
भाषा परिवार | लेप्चा |
लेखन प्रणाली | लेप्चा लिपि तथा तिब्बती वर्णमाला |
अन्य जानकारी | सिक्किम में प्रचलित लेप्चा भाषा की अपनी लिपि है। लेप्चा भाषा भारत की संकटग्रस्त भाषाओं में से एक है। |
लेप्चा पूर्वी नेपाल, पश्चिमी भूटान और भारत के सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग में रहने वाली जनजाति है। इस जाति द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ही लेप्चा भाषा (अंग्रेज़ी: Lepcha Language) कहते हैं। सिक्किम में प्रचलित लेप्चा भाषा की अपनी लिपि है।
उत्पत्ति
- लेप्चा परंपरा के अनुसार, लेप्चा लिपि का आविष्कार 17वीं शताब्दी के दौरान लेप्चा विद्वान थिकुंग मेन सोलोंग द्वारा किया गया था। लिपि के आविष्कारक शायद बौद्ध मिशनरियों से प्रेरित थे।
- एक और सिद्धांत यह है कि 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों के दौरान यह लिपि विकसित हुई।
- आज लेप्चा लिपि का प्रयोग अखबारों, पत्रिकाओं, पाठ्यपुस्तकों, कविता संग्रह, गद्य और नाटकों में किया जाता है।
लेखन प्रणाली का प्रकार

- वर्णमाला
- प्रत्येक अक्षर में अंतर्निहित स्वर (a) है, अन्य स्वरों का प्रयोग संकेतक का उपयोग करके किया जाता है।
- जब स्वर स्वयं या स्वयं के शब्दों में प्रकट होते हैं, तो उन्हें लिखने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग किया जाता है।
- स्वर का उपयोग किसी भी क्रम के प्रारंभ या अंत में किया जा सकता है।
- सभी व्यंजन को एक शब्दांश की शुरुआत में इस्तेमाल किया जा सकता है। केवल उनमें से कुछ शब्दांश-अंतिम स्थिति में प्रकट होते हैं।
- लेखन की दिशा-
लेखन कार्य क्षैतिज रेखाओं में दाएं से दाएं किया जाता है और शब्दों के बीच में रिक्त स्थान रहता है।

इस चित्र में लेप्चा भाषा में जो लेख लिखा गया है, उसका हिन्दी अनुवाद निम्न प्रकार है[1]-
शुरुआत में परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया। पृथ्वी निराकार और खाली थी, और अंधेरे ने गहरे पानी को ढक रखा था। भगवान की आत्मा पानी पर घूम रही थी तब भगवान ने कहा, "यहाँ प्रकाश हो जाए", इसीलिए वहाँ प्रकाश हो गया। भगवान ने देखा कि प्रकाश अच्छा था तो भगवान ने प्रकाश को अंधेरे से अलग कर दिया। भगवान ने प्रकाश को 'दिन' का नाम दिया और अंधेरे को 'रात' का नाम दिया। वहाँ शाम थी, फिर सुबह और पहला दिन।
आँकड़े
आँकड़ों के अनुसार लेप्चा भाषा बोलने वालों की संख्या है-
वर्तमान में इस भाषा का 'सिनो तिब्बती' तथा 'तिब्बतो बर्मन' में वर्गीकरण किया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ LM Languages (हिन्दी) language-museum.com। अभिगमन तिथि: 27 दिसम्बर, 2017।