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'''राष्ट्रीय एकता दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''National Unity Day'') [[31 अक्टूबर]] को [[सरदार पटेल|सरदार वल्लभ भाई पटेल]] की जयंती के रूप में मनाया जाता है। [[भारत]] में वर्ष [[2014]] में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। | {{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=राष्ट्रीय एकता दिवस|लेख का नाम=राष्ट्रीय एकता दिवस (बहुविकल्पी)}} | ||
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'''राष्ट्रीय एकता दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''National Unity Day'' OR ''Rashtriya Ekta Diwas'') [[31 अक्टूबर]] को [[सरदार पटेल|सरदार वल्लभ भाई पटेल]] की जयंती के रूप में मनाया जाता है। [[भारत]] में वर्ष [[2014]] में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। भारत की गणना विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक के रूप में की जाती है जो कि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और बोलियाँ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे [[हिंदू धर्म|हिंदू]], [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]], [[ईसाई धर्म|ईसाई]], [[जैन धर्म|जैन]], [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]], [[सिख धर्म|सिख]] और [[पारसी धर्म|पारसी धर्मों]] को विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ शामिल करता है। यह जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में प्रमुख भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है।[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|thumb|left|[[सरदार पटेल]]]] | |||
==एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका== | |||
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। [[5 जुलाई]] [[1947]] को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'रियासतों को तीन विषयों - सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।' धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक [[भोपाल]] के [[नवाब]] से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। [[भारत]] के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। [[15 अगस्त]] [[1947]] तक [[हैदराबाद]], [[कश्मीर]] और [[जूनागढ़]] को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें 'भारत संघ' में सम्मिलित हो गयीं। [[जूनागढ़]] के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब [[हैदराबाद]] के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया। | स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। [[5 जुलाई]] [[1947]] को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'रियासतों को तीन विषयों - सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।' धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक [[भोपाल]] के [[नवाब]] से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। [[भारत]] के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। [[15 अगस्त]] [[1947]] तक [[हैदराबाद]], [[कश्मीर]] और [[जूनागढ़]] को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें 'भारत संघ' में सम्मिलित हो गयीं। [[जूनागढ़]] के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब [[हैदराबाद]] के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया। | ||
== | ==एकता का महत्त्व== | ||
एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरि हो गया है। आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं। आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग। देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया था। वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे। वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे। उन्हीं को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। | |||
====‘रन फॉर यूनिटी’==== | |||
2014 के बाद से 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महान व्यक्ति को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के साथ देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का सन्देश पहुँचता है, जिससे आगे चलकर वे देश में राष्ट्रीय एकता का महत्व समझ सकें। इस मौके पर देश के विभिन्न स्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। [[दिल्ली]] के पटेल चौक, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माला चढ़ाई जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा शपथ ग्रहण समारोह, मार्च फ़ास्ट भी की जाती है। ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन देश के विभिन्न शहरों, गाँव, जिलों, ग्रामीण स्थानों में आयोजित की जाती है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संसथान, [[राष्ट्रीय कैडेट कोर]], राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है। दिल्ली में [[राजपथ]] में विजय चौक से [[इंडिया गेट]] के बीच सुबह 8:30 बजे मैराथन का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होता है, जिसमें कई नेता, [[अभिनेता]] हिस्सा लेते है। इसके अलावा सरकारी ऑफिस, पब्लिक सेक्टर में भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम होता है। स्कूल कॉलेज में तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, वहां बैनर, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, निबंध, भाषण, पेंटिंग, कविता, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है।<ref name="deep">{{cite web |url=http://www.deepawali.co.in/rashtriya-ekta-diwas-mahatva-essay-date-speech-kavita-quotes-slogan-in-hindi.html |title=राष्ट्रीय एकता दिवस महत्व भाषण कविता अनमोल वचन|accessmonthday=31 अक्टूबर|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.deepawali.co.in|language=हिंदी }}</ref> | |||
==राष्ट्रीय एकता दिवस के प्रसिद्ध नारे== | |||
* एकता- मूलमंत्र हैं यह विकास का, देश के सौंदर्य और उद्धार का। | |||
* हर एक शब्द भारी हैं, जब एकता में देश की हर कौम सारी हैं। | |||
* एकता ही देश का बल हैं, एकता में ही सुनहरा पल हैं। | |||
* जब तक रहेगी साठ गाठ, होता रहेगा देश का विकास। | |||
* याद रखो एकता का मान, तब ही होगी देश आन। | |||
* एकता में ही संबल हैं जिस देश में नही वो दुर्बल हैं।<ref name="deep"/> | |||
==राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता== | |||
<poem> | |||
राष्ट्र की एकता ही हैं उसका आधार | |||
न थोपों उस पर सांप्रदायिक विचार | |||
क्यूँ करते हो भेद ईश्वर के बन्दों में | |||
हर मज़हब सिखाता हैं प्रेम बाँटो सब में | |||
क्यूँ करते हो वैचारिक लड़ाई | |||
बनता हैं यह भारत माँ के लिए दुखदाई | |||
एक भूमि का टुकड़ा नहीं हैं मेरा देश | |||
मेरी माँ का हैं यह सुंदर परिवेश | |||
इसके उद्धार में ही हैं अलौकिक प्रकाश | |||
सबके साथ में ही हैं सबका विकास | |||
एकता ही हैं अंत दुखों का | |||
एकता में ही हैं कल्याण अपनों का<ref name="deep"/> | |||
</poem> | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- राष्ट्रीय एकता दिवस (बहुविकल्पी) |
राष्ट्रीय एकता दिवस
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विवरण | लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की स्मृति में उनके जन्मदिन 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता हैं। राष्ट्रीय एकता दिवस का ऐलान 2014 में किया गया, इसे वल्लभभाई पटेल के राष्ट्र के प्रति समर्पण को याद में रखकर तय किया गया। |
तिथि | 31 अक्टूबर |
प्रसिद्ध नारा | एकता- मूलमंत्र हैं यह विकास का, देश के सौंदर्य और उद्धार का। |
अन्य जानकारी | भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। |
बाहरी कड़ियाँ | Rashtriya Ekta Diwas |
अद्यतन | 19:01, 31 अक्टूबर 2017 (IST)
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राष्ट्रीय एकता दिवस (अंग्रेज़ी: National Unity Day OR Rashtriya Ekta Diwas) 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। भारत की गणना विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक के रूप में की जाती है जो कि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और बोलियाँ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी धर्मों को विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ शामिल करता है। यह जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में प्रमुख भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है।

एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। 5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'रियासतों को तीन विषयों - सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।' धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक भोपाल के नवाब से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें 'भारत संघ' में सम्मिलित हो गयीं। जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया।
एकता का महत्त्व
एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरि हो गया है। आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं। आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग। देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया था। वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे। वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे। उन्हीं को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
‘रन फॉर यूनिटी’
2014 के बाद से 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महान व्यक्ति को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के साथ देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का सन्देश पहुँचता है, जिससे आगे चलकर वे देश में राष्ट्रीय एकता का महत्व समझ सकें। इस मौके पर देश के विभिन्न स्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दिल्ली के पटेल चौक, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माला चढ़ाई जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा शपथ ग्रहण समारोह, मार्च फ़ास्ट भी की जाती है। ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन देश के विभिन्न शहरों, गाँव, जिलों, ग्रामीण स्थानों में आयोजित की जाती है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संसथान, राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है। दिल्ली में राजपथ में विजय चौक से इंडिया गेट के बीच सुबह 8:30 बजे मैराथन का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होता है, जिसमें कई नेता, अभिनेता हिस्सा लेते है। इसके अलावा सरकारी ऑफिस, पब्लिक सेक्टर में भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम होता है। स्कूल कॉलेज में तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, वहां बैनर, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, निबंध, भाषण, पेंटिंग, कविता, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है।[1]
राष्ट्रीय एकता दिवस के प्रसिद्ध नारे
- एकता- मूलमंत्र हैं यह विकास का, देश के सौंदर्य और उद्धार का।
- हर एक शब्द भारी हैं, जब एकता में देश की हर कौम सारी हैं।
- एकता ही देश का बल हैं, एकता में ही सुनहरा पल हैं।
- जब तक रहेगी साठ गाठ, होता रहेगा देश का विकास।
- याद रखो एकता का मान, तब ही होगी देश आन।
- एकता में ही संबल हैं जिस देश में नही वो दुर्बल हैं।[1]
राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता
राष्ट्र की एकता ही हैं उसका आधार
न थोपों उस पर सांप्रदायिक विचार
क्यूँ करते हो भेद ईश्वर के बन्दों में
हर मज़हब सिखाता हैं प्रेम बाँटो सब में
क्यूँ करते हो वैचारिक लड़ाई
बनता हैं यह भारत माँ के लिए दुखदाई
एक भूमि का टुकड़ा नहीं हैं मेरा देश
मेरी माँ का हैं यह सुंदर परिवेश
इसके उद्धार में ही हैं अलौकिक प्रकाश
सबके साथ में ही हैं सबका विकास
एकता ही हैं अंत दुखों का
एकता में ही हैं कल्याण अपनों का[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 राष्ट्रीय एकता दिवस महत्व भाषण कविता अनमोल वचन (हिंदी) www.deepawali.co.in। अभिगमन तिथि: 31 अक्टूबर, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
- राष्ट्रीय एकता दिवस
- National Unity Day (Rashtriya Ekta Diwas)
- राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर राजपथ से प्रधानमंत्री के “रन फॉर यूनिटी” भाषण का मूल पाठ
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