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}}'''शारदा मुखर्जी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sharada Mukherjee'', जन्म- [[24 फ़रवरी]], [[1919]]; मृत्यु- [[2007]]) भारतीय राजनीतिज्ञ थीं। वह तीसरी और चौथी [[लोकसभा]] में [[महाराष्ट्र]] के रत्नागिरी से चुनाव जीत कर [[संसद]] में पहुंची थीं। वे स्वतंत्र [[भारत]] के पहले वायुसेना प्रमुख [[सुब्रतो मुखर्जी]] की पत्नी थीं। शारदा मुखर्जी [[जवाहरलाल नेहरू]] की बहन [[विजयलक्ष्मी पंडित|विजयालक्ष्मी पंडित]] की भतीजी भी थीं। संसदीय पारी के बाद उन्होंने [[गुजरात]] और [[आंध्र प्रदेश के राज्यपाल]] के तौर पर भी काम किया। | |||
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शारदा मुखर्जी
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पूरा नाम | शारदा मुखर्जी |
जन्म | 24 फ़रवरी, 1919 |
जन्म भूमि | राजकोट, गुजरात |
मृत्यु | 2007 |
मृत्यु स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | सुब्रतो मुखर्जी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | भूतपूर्व राज्यपाल, आंध्र प्रदेश- 5 मई, 1977 से 15 अगस्त, 1978 |
विद्यालय | एलिफिंस्टन कॉलेज, मुंबई और लॉ कॉलेज, मुंबई |
अन्य जानकारी | कांग्रेस पार्टी ने शारदा मुखर्जी को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी लोकसभा से 1962 में टिकट दिया। यहां शारदा मुखर्जी ने अच्छी जीत दर्ज की। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन विचारे को हराया था। |
शारदा मुखर्जी (अंग्रेज़ी: Sharada Mukherjee, जन्म- 24 फ़रवरी, 1919; मृत्यु- 2007) भारतीय राजनीतिज्ञ थीं। वह तीसरी और चौथी लोकसभा में महाराष्ट्र के रत्नागिरी से चुनाव जीत कर संसद में पहुंची थीं। वे स्वतंत्र भारत के पहले वायुसेना प्रमुख सुब्रतो मुखर्जी की पत्नी थीं। शारदा मुखर्जी जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयालक्ष्मी पंडित की भतीजी भी थीं। संसदीय पारी के बाद उन्होंने गुजरात और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर भी काम किया।
परिचय
शारदा मुखर्जी का जन्म 1919 में 24 फरवरी को गुजरात के राजकोट में एक मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता प्रताप सीताराम पंडित थे। उनकी मां सरस्वती बाई पंडित फिल्म अभिनेत्री दुर्गा खोटे की बहन थीं। नेहरू जी की बहन विजयलक्ष्मी पंडित उनकी चाची थीं। शारदा मुखर्जी की शिक्षा कैथेड्रल गर्ल हाईस्कूल मुंबई, एलिफिंस्टन कॉलेज, मुंबई और लॉ कॉलेज मुंबई में हुई। दूसरे विश्व युद्ध से पहले वायुसेना के अधिकारी सुब्रतो मुखर्जी से उन्होंने विवाह किया, जो स्वतंत्र भारत के पहले एयरचीफ मार्शल बने। शारदा मुखर्जी अपने समय में ब्यूटी आइकोन मानी जाती थीं।[1]
राजनीति में सक्रियता
पति के वायुसेना में रहते हुए शारदा मुखर्जी समाज सेवा और चैरिटी की कई गतिविधियों में सक्रिय रहीं। वे भारतीय वायु सेना की चैरिटी एसोसिएशन की सदस्य रहीं। तब इंदिरा गांधी इस संगठन की अध्यक्ष थीं। वे योजना आयोग में रक्षा मामलों की अध्ययन टीम की सदस्य भी रहीं। टोकियो में 1960 में पति की मृत्यु के बाद शारदा मुखर्जी राजनीति में सक्रिय हुईं।
संसद सदस्य
कांग्रेस पार्टी ने शारदा मुखर्जी को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी लोकसभा से 1962 में टिकट दिया। यहां शारदा मुखर्जी ने अच्छी जीत दर्ज की। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन विचारे को हराया था। वे 1967 में एक बार फिर रत्नागिरी लोकसभा क्षेत्र से ही चुनीं गईं। इस बार उन्होंने जनसंघ के आरवी कालसेकर को हराया। रत्नागिरी का इलाका अलफांसो आम और काजू की खेती के लिए प्रसिद्ध है। सांसद के तौर पर नेशनल शिपिंग बोर्ड, रक्षा मामलों की सलाहकार समिति, राष्ट्रीय लघु बचत योजना सलाहकार बोर्ड की सदस्य रहीं। उन्होंने इन बोर्ड में कई महत्वपूर्ण सलाह भी दिए।[1]
आंध्र और गुजरात की राज्यपाल
सन 1967 में कांग्रेस के विभाजन के बाद शारदा मुखर्जी कांग्रेस ओ में चली गईं। बाद में उनका झुकाव जनता पार्टी की ओर हो गया। शारदा मुखर्जी को 1977 में देश में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद 5 मई को आंध्र प्रदेश की राज्यपाल नियुक्त किया गया। एक साल बाद उनका तबादला गुजरात के राज्यपाल के तौर पर कर दिया गया। वे 1983 तक गुजरात प्रदेश की राज्यपाल रहीं। दुनिया के कई देशों का दौरा कर चुकी शारदा मुखर्जी अखबारों में रक्षा मामलों पर लिखा करती थीं।
मृत्यु
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 पहले वायुसेना प्रमुख की पत्नी शारदा मुखर्जी दो बार सांसद बनीं (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 19 जून, 2021।