महन्त अवैद्यनाथ

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महन्त अवैद्यनाथ
महन्त अवैद्यनाथ
महन्त अवैद्यनाथ
पूरा नाम महन्त अवैद्यनाथ
अन्य नाम कृपाल सिंह बिष्ट (मूल नाम)
जन्म 28 मई, 1921
जन्म भूमि ग्राम काण्डी, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड
मृत्यु 12 सितम्बर, 2014
मृत्यु स्थान गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
अभिभावक पिता- राय सिंह बिष्ट
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ तथा गोरखनाथ मठ के भूतपूर्व पीठाधीश्वर
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
चुनाव क्षेत्र गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
अन्य जानकारी महन्त अवेद्यनाथ ने 1962, 1967, 19741977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया और 1970, 1989, 1991 और 1996 में गोरखपुर से लोकसभा सदस्य रहे।

महन्त अवैद्यनाथ (मूल नाम- 'कृपाल सिंह बिष्ट', अंग्रेज़ी: Mahant Avaidyanath, जन्म- 28 मई, 1921; मृत्यु- 12 सितम्बर, 2014) भारतीय राजनीतिज्ञ तथा गोरखनाथ मठ के भूतपूर्व पीठाधीश्वर थे। वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए थे। इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए।

परिचय

महन्त अवेद्यनाथ का जन्म 28 मई, 1921 को ग्राम काण्डी, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड में राय सिंह बिष्ट के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम कृपाल सिंह बिष्ट था। कालांतर में वह भारत के राजनेता तथा गुरु गोरखनाथ मन्दिर के पीठाधीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए। महन्त अवैद्यनाथ ने हिन्दू धर्म की आध्यात्मिक साधना के साथ सामाजिक हिन्दू साधना को भी आगे बढ़ाया और सामाजिक जनजागरण को अधिक महत्वपूर्ण मानकर हिन्दू धर्म के सोशल इंजीनियरिग पर बल दिया। योगी आदित्यनाथ के 'हिन्दू युवा वाहिनी' जैसे युवा संगठन की प्रेरणा भी कहीं न कहीं इसी सोशल इंजीनियरिग की प्रेरणा थी।

महन्त

हिमालय और कैलाश मानसरोवर की यात्रा और साधना से शैव धर्म से गहरे प्रभावित महन्त अवैद्यनाथ पहली बार 1940 में अपनी बंगाल यात्रा के दौरान मेंमन सिंह के माध्यम से दिग्विजय नाथ से मिले। 8 फ़रवरी, 1942 को वह गोरक्षनाथ पीठ के उत्तराधिकारी बन गए और इस तरह मात्र 23 साल की अवस्था में कृपाल सिंह बिष्ट से महन्त अवैद्यनाथ बनकर सदैव के लिए अमर हो गये। आजन्म विवादों से दूर रहने वाले, विरक्त सन्यासी, सज्जन, सरल और सुमधुर और मितभाषी व्यक्तित्व के धनी महन्त अवैद्यनाथ ने रामजन्म भूमि आन्दोलन को मात्र गति ही नहीं दी अपितु एक संरक्षक की भाँती हर तरह से रक्षित और पोषित किया।

राजनीतिक जीवन

महन्त अवैद्यनाथ पर जारी डाक टिकट

दक्षिण भारत के रामनाथपुरम और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मान्तरण की घटना से खासे आहत होते हुए महन्त अवैद्यनाथ ने राजनीति में पदार्पण किया। इस घटना का विस्तार उत्तर भारत में न हो, इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गए और राजनीति में रहकर मतान्तरण का ध्रुवीकरण करने के कुटिल प्रयासों को असफल किया।

महन्त अवेद्यनाथ ने 1962, 1967, 19741977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया और 1970, 1989, 1991 और 1996 में गोरखपुर से लोकसभा सदस्य रहे। 34 वर्षों तक 'हिन्दू महासभा' और 'भारतीय जनता पार्टी' से जुड़े रहकर हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में गति देने वाले और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले महन्त अवेद्यनाथ ने स्वयं को अवसरवाद और पदभार से स्वयं को दूर रखा और इस तरह उन्होंने राजयोग में भी हठयोग का प्रयोग बखूबी किया। कितने पद स्वयं महाराज जी के चरणों में आकर स्वयं सुशोभित होते थे और आशीष लेते थे।

योगी आदित्यनाथ

अजय सिंह (योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश) के पिता चाहते थे कि बेटा पढ़कर अच्छी नौकरी हासिल करे और घर चलाने में उनकी मदद करे। इस दौरान अजय सिंह जनांदोलनों में शामिल होने लगे थे। अजय सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में भी हिस्सा लिया।

योगी आदित्यनाथ के साथ महन्त अवैद्यनाथ

राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने के कारण अजय सिंह काफी चर्चित हो गए थे। तब तक अजय सिंह युवाओं के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो चुके थे। सन 1992 में राम मंदिर आंदोलन की तैयारियों को लेकर एबीवीपी की सभा में अजय सिंह ने भाग लिया। इस सभा में महंत अवैद्यनाथ भी आए हुए थे। उन्होंने अजय सिंह को देखते ही उनके भविष्य को भांप लिया। अजय सिंह महंत अवैद्यनाथ से इतना प्रभावित हुए कि उनके सानिध्य में जीवन गुजारने का मन बना लिया। सभा के बाद अजय सिंह अपने घर तो लौट गए लेकिन घर में ज्यादा दिन तक रुक नहीं पाए। अजय ​ने अपनी मां को गोरखपुर जाने की बात कहते हुए घर छोड़ दिया।[1]


अजय सिंह जब गोरखपुर पहुंचे और महंत अवैद्यनाथ से मिले तो सन्यासी बनने की इच्छा जताई। गुरु अवैद्यनाथ ने अजय सिंह को दीक्षा देकर अजय सिंह बिस्ट से योगी आदित्यनाथ बना दिया। योगी आदित्यनाथ आश्रम में ही रहने लगे। जब छह महीने बाद भी अजय सिंह अपने घर वापस नहीं लौटे तो मां ने पिता को गोरखपुर बेटे का पता लगाने भेजा। अजय के पिता जब पूछताछ करते हुए महंत अवैद्यनाथ के आश्रम पहुंचे तो बेटे को योगी भेष धारण किए देख चकित रह गए। उन्होंने बेटे से घर वापस चलने के लिए कहा, लेकिन योगी बन चुके अजय ने मना कर दिया। गुरु अवैद्यनाथ ने अजय के पिता को चार में से एक बेटे को समाजसेवा के लिए देने के लिए मना लिया।

मृत्यु

महन्त अवेद्यनाथ का निधन 12 सितम्बर, 2014 को हुआ। उन्हें नाथ परंपरा के अनुसार समाधि दी गयी। वे काफी समय से बीमार थे। एक माह से गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में वह भर्ती थे। हालत अधिक बिगड़ने पर उन्हें विशेष विमान से गोरखपुर लाया गया था, जहां उन्होंने शरीर छोड़ा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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