"गीता 15:8": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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यह जीवात्मा मनसहित छ: इन्द्रियों को किस समय, किस प्रकार और किस लिये आकर्षित करता है तथा वे मनसहित छ: | यह जीवात्मा मनसहित छ: इन्द्रियों को किस समय, किस प्रकार और किस लिये आकर्षित करता है तथा वे मनसहित छ: [[इन्द्रियाँ]] कौन-कौन हैं- ऐसी जिज्ञासा होने पर अब दो [[श्लोक|श्लोकों]] में इसका उत्तर दिया जाता है- | ||
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[[वायु देव|वायु]] गन्ध के स्थान से गन्ध को जैसे ग्रहण करके ले जाता है, वैसे ही देहादि का स्वामी जीवात्मा भी जिस शरीर का त्याग करता है, उससे इन मनसहित इन्द्रियों को ग्रहण करके फिर जिस शरीर को प्राप्त होता है, उसमें जाता है ।।8।। | [[वायु देव|वायु]] गन्ध के स्थान से गन्ध को जैसे ग्रहण करके ले जाता है, वैसे ही देहादि का स्वामी जीवात्मा भी जिस शरीर का त्याग करता है, उससे इन मनसहित इन्द्रियों को ग्रहण करके फिर जिस शरीर को प्राप्त होता है, उसमें जाता है ।।8।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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10:54, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-8 / Gita Chapter-15 Verse-8
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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