"गीता 1:13": अवतरणों में अंतर
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< | [[धृतराष्ट्र]]<ref>धृतराष्ट्र [[पाण्डु]] के बड़े भाई थे। [[गाँधारी]] इनकी पत्नी थी और [[कौरव]] इनके पुत्र। वे पाण्डु के बाद [[हस्तिनापुर]] के राजा बने थे।</ref> ने पूछा था कि युद्ध में एकत्रित होने के बाद मेरे और [[पाण्डु]]<ref>पाण्डु [[हस्तिनापुर]] के राजा और [[धृतराष्ट्र]] के भाई थे। ये [[पांडव|पांडवों]] के [[पिता]] थे।</ref> के पुत्रों ने क्या किया, इसके उत्तर में [[संजय]]<ref>संजय [[धृतराष्ट्र]] की राजसभा का सम्मानित सदस्य था। जाति से वह बुनकर था। वह विनम्र और धार्मिक स्वभाव का था और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध था। वह राजा को समय-समय पर सलाह देता रहता था।</ref> ने अब तक धृतराष्ट्र के पक्ष वालों की बात सुनायी। अब [[पांडव]]<ref>पांडव [[कुन्ती]] के पुत्र थे। इनके नाम [[युधिष्ठर]], [[भीम]], [[अर्जुन]], [[नकुल]] और [[सहदेव]] थे।</ref> ने क्या किया, उसे पाँच श्लोकों में बतलाते हैं- | ||
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इसके | इसके पश्चात् [[शंख]] और [[नगाड़ा|नगारे]] तथा [[ढोल]], [[मृदंग]] और नरसिंघे आदि बाजे एक साथ ही बज उठे । उनका वह शोर बड़ा भयंकर हुआ ।।13।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:50, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-13 / Gita Chapter-1 Verse-13
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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