"गंगा माता की आरती": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{आरती स्तुति स्त्रोत}}" to "{{आरती स्तुति स्तोत्र}}") |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:gangar23.jpg|thumb|300|गंगा माता<br />Ganga Mata]] | [[चित्र:gangar23.jpg|thumb|300|गंगा माता<br />Ganga Mata]] | ||
<blockquote><span style="color: maroon"><poem> | <blockquote><span style="color: maroon"><poem> | ||
जय गंगे माता श्री जय गंगे माता । | ॐ जय गंगे माता श्री जय गंगे माता । | ||
जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता ।। | जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता ।। | ||
चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता । | चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता । | ||
शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ।। | शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ।। | ||
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता । | पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता । | ||
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ।। | कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ।। | ||
एक ही बार जो तेरी शारणागति आता । | एक ही बार जो तेरी शारणागति आता । | ||
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता ।। | यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता ।। | ||
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता । | आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता । | ||
दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता ।। | |||
ओउम जय गंगे माता | | |||
</poem></span></blockquote> | </poem></span></blockquote> | ||
19:04, 9 सितम्बर 2011 का अवतरण

Ganga Mata
ॐ जय गंगे माता श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता ।।
चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ।।
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ।।
एक ही बार जो तेरी शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता ।।
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता ।।
ओउम जय गंगे माता |
इन्हें भी देखें: गंगा नदी एवं गंगा चालीसा
|
|
|
|
|