"पत्थर का आसमान -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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"बड़ी तबियत से उछाला था पत्थर तुमने | "बड़ी तबियत से उछाला था पत्थर तुमने | ||
आसमान में | आसमान में | ||
सूराख़ हुआ क्या ?" | |||
परबत सी पीर लिये | परबत सी पीर लिये | ||
दिन बोला | दिन बोला | ||
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कमबख्त वो भी | कमबख्त वो भी | ||
आसमान बन जाते हैं | आसमान बन जाते हैं | ||
कि उसमें | कि उसमें सूराख़ करना तो | ||
दूर की बात है | दूर की बात है | ||
हम तो उन्हें | हम तो उन्हें |
15:19, 7 अप्रैल 2012 का अवतरण
![]() पत्थर का आसमान -आदित्य चौधरी
पूस की रात ने
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