"गीता 2:1": अवतरणों में अंतर
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'''संजय बोले-''' | '''संजय बोले-''' | ||
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उस प्रकार | उस प्रकार करुणा से व्याप्त और आँसुओं से पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रों वाले शोकयुक्त उस अर्जुन के प्रति भगवान् <balloon title="मधुसूदन, केशव, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।" style="color:green">मधुसूदन</balloon> ने यह वचन कहा ।।1।। | ||
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तथा = पूर्वोक्त प्रकारसे ; कृपया = | तथा = पूर्वोक्त प्रकारसे ; कृपया = करुणा करके ; आविष्टम् = व्याप्त (और) ; अश्रुपूर्णा कुलेक्षणम् = आंसुओंसे पूर्ण (तथा) व्याकुल नेत्रोंवाले ; विषीदन्तम् = शोकयुक्त ; तम् = उस (अर्जुन) के प्रति ; मधुसूदन: = भगवान् मधुसूदनने ; इदम् = यह ; वाक्यम् = वचन ; उवाच = कहा | ||
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03:16, 7 अप्रैल 2010 का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-1 / Gita Chapter-2 Verse-1
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