"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Lekhan-Samagri-1.jpg|right|100px|सिंधु सभ्यता की उत्कीर्ण मुद्रा ]]'काँसा' एक [[मिश्र धातु]] है, जो [[ताँबा|ताँबे]] और [[जस्ता|जस्ते]] अथवा [[ताँबा|ताँबे]] और [[टिन]] के योग से बनाई जाती है। [[काँसा]], ताँबे की अपेक्षा अधिक कड़ा होता है और कम [[ताप]] पर पिघलता है। इसलिए काँसा सुविधापूर्वक ढाला जा सकता है। आमतौर पर साधारण बोलचाल में कभी-कभी [[पीतल]] को भी काँसा कह दिया जाता है, जो ताँबे तथा जस्ते की मिश्र धातु है और [[पीला रंग|पीले रंग]] का होता है। पुराकालीन वस्तुओं में काँसे से निर्मित वस्तुएँ काफ़ी महत्त्वपूर्ण थीं। इसीलिए उस युग को "कांस्य युग" का नाम दिया गया था। काँसे को [[अंग्रेज़ी]] में 'ब्रोंज़' कहते हैं। यह [[फ़ारसी भाषा]] का मूल शब्द है। काँसा, जिसे [[संस्कृत]] में 'कांस्य' कहा जाता है, संस्कृत कोशों के अनुसार श्वेत ताँबे अथवा घंटा बनाने की [[धातु]] को कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काँसा|काँस्य]] | |||
{सैन्धव सभ्यता का प्रमुख बन्दरगाह एवं व्यापारिक केन्द्र कौन सा?(पृ.सं. 178 | {[[सैन्धव सभ्यता]] का प्रमुख बन्दरगाह एवं व्यापारिक केन्द्र कौन सा?(पृ.सं. 178 | ||
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-[[हड़प्पा]] | -[[हड़प्पा]] | ||
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-[[कालीबंगा]] | -[[कालीबंगा]] | ||
-[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | -[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | ||
||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right|100px|लोथल के पुरातत्त्व स्थल]]'लोथल' [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद ज़िले]] में 'भोगावा नदी' के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। इस स्थल की खुदाई [[1954]]-[[1955]] ई. में 'रंगनाथ राव' के नेतृत्व में की गई थी। इस स्थल से समकालीन सभ्यता के पांच स्तर पाए गए हैं। यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्ध उपलब्धि हड़प्पा कालीन बन्दरगाह के अतिरिक्त विशिष्ट मृदभांड, उपकरण, मुहरें, बांट तथा माप एवं पाषाण उपकरण है। [[लोथल]] से तीन युग्मित समाधि के भी उदाहरण मिले हैं। बन्दरगाह लोथल की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। इस बन्दरगाह पर [[मिस्र]] तथा मेसोपोटामिया से जहाज़ आते जाते थे। इसका औसत आकार 214x36 मीटर एवं गहराई 3.3 मीटर है। इसके उत्तर में 12 मीटर चौड़ा एक प्रवेश द्वार निर्मित था, जिससे होकर जहाज़ आते-जाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोथल]] | |||
{निम्न में से किस क्रांतिकारी ने 'राणा प्रताप', 'सम्राट चन्द्रगुप्त' और 'भारत दुर्दशा' नामक [[नाटक|नाटकों]] में अभिनय किया था?(भारतकोश) | {निम्न में से किस क्रांतिकारी ने 'राणा प्रताप', 'सम्राट चन्द्रगुप्त' और 'भारत दुर्दशा' नामक [[नाटक|नाटकों]] में अभिनय किया था?(भारतकोश) | ||
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-[[करतार सिंह सराभा]] | -[[करतार सिंह सराभा]] | ||
-[[रामप्रसाद बिस्मिल]] | -[[रामप्रसाद बिस्मिल]] | ||
||[[चित्र:Bhagat-Singh.gif|right|100px|भगत सिंह]]'अमर शहीद सरदार भगत सिंह' का नाम विश्व में 20वीं शताब्दी के अमर शहीदों में बहुत ऊँचा है। [[भगत सिंह]] ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। [[गाँधीजी]] के '[[असहयोग आंदोलन]]' से प्रभावित होकर [[1921]] में भगत सिंह ने स्कूल छोड़ दिया थी। आंदोलन से प्रभावित छात्रों के लिए [[लाला लाजपतराय]] ने [[लाहौर]] में 'नेशनल कॉलेज' की स्थापना की थी। इसी कॉलेज में भगत सिंह ने भी प्रवेश लिया। 'पंजाब नेशनल कॉलेज' में उनकी देश भक्ति की भावना फलने-फूलने लगी थी। इसी कॉलेज में यशपाल, भगवतीचरण, [[सुखदेव]], तीर्थराम, झण्डा सिंह आदि क्रांतिकारियों से उनका संपर्क हुआ। कॉलेज में एक 'नेशनल नाटक क्लब' भी था। इसी क्लब के माध्यम से भगत सिंह ने देशभक्तिपूर्ण नाटकों में अभिनय भी किया। ये नाटक थे- 'राणा प्रताप', 'सम्राट चन्द्रगुप्त' और 'भारत दुर्दशा'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भगत सिंह]] | |||
{[[कुषाण]] शासक [[कनिष्क]] के निर्माण कार्यों का निरीक्षक अभियन्ता अधिकारी कौन था? | {[[कुषाण]] शासक [[कनिष्क]] के निर्माण कार्यों का निरीक्षक अभियन्ता अधिकारी कौन था? |
07:05, 16 जुलाई 2013 का अवतरण
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