"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
! style="width:25%;"| संबंधित चित्र | ! style="width:25%;"| संबंधित चित्र | ||
! style="width:15%;"| दिनांक | ! style="width:15%;"| दिनांक | ||
|- | |||
| | |||
{| width="100%" style="background:transparent; boder:0px" | |||
|- | |||
| | |||
<poem> | |||
हर शाख पे बैठे उल्लू से, | |||
कोई प्यार से जाके ये पूछे | |||
है क्या अपराध गुलिस्तां का ? | |||
जो शाख पे आके तुम बैठे ! | |||
कितने सपने कितने अरमां | |||
लेकर हम इनसे मिलते हैं | |||
बेदर्द ये पंजों से अपने | |||
सबकी किस्मत को खुरचते हैं | |||
उल्लू तो चुप ही रहते हैं | |||
वो बोलेंगे, इस कोशिश में | |||
हम चप्पल जूते घिसते हैं | |||
दिन-रात दर्द से पिसते हैं | |||
</poem> | |||
| | |||
<poem> | |||
ना शाख कभी ये सूखेंगी | |||
ना पेड़ कभी ये कटना है | |||
जब भी कोई शाख नई होगी | |||
उल्लू ही उसमें बसना है | |||
इस जंगल में अब आग लगे | |||
और सारे उल्लू भस्म करे | |||
फिर नया एक सावन आए | |||
और नया सवेरा पहल करे | |||
तब नई कोंपलें फूटेंगी | |||
और नई शाख उग आएगी | |||
फिर नये गीत ही गूँजेंगे | |||
और नई ज़िन्दगी गाएगी | |||
</poem> | |||
|} | |||
| [[चित्र:Aditya-Chaudhary-facebook-post-31.jpg|250px|center]] | |||
| 4 जून, 2014 | |||
|- | |- | ||
| | | |
13:39, 5 जून 2014 का अवतरण
आदित्य चौधरी फ़ेसबुक पोस्ट
वर्ष 2010-2011 • वर्ष 2012 •
सितंबर 2013 • अक्तूबर 2013 • नवंबर 2013 • दिसंबर 2013 • जनवरी 2014 • फ़रवरी 2014 • मार्च 2014 • अप्रॅल 2014 • मई 2014 • जून 2014 • जुलाई 2014 • अगस्त 2014 • सितंबर 2014 • अक्टूबर 2014 • नवंबर 2014 • दिसंबर 2014 • जनवरी 2015 • फ़रवरी 2015 • मार्च 2015 • अप्रॅल 2015 • मई 2015 • जून 2015 • जुलाई-सितम्बर 2015 • अक्टूबर-दिसम्बर 2015 • जनवरी-जून 2016 • जुलाई-दिसम्बर 2016 • जनवरी-मार्च 2017 • अप्रैल 2017 • मई-दिसंबर 2017