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'''मंगूराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Manguram'', जन्म- [[14 जनवरी]], [[1886]], होशियापुर ज़िला, [[पंजाब]]; मृत्यु- [[22 अप्रैल]], [[1980]]) समाज सुधारक के रूप में कार्य करते थे। इनके संबंध कुछ समय तक '[[गदर पार्टी]]' से भी रहे। मंगूराम ने अछूतों में शिक्षा प्रचार के लिए सबसे पहले अपने गांव में स्कूल खोला- नाम रखा 'आद धर्म स्कूल'। बाबू मंगूराम ने 'लैंड एलिएनेशन एक्ट' के विरोध में आवाज उठाई और [[अदालत]] ने अनुसूचित जाति के लोगों को खेती की जमीन खरीदने की मान्यता दे दी<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=586|url=}}</ref> | '''मंगूराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Manguram'', जन्म- [[14 जनवरी]], [[1886]], होशियापुर ज़िला, [[पंजाब]]; मृत्यु- [[22 अप्रैल]], [[1980]]) समाज सुधारक के रूप में कार्य करते थे। इनके संबंध कुछ समय तक '[[गदर पार्टी]]' से भी रहे। मंगूराम ने अछूतों में शिक्षा प्रचार के लिए सबसे पहले अपने गांव में स्कूल खोला- नाम रखा 'आद धर्म स्कूल'। बाबू मंगूराम ने 'लैंड एलिएनेशन एक्ट' के विरोध में आवाज उठाई और [[अदालत]] ने अनुसूचित जाति के लोगों को खेती की जमीन खरीदने की मान्यता दे दी<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=586|url=}}</ref> | ||
==जन्म एवं परिचय== | ==जन्म एवं परिचय== | ||
बाबू मंगूराम का जन्म 14 जनवरी, 1886 ई. को होशियापुर ज़िले के मुगोवल गांव में एक | बाबू मंगूराम का जन्म 14 जनवरी, 1886 ई. को होशियापुर ज़िले के मुगोवल गांव में एक ग़रीब दलित [[परिवार]] में हुआ था। उनके घर में चमड़े का काम होता था और बचपन में मंगूराम ने भी इसमें अपने [[पिता]] का हाथ बंटाया। परंतु मंगूराम की इच्छा पढ़ने की थी। पर ग़रीब होने, विशेषत: उनकी जाति के कारण उन्हें इसकी सुविधा नहीं थी। संयोग से बालक मंगूराम का संपर्क एक साधु से हुआ और उनकी लगन देखकर साधु ने पहले स्वयं उन्हें पढ़ाया। फिर दूर के एक स्कूल में और कुछ समय [[देहरादून]] में भी पढ़ने का अवसर मिला। दलित वर्ग का होने के कारण मंगूराम को कक्षा के अंदर नहीं बैठने दिया जाता था। वे बाहर खिड़की से भीतर देखकर पढ़ाई किया करते थे। | ||
====गदर पार्टी से संबंध==== | ====गदर पार्टी से संबंध==== |
09:18, 12 अप्रैल 2018 का अवतरण
मंगूराम
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पूरा नाम | मंगूराम |
जन्म | 14 जनवरी, 1886 |
जन्म भूमि | होशियापुर ज़िला, पंजाब |
मृत्यु | 22 अप्रैल, 1980 |
कर्म-क्षेत्र | पंजाब |
प्रसिद्धि | समाज सुधारक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | मंगूराम के प्रयत्न से अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को स्कूल, कॉलेजों में प्रवेश मिलने लगा। यह बहुत बड़ी सफलता थी। मंगूराम के प्रयत्नों से दलितों में शिक्षा का भी प्रचार हुआ। |
अद्यतन | 03:11, 21 जनवरी-2017 (IST) |
मंगूराम (अंग्रेज़ी: Manguram, जन्म- 14 जनवरी, 1886, होशियापुर ज़िला, पंजाब; मृत्यु- 22 अप्रैल, 1980) समाज सुधारक के रूप में कार्य करते थे। इनके संबंध कुछ समय तक 'गदर पार्टी' से भी रहे। मंगूराम ने अछूतों में शिक्षा प्रचार के लिए सबसे पहले अपने गांव में स्कूल खोला- नाम रखा 'आद धर्म स्कूल'। बाबू मंगूराम ने 'लैंड एलिएनेशन एक्ट' के विरोध में आवाज उठाई और अदालत ने अनुसूचित जाति के लोगों को खेती की जमीन खरीदने की मान्यता दे दी[1]
जन्म एवं परिचय
बाबू मंगूराम का जन्म 14 जनवरी, 1886 ई. को होशियापुर ज़िले के मुगोवल गांव में एक ग़रीब दलित परिवार में हुआ था। उनके घर में चमड़े का काम होता था और बचपन में मंगूराम ने भी इसमें अपने पिता का हाथ बंटाया। परंतु मंगूराम की इच्छा पढ़ने की थी। पर ग़रीब होने, विशेषत: उनकी जाति के कारण उन्हें इसकी सुविधा नहीं थी। संयोग से बालक मंगूराम का संपर्क एक साधु से हुआ और उनकी लगन देखकर साधु ने पहले स्वयं उन्हें पढ़ाया। फिर दूर के एक स्कूल में और कुछ समय देहरादून में भी पढ़ने का अवसर मिला। दलित वर्ग का होने के कारण मंगूराम को कक्षा के अंदर नहीं बैठने दिया जाता था। वे बाहर खिड़की से भीतर देखकर पढ़ाई किया करते थे।
गदर पार्टी से संबंध
मंगूराम का संबंध कुछ समय तक 'गदर पार्टी' से भी रहा। पार्टी ने उन्हें अमेरिका के लासऐंजल्स शहर में भेजा था।
समाज सुधारक के रूप में कार्य
1925 में मंगूराम भारत लौटे। उन्होंने देश के कई स्थानों का दौरा किया और अपने वर्ग के लोगों की दुर्दशा देखी। मदुरा के मीनाक्षी मंदिर में मंगूराम को प्रवेश नहीं मिला। पंजाब लौटकर मंगूराम ने अछूतों में शिक्षा प्रचार के लिए सबसे पहले अपने गांव में स्कूल खोला- नाम रखा 'आद धर्म स्कूल'। बाद में 'आद धर्म मंडल' के नाम से पूरे पंजाब में उसकी शाखाएं खुलीं और समाजसुधार का कार्य आगे बढ़ा। यह आंदोलन मानव-मानव को परस्पर भाईचारे के बंधन में बांधने का एक प्रयत्न था। इनके प्रयत्न से अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को स्कूल, कॉलेजों में प्रवेश मिलने लगा। पंजाब में अंग्रेज़ों ने 1890 ई. में 'लैंड एलिएनेशन एक्ट' बनाया था। इसके अनुसार अनुसूचित जाति के लोगों को गैर-किसान घोषित करके उनके द्वारा खेती की जमीन की ख़रीद पर रोक लगा रखी थी। बाबू मंगूराम ने इसके विरोध में आवाज उठाई और अदालत ने अनुसूचित जाति के लोगों को खेती की जमीन खरीदने की मान्यता दे दी। यह बहुत बड़ी सफलता थी। मंगूराम के प्रयत्नों से दलितों में शिक्षा का भी प्रचार हुआ।
निधन
22 अप्रैल, 1980 को मंगूराम का निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 586 |
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