"गीता 4:12": अवतरणों में अंतर
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नवें श्लोक में भगवान् के दिव्य जन्म और कर्मों को | नवें श्लोक में भगवान् के दिव्य जन्म और कर्मों को तत्त्व से जानने का फल भगवान् की प्राप्ति बतलाया गया । उसके पूर्व भगवान् के जन्म की दिव्यता का विषय तो भलीभाँति समझाया गया, किंतु भगवान् के कर्मों की दिव्यता का विषय स्पष्ट नहीं हुआ; इसलिये अब भगवान् दो श्लोकों में अपने सृष्टि-रचनादि कर्मों में कर्तापन, विषमता और स्पृहा का अभाव दिखलाकर उन कर्मों की दिव्यता का विषय समझाते हैं- | ||
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06:59, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-12 / Gita Chapter-4 Verse-12
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