"हम्पी": अवतरणों में अंतर
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हम्पी [[कर्नाटक]] राज्य में स्थित है। यह प्राचीन समय में [[विजयनगर साम्राज्य]] से संबंधित तथा हिंदू शासन का प्रमुख केंन्द्र था। एक समय में हम्पी रोम से भी समृद्ध नगर था। | हम्पी [[कर्नाटक]] राज्य में स्थित है। यह प्राचीन समय में [[विजयनगर साम्राज्य]] से संबंधित तथा हिंदू शासन का प्रमुख केंन्द्र था। एक समय में हम्पी रोम से भी समृद्ध नगर था। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
हम्पी का इतिहास प्रथम शताब्दी से प्रारंभ होता है। उस समय इसके आसपास बौद्धों का कार्यस्थल था। बाद में हम्पी विजयनगर के साम्राज्य की राजधानी बना। विजयनगर हिन्दुओं के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। हरिहर और बुक्का नामक दो भाईयों ने 1336 ई.में इस साम्राज्य की स्थापना की थी। कृष्णदेवराय ने यहाँ 1509-1529 के बीच हम्पी में शासन किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। हम्पी में शेष रहे अधिकतर स्मारकों का निर्माण कृष्णदेव राय (1509-1529) ने करवाया था। यहाँ चार पंक्तियों की किलेबंदी नगर की रक्षा करती थी। इस साम्राज्य की विशाल सेना दूसर राज्यों से इसकी रक्षा करती थीं। [[कर्नाटक]] राज्य में स्थित हम्पी को [[रामायण]] काल में पम्पा और [[किष्किन्धा]] के नाम से जाना जाता था। हम्पी नाम हम्पादेवी के मंदिर के कारण पड़ा। हम्पादेवी मंदिर ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था। | हम्पी का इतिहास प्रथम शताब्दी से प्रारंभ होता है। उस समय इसके आसपास [[बौद्ध|बौद्धों]] का कार्यस्थल था। बाद में हम्पी विजयनगर के साम्राज्य की राजधानी बना। विजयनगर हिन्दुओं के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। हरिहर और बुक्का नामक दो भाईयों ने 1336 ई.में इस साम्राज्य की स्थापना की थी। कृष्णदेवराय ने यहाँ 1509-1529 के बीच हम्पी में शासन किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। हम्पी में शेष रहे अधिकतर स्मारकों का निर्माण कृष्णदेव राय (1509-1529) ने करवाया था। यहाँ चार पंक्तियों की किलेबंदी नगर की रक्षा करती थी। इस साम्राज्य की विशाल सेना दूसर राज्यों से इसकी रक्षा करती थीं। [[कर्नाटक]] राज्य में स्थित हम्पी को [[रामायण]] काल में पम्पा और [[किष्किन्धा]] के नाम से जाना जाता था। हम्पी नाम हम्पादेवी के मंदिर के कारण पड़ा। हम्पादेवी मंदिर ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था। | ||
==यातायात और परिवहन== | |||
हम्पी जाने के लिए वायु, रेल और सड़क मार्ग को अपनी सुविधा के अनुसार अपनाया जा सकता है। | हम्पी जाने के लिए वायु, रेल और सड़क मार्ग को अपनी सुविधा के अनुसार अपनाया जा सकता है। | ||
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हम्पी से 77 किलोमीटर दूर बेल्लारी सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। बैंगलोर से बेल्लारी के लिए नियमित उड़ानों की व्यवस्था है। बेल्लारी से राज्य परिवहन की बसों और टैक्सी द्वारा हम्पी पहुँचा जा सकता है। | हम्पी से 77 किलोमीटर दूर बेल्लारी सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। बैंगलोर से बेल्लारी के लिए नियमित उड़ानों की व्यवस्था है। बेल्लारी से राज्य परिवहन की बसों और टैक्सी द्वारा हम्पी पहुँचा जा सकता है। | ||
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कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन की सुपर डीलक्स रात्रि बस बैंगलोर जाती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 4 से चित्रदुर्ग तक पहुँचा जा सकता है। | कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन की सुपर डीलक्स रात्रि बस बैंगलोर जाती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 4 से चित्रदुर्ग तक पहुँचा जा सकता है। | ||
==उद्योग== | |||
रुई और मसालों के व्यापारिक मार्ग पर नियंत्रण करने के बाद हम्पी की ख़ूब उन्नति हुई। इतिहासकारों ने हम्पी को व्यापार का प्रमुख केन्द्र कहा है। विजयनगर साम्राज्य के अर्न्तगत कर्नाटक, [[महाराष्ट्र]] और [[आन्ध्र प्रदेश]] के राज्य आते थे। कृष्णदेवराय की मृत्यु के बाद इस विशाल साम्राज्य को [[बीदर]], [[बीजापुर]], [[गोलकुंडा]], [[अहमदनगर]] और [[बरार]] की मुस्लिम सेनाओं ने 1565 में नष्ट कर दिया। | |||
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हम्पी की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। यहाँ गर्मियों में अधिक गर्मी और सर्दियों में अधिक ठंड पड़ती है। [[जून]] से [[अगस्त]] तक यहाँ बरसात का मौसम रहता है। [[अक्टूबर]] से [[मार्च]] की अवधि हम्पी जाने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। | |||
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04:55, 22 जनवरी 2011 का अवतरण

Virupaksha Temple, Hampi
हम्पी कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह प्राचीन समय में विजयनगर साम्राज्य से संबंधित तथा हिंदू शासन का प्रमुख केंन्द्र था। एक समय में हम्पी रोम से भी समृद्ध नगर था।
इतिहास
हम्पी का इतिहास प्रथम शताब्दी से प्रारंभ होता है। उस समय इसके आसपास बौद्धों का कार्यस्थल था। बाद में हम्पी विजयनगर के साम्राज्य की राजधानी बना। विजयनगर हिन्दुओं के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। हरिहर और बुक्का नामक दो भाईयों ने 1336 ई.में इस साम्राज्य की स्थापना की थी। कृष्णदेवराय ने यहाँ 1509-1529 के बीच हम्पी में शासन किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। हम्पी में शेष रहे अधिकतर स्मारकों का निर्माण कृष्णदेव राय (1509-1529) ने करवाया था। यहाँ चार पंक्तियों की किलेबंदी नगर की रक्षा करती थी। इस साम्राज्य की विशाल सेना दूसर राज्यों से इसकी रक्षा करती थीं। कर्नाटक राज्य में स्थित हम्पी को रामायण काल में पम्पा और किष्किन्धा के नाम से जाना जाता था। हम्पी नाम हम्पादेवी के मंदिर के कारण पड़ा। हम्पादेवी मंदिर ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था।
यातायात और परिवहन
हम्पी जाने के लिए वायु, रेल और सड़क मार्ग को अपनी सुविधा के अनुसार अपनाया जा सकता है।
- वायमार्ग

Hampi, Karnataka
हम्पी से 77 किलोमीटर दूर बेल्लारी सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। बैंगलोर से बेल्लारी के लिए नियमित उड़ानों की व्यवस्था है। बेल्लारी से राज्य परिवहन की बसों और टैक्सी द्वारा हम्पी पहुँचा जा सकता है।
- रेलमार्ग
हम्पी से 13 किलोमीटर दूर होस्पेट नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन हुबली, बैंगलोर, गुंटाकल से जुड़ा हुआ है। होस्पेट से राज्य परिवहन की नियमित बसें हम्पी तक जाती हैं।
- सड़क मार्ग
कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन की सुपर डीलक्स रात्रि बस बैंगलोर जाती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 4 से चित्रदुर्ग तक पहुँचा जा सकता है।
उद्योग
रुई और मसालों के व्यापारिक मार्ग पर नियंत्रण करने के बाद हम्पी की ख़ूब उन्नति हुई। इतिहासकारों ने हम्पी को व्यापार का प्रमुख केन्द्र कहा है। विजयनगर साम्राज्य के अर्न्तगत कर्नाटक, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के राज्य आते थे। कृष्णदेवराय की मृत्यु के बाद इस विशाल साम्राज्य को बीदर, बीजापुर, गोलकुंडा, अहमदनगर और बरार की मुस्लिम सेनाओं ने 1565 में नष्ट कर दिया।
जलवायु

Hampi, Karnataka
हम्पी की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। यहाँ गर्मियों में अधिक गर्मी और सर्दियों में अधिक ठंड पड़ती है। जून से अगस्त तक यहाँ बरसात का मौसम रहता है। अक्टूबर से मार्च की अवधि हम्पी जाने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।
पर्यटन
यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में शामिल हम्पी भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। 2002 में भारत सरकार ने इसे प्रमुख पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। हम्पी में स्थित दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं- विरूपाक्ष मन्दिर, रघुनाथ मन्दिर, नरसिंह मंन्दिर, सुग्रीव गुफा, विठाला मन्दिर, कृष्ण मन्दिर, प्रसन्ना विरूपक्ष, हजार राम मन्दिर, कमल महल तथा महानवमी डिब्बा आदि। हम्पी से 6 किलोमीटर दूर ही तुंगभद्रा बाँध अवस्थित है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख