"गंगा माता की आरती": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
छो (गंगा माता जी की आरती का नाम बदलकर गंगा माता की आरती कर दिया गया है) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
08:54, 21 मार्च 2011 का अवतरण

Ganga Mata
जय गंगे माता श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता ।।
चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ।।
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ।।
एक ही बार जो तेरी शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता ।।
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता ।।
इन्हें भी देखें: गंगा नदी एवं गंगा चालीसा
|
|
|
|
|