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||[[चित्र:Rajaraja mural-2.jpg|right| | ||[[चित्र:Rajaraja mural-2.jpg|right|100px|राजा राजराजा चोल और गुरु (शिक्षक) करूवुरार]]चोलों की स्थायी सेना में पैदल, गजारोही, अश्वारोही आदि सैनिक शामिल होते थे। इनके पास एक बड़ी शक्तिशाली नौसेना रहती थी, जो [[राजराज प्रथम]] एवं [[राजेन्द्र प्रथम]] के समय में चरमोत्कर्ष पर थी। [[बंगाल की खाड़ी]] [[चोल]] नौसेना के कारण ही 'चोलों की झील' बन गई। 'बड़पेर्र कैककोलस' राजा की व्यक्तिगत सुरक्षा में तैनात पैदल दल को कहते थे, जबकि 'कुंजिर-मल्लर' गजारोही दल को, 'कुदिरैच्चैवगर' अश्वारोही दल को, 'बिल्लिगल' धनुर्धारी दल को कहा जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चोल]] | ||
{'[[तुग़लक़नामा]]' के रचनाकार का नाम है- | {'[[तुग़लक़नामा]]' के रचनाकार का नाम है- | ||
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+[[अमीर ख़ुसरो]] | +[[अमीर ख़ुसरो]] | ||
-[[अलबेरूनी]] | -[[अलबेरूनी]] | ||
||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|right| | ||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|right|100px|अमीर ख़ुसरो]][[जलालुद्दीन ख़िलजी]] के हत्यारे उसके भतीजे [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने भी सुल्तान होने पर [[अमीर ख़ुसरो]] को सम्मानित किया, और उन्हें राजकवि की उपाधि प्रदान की। अलाउद्दीन ख़िलजी की प्रशंसा में अमीर ख़ुसरो ने जो रचनाएँ कीं, वे अभूतपूर्व थीं। ख़ुसरो की अधिकांश रचनाएँ अलाउद्दीन ख़िलजी के राजकाल की ही हैं। [[तुग़लक़नामा]] अमीर ख़ुसरो द्वारा रचित अंतिम कृति है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमीर ख़ुसरो]] | ||
{[[कृष्णदेव राय]] किसके समकालीन थे? | {[[कृष्णदेव राय]] किसके समकालीन थे? |
08:29, 3 अगस्त 2011 का अवतरण
इतिहास
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