"यादों का फंडा -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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इस धोखे से पिंकी पर जो असर हुए वो थे- हैरानी, रोना, चीख़ना, उदासी, अकेलापन और पिंकू को भुला देने की पूरी कोशिश। पिंकू को भुलाने के लिए पिंकी ने अपने मोबाइल फ़ोन से पिंकू के सारे फ़ोटो, एम.एम.एस और सारे एस.एम.एस डिलीट कर दिये। सारी 'टैक्सटिंग' और 'चैट' अपने कम्प्यूटर से उड़ा दी। हॉलमार्क और आर्चीज़ के जो कार्ड पिंकू ने दिये थे, पिंकी ने, पहले तो वो गुस्से में फाड़े और फिर सत्ताइस नम्बर छाप माचिस से जला दिये। | इस धोखे से पिंकी पर जो असर हुए वो थे- हैरानी, रोना, चीख़ना, उदासी, अकेलापन और पिंकू को भुला देने की पूरी कोशिश। पिंकू को भुलाने के लिए पिंकी ने अपने मोबाइल फ़ोन से पिंकू के सारे फ़ोटो, एम.एम.एस और सारे एस.एम.एस डिलीट कर दिये। सारी 'टैक्सटिंग' और 'चैट' अपने कम्प्यूटर से उड़ा दी। हॉलमार्क और आर्चीज़ के जो कार्ड पिंकू ने दिये थे, पिंकी ने, पहले तो वो गुस्से में फाड़े और फिर सत्ताइस नम्बर छाप माचिस से जला दिये। | ||
ई-मेल इनबॉक्स में जितने याहू और 123 ग्रिटिंग कार्ड थे, वो पहले तो डिलीट किये, फिर अपना ई-मेल एकाउंट [email protected] भी बंद कर दिया। अपने फ़ेसबुक एकाउंट wowpinky94 की 'क्लोज़ फ़्रॅन्ड' लिस्ट से पिंकू को 'अनफ़्रॅन्ड' कर दिया। अपने 'प्रोफ़ाइल' से वो गाने और फ़िल्में भी 'लाइक' से हटा दिये जो पिंकू को पसंद होने की वजह से पिंकी ने 'लाइक' किये थे। पिंकू के दोस्तों और पिंकू की बहन को भी अपनी फ्रेंड लिस्ट में से हटा दिया। पिछले तीन वैलेंटाइन-डे पर जो फूल पिंकू ने दिये थे और उन्हें पिंकी ने अपनी हिंदी की किताब में सुखा के रखा हुआ था उन फूलों को पहले बहुत देर तक देखा फिर पैरों से कुचला और कूड़े में फेंक दिये। जिस किताब में वो रखे थे, वो किताब, अपने सलवार-कुर्ते सिलने वाली चढ्डा आंटी की बेटी को दे दी। पिंकू के दिए तीनों फ़्रॅन्डशिप बॅन्ड क़ैंची से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट के बाथरूम में फ्लश कर दिये। | ई-मेल इनबॉक्स में जितने याहू और 123 ग्रिटिंग कार्ड थे, वो पहले तो डिलीट किये, फिर अपना ई-मेल एकाउंट [email protected] भी बंद कर दिया। अपने फ़ेसबुक एकाउंट wowpinky94 की 'क्लोज़ फ़्रॅन्ड' लिस्ट से पिंकू को 'अनफ़्रॅन्ड' कर दिया। अपने 'प्रोफ़ाइल' से वो गाने और फ़िल्में भी 'लाइक' से हटा दिये जो पिंकू को पसंद होने की वजह से पिंकी ने 'लाइक' किये थे। पिंकू के दोस्तों और पिंकू की बहन को भी अपनी फ्रेंड लिस्ट में से हटा दिया। पिछले तीन वैलेंटाइन-डे पर जो फूल पिंकू ने दिये थे और उन्हें पिंकी ने अपनी हिंदी की किताब में सुखा के रखा हुआ था उन फूलों को पहले बहुत देर तक देखा फिर पैरों से कुचला और कूड़े में फेंक दिये। जिस किताब में वो रखे थे, वो किताब, अपने सलवार-कुर्ते सिलने वाली चढ्डा आंटी की बेटी को दे दी। पिंकू के दिए तीनों फ़्रॅन्डशिप बॅन्ड क़ैंची से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट के बाथरूम में फ्लश कर दिये। | ||
एक बड़े से पॉलिथिन बैग में तीन परफ़्यूम, दो टी-शर्ट, एक कुर्ता, एक हेयर पिन, दो टॅडीबीयर (एक छोटा और एक बड़ा), एक कड़ा, दो नेलपेंट, दो लिपिस्टिक, एक जोड़ा हॅडफ़ोंस का, एक पर्स, पैक करके अपने यहाँ काम करने वाली को दे दिये (ज़ाहिर है ये गिफ़्ट पिंकू ने दिये थे) साथ ही कह दिया "ये सारी चीज़ें ले जाओ लेकिन ये ध्यान रखना | एक बड़े से पॉलिथिन बैग में तीन परफ़्यूम, दो टी-शर्ट, एक कुर्ता, एक हेयर पिन, दो टॅडीबीयर (एक छोटा और एक बड़ा), एक कड़ा, दो नेलपेंट, दो लिपिस्टिक, एक जोड़ा हॅडफ़ोंस का, एक पर्स, पैक करके अपने यहाँ काम करने वाली को दे दिये (ज़ाहिर है ये गिफ़्ट पिंकू ने दिये थे) साथ ही कह दिया "ये सारी चीज़ें ले जाओ लेकिन ये ध्यान रखना कि इनमें से किसी भी चीज़ को यहाँ पहन कर मत आना"। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे काम किये गये जिनसे पिंकू की याद पूरी तरह से मिट जाये जैसे- उन रेस्त्रां, मॉल, पार्क आदि में ना जाना जिनमें पिंकू ले गया था। | ||
कुल-मिलाकर हमारी कहानी की हिरोइन पिंकी ने अपने बॉयफ़्रॅन्ड, पिंकू को भुलाने की पूरी कोशिश की लेकिन जितना ज़्यादा भुलाने की कोशिश की जा रही थी उतनी ही पिंकू की याद और मज़बूत होती जा रही थी। पिंकू को भुलाने की कोशिश ही उसको याद करना बनता जा रहा था। दिन-रात पिंकी के दिमाग में पिंकू का चेहरा, पिंकू की बातें वग़ैरा-वग़ैरा चलती रहती थीं। | कुल-मिलाकर हमारी कहानी की हिरोइन पिंकी ने अपने बॉयफ़्रॅन्ड, पिंकू को भुलाने की पूरी कोशिश की लेकिन जितना ज़्यादा भुलाने की कोशिश की जा रही थी उतनी ही पिंकू की याद और मज़बूत होती जा रही थी। पिंकू को भुलाने की कोशिश ही उसको याद करना बनता जा रहा था। दिन-रात पिंकी के दिमाग में पिंकू का चेहरा, पिंकू की बातें वग़ैरा-वग़ैरा चलती रहती थीं। | ||
08:03, 1 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
![]() यादों का फंडा -आदित्य चौधरी पिंकी और पिंकू एक दूसरे के प्यार में पागल थे। सात जन्म, सात समन्दर और सातवें आसमान तक साथ निभाने के वादे थे। अब तो आप समझ ही गये होंगे कि उनके क्या इरादे थे। पिंकी, पिंकू को बहुत चाहती थी और पिंकू, पिंकी को बहुत चाहता था। दोनों एक दूसरे को चाहते रहते थे। इस चाहने से जो थोड़ा बहुत समय मिलता था उसमें वे एक-दूसरे को याद कर लेते थे, बाक़ी दुनियादारी के कामों के लिए उनके पास वक़्त नहीं था। फिर एक वक़्त ऐसा आया जिसमें 'ज़ुल्मी' पिंकू ने 'डिच' करके 'स्विच' करने में कोई 'हिच' नहीं की। ![]() इस धोखे से पिंकी पर जो असर हुए वो थे- हैरानी, रोना, चीख़ना, उदासी, अकेलापन और पिंकू को भुला देने की पूरी कोशिश। पिंकू को भुलाने के लिए पिंकी ने अपने मोबाइल फ़ोन से पिंकू के सारे फ़ोटो, एम.एम.एस और सारे एस.एम.एस डिलीट कर दिये। सारी 'टैक्सटिंग' और 'चैट' अपने कम्प्यूटर से उड़ा दी। हॉलमार्क और आर्चीज़ के जो कार्ड पिंकू ने दिये थे, पिंकी ने, पहले तो वो गुस्से में फाड़े और फिर सत्ताइस नम्बर छाप माचिस से जला दिये। "मुझे ऐसा लगता नहीं है बल्कि ऐसा सचमुच है... तुम्हारे गले में जो लॉकेट है उसमें से चिंटू का फ़ोटो मैंने पंद्रह दिन पहले ही निकाल लिया था। जब तुम मेरे घर आयीं थीं और बाथरूम में इस लॉकेट को भूल गयी थीं। तुमको आज तक मालूम नहीं है कि लॉकेट में चिंटू का फ़ोटो नहीं है क्योंकि तुमने न जाने कितने महीनों से इस लॉकेट को खोल के ही नहीं देखा। तुमने जो चिंटू की अलबम बना कर अपने बॅडरूम में रखी हुई है उस अलबम के कई पन्ने मैंने काफ़ी पहले ही निकाल दिये थे उसका भी तुम्हें आजतक पता नहीं चला। ऐसा लगता है कि बहुत लम्बे समय से तुमने वो अलबम ही नहीं खोल कर देखी। इससे भी बड़ी बात ये है कि तुमने जो ब्लॉग चिंटू के लिए शुरू किया था उस पर मैंने पिछले महीने एक कमॅन्ट लिखा था, जिसमें लिखा था कि चिंकी अब चिंटू को पूरी तरह भुला चुकी है। वो कमैंट अभी भी तुम देख सकती हो... तुमने ना जाने कब से उस ब्लॉग को खोल के भी नहीं देखा... एक बात और है... तुम्हारे बॅडरूम में जो 15-20 फ़ोटो चिंटू के लगे हैं उनमें से एक मैंने बदल दिया था और वो फ़ोटो एक्टर सलमान ख़ान का है... तुमने तो ध्यान भी नहीं दिया... सही बात ये है चिंकी कि हम जिसे याद रखने की 'कोशिश' करते हैं उसे जल्द ही भुला देते हैं।"
यदि इस सम्बंध में और अधिक सोचें तो हम देखते हैं कि हमें व्यक्तियों के चेहरे तो याद रह जाते हैं लेकिन उनके नाम आसानी से याद नहीं आते। इसी तरह फ़िल्मी गानों की धुनें तो हम गुनगुना पाते हैं लेकिन गाने के बोल हमें याद करने पड़ते हैं। छोटे बच्चे जानवरों की पहचान उनकी आवाजों से आसानी से कर लेते हैं जबकि उन्हीं जानवरों के नाम ठीक तरह से नहीं ले पाते। इसका कारण बहुत साधारण सा है कि भाषा मनुष्य निर्मित है और कालांतर में किसी भी भाषा के साहित्यिक रूप ने उस भाषा को ऐसा बना डाला कि मस्तिष्क को एक यंत्र की तरह प्रयोग किये बिना उस भाषा से परिचित नहीं हुआ जा सकता। |
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