"यक्ष": अवतरणों में अंतर
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11:55, 7 अगस्त 2010 का अवतरण

Yaksha
राजकीय संग्रहालय, मथुरा
- एक अर्ध देवयोनि यक्ष (नपुंसक लिंग) का उल्लेख ॠग्वेद में हुआ है।
- उसका अर्थ है 'जादू की शक्ति'।
- अतएव सम्भवत: यक्ष का अर्थ जादू की शक्तिवाला होगा और निस्सन्देह इसका अर्थ यक्षिणी है।
- यक्षों की प्रारम्भिक धारणा ठीक वही थी जो पीछे विद्याधरों की हुई।
- यक्षों को राक्षसों के निकट माना जाता है, यद्यपि वे मनुष्यों के विरोधा नहीं होते, जैसे राक्षस होते है। (अनुदार यक्ष एवं उदार राक्षस के उदाहरण भी पाये जाते हैं, किन्तु यह उनका साधारण धर्म नहीं है।)
- यक्ष तथा राक्षस दोनों ही 'पुण्यजन' (अथर्ववेद में कुबेर की प्रजा का नाम) कहलाते हैं।
- माना गया है कि प्रारम्भ में दो प्रकार के राक्षस होते थे; एक जो रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये तथा दूसरे यज्ञों में बाधा उपस्थित करने वाले राक्षस कहलाये।
- यक्षों के राजा कुबेर उत्तर के दिक्पाल तथा स्वर्ग के कोषाध्यक्ष कहलाते हैं।
वीथिका
-
यक्ष
Yaksha -
यक्ष
Yaksha -
मुदगर पाणि यक्ष
Mudgarpani Yaksha