"प्रतिविंध्य": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=प्रतिविंध्य|लेख का नाम=प्रतिविंध्य (बहुविकल्पी)}} | |||
'''प्रतिविंध्य''' का उल्लेख [[महाभारत]] में हुआ है। यहाँ के राजा को [[पाण्डव]] [[अर्जुन]] ने अपने दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में हराया था। | '''प्रतिविंध्य''' का उल्लेख [[महाभारत]] में हुआ है। यहाँ के राजा को [[पाण्डव]] [[अर्जुन]] ने अपने दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में हराया था। | ||
07:16, 14 मई 2017 के समय का अवतरण
![]() |
एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- प्रतिविंध्य (बहुविकल्पी) |
प्रतिविंध्य का उल्लेख महाभारत में हुआ है। यहाँ के राजा को पाण्डव अर्जुन ने अपने दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में हराया था।
'स तेन सहितोराजन स्वयसाची:, विजिग्ये शाकलं द्वीपं प्रतिविंध्यं च पार्थिवम्' [1]
- प्रतिविंध्य संभवत: शाकल (स्यालकोट, पश्चिमी पाकिस्तान) के निकट कोई पहाड़ी स्थान था।
- यह सम्भवत: शाकल नरेश का नाम भी हो सकता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 581 |