प्रतिविंध्य
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:02, 14 मई 2012 का अवतरण (''''प्रतिविंध्य''' का उल्लेख महाभारत में हुआ है। यहाँ ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
प्रतिविंध्य का उल्लेख महाभारत में हुआ है। यहाँ के राजा को पाण्डव अर्जुन ने अपने दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में हराया था।
'स तेन सहितोराजन स्वयसाची:, विजिग्ये शाकलं द्वीपं प्रतिविंध्यं च पार्थिवम्' [1]
- प्रतिविंध्य संभवत: शाकल (स्यालकोट, पश्चिमी पाकिस्तान) के निकट कोई पहाड़ी स्थान था।
- यह सम्भवत: शाकल नरेश का नाम भी हो सकता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 581 |