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'''उत्तर भारत''' [[भारत]] के 'उत्तरी भाग' को कहा जाता है। उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें [[मैदान]], [[पर्वत]], मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। प्रधान भौगोलिक क्षेत्रों में [[गंगा]] के मैदान और [[हिमालय]] पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को [[तिब्बत]] और मध्य [[एशिया]] के भागों से पृथक करती है।
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'''उत्तर भारत''' [[भारत]] के 'उत्तरी भाग' को कहा जाता है। उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें [[मैदान]], [[पर्वत]], मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। प्रधान भौगोलिक क्षेत्रों में [[गंगा]] के मैदान और [[हिमालय|हिमालय पर्वतमाला]] आती है। यही [[पर्वतमाला]] भारत को [[तिब्बत]] और मध्य [[एशिया]] के भागों से पृथक् करती है।
 
==विशेषता==
 
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उत्तरी भारत क्षेत्र भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र माना जाता है क्योंकि यह [[मौर्य]], [[गुप्त]], [[मुग़ल]] एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहाँ बहुत से [[हिन्दू]] तीर्थ जैसे पर्वतों में [[गंगोत्री]] से लेकर मैदानों में [[वाराणसी]] तक हैं, तो [[मुस्लिम]] तीर्थ, जैसे- [[अजमेर]] आदि भी हैं। उत्तरी भारत में [[विश्व धरोहर स्थल]] भी अनेक हैं, जैसे [[महाबोधि मंदिर]], [[हुमायूँ का मक़बरा]] और विश्व प्रसिद्ध [[ताजमहल]]।
 
उत्तरी भारत क्षेत्र भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र माना जाता है क्योंकि यह [[मौर्य]], [[गुप्त]], [[मुग़ल]] एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहाँ बहुत से [[हिन्दू]] तीर्थ जैसे पर्वतों में [[गंगोत्री]] से लेकर मैदानों में [[वाराणसी]] तक हैं, तो [[मुस्लिम]] तीर्थ, जैसे- [[अजमेर]] आदि भी हैं। उत्तरी भारत में [[विश्व धरोहर स्थल]] भी अनेक हैं, जैसे [[महाबोधि मंदिर]], [[हुमायूँ का मक़बरा]] और विश्व प्रसिद्ध [[ताजमहल]]।
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यदि उत्तर भारत के इतिहास पर नज़र डालें तो ज्ञात होता है कि [[दिल्ली सल्तनत]] की बढ़ती कमज़ोरियों, 1398 में [[तैमूर |तैमूर]] का [[दिल्ली]] पर आक्रमण और परिणाम स्वरूप [[तुग़लक वंश|तुग़लक]] सुल्तान द्वारा दिल्ली से प्रस्थान के कारण कई प्रान्तीय गवर्नरों और स्वायत्त रियासतों ने साहस करके अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी। दक्षिणी राज्यों के अतिरिक्त पूर्व में [[बंगाल]] और पश्चिम में [[मुल्तान]] और [[सिंध]] ने सबसे पहले दिल्ली से अपना सम्बन्ध तोड़ लिया। शीघ्र ही [[गुजरात]], [[मालवा]] तथा [[जौनपुर]] (पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]]) के शासकों ने अपनी-अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। अजमेर से मुस्लिम गवर्नर को खदेड़ दिये जाने पर [[राजपूताना]] की कई एक रियासतों ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया।  
 
यदि उत्तर भारत के इतिहास पर नज़र डालें तो ज्ञात होता है कि [[दिल्ली सल्तनत]] की बढ़ती कमज़ोरियों, 1398 में [[तैमूर |तैमूर]] का [[दिल्ली]] पर आक्रमण और परिणाम स्वरूप [[तुग़लक वंश|तुग़लक]] सुल्तान द्वारा दिल्ली से प्रस्थान के कारण कई प्रान्तीय गवर्नरों और स्वायत्त रियासतों ने साहस करके अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी। दक्षिणी राज्यों के अतिरिक्त पूर्व में [[बंगाल]] और पश्चिम में [[मुल्तान]] और [[सिंध]] ने सबसे पहले दिल्ली से अपना सम्बन्ध तोड़ लिया। शीघ्र ही [[गुजरात]], [[मालवा]] तथा [[जौनपुर]] (पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]]) के शासकों ने अपनी-अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। अजमेर से मुस्लिम गवर्नर को खदेड़ दिये जाने पर [[राजपूताना]] की कई एक रियासतों ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया।  
  
धीरे-धीरे इन क्षेत्रों के राज्यों में एक प्रकार का शक्ति संतुलन पैदा हो गया। पश्चिम में गुजरात, मालवा और [[मेवाड़]] एक दूसरे की शक्ति और प्रसार को रोकने वाले सिद्ध हुए। बंगाल के शक्ति-विकास को [[उड़ीसा]] के गजपति शासकों ने रोके रखा। जौनपुर के मध्य से दिल्ली में [[लोदी वंश|लोदियों]] की उभरती शक्ति, [[गंगा]]-[[यमुना]] की घाटी पर प्रभुत्व के लिए जौनपुर से लम्बे संघर्ष का कारण बनीं। पद्रहवीं शताब्दी के अंत में जौनपुर के लोदी साम्राज्य द्वारा विलयन के पश्चात स्थिति में परिवर्तन होने लगा। लोदियों ने पूर्वी [[राजस्थान]] और मालवा में अपनी शक्ति को फैलाना शुरू कर दिया। इसी समय आंतरिक कारणों से मालवा का विघटन शुरू हो गया। इसका परिणाम यह हआ कि गुजरात, मेवाड़ और लोदियों में संघर्ष और भी तीव्र हो गया। ऐसा लगा कि इस संघर्ष में विजयी पक्ष ही उत्तर भारत में अपना प्रभुत्व बना सकेगा। अतः मालवा पर अधिकार उत्तर भारत में संघर्ष का मूल मुद्दा बन गया। सम्भवतः इस बढ़े हुए संघर्ष के कारण ही [[राणा साँगा]] ने [[बाबर]] को लोदियों की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए आमंत्रित किया। उसका विचार था कि लोदियों की शक्ति नष्ट हो जाने पर इस क्षेत्र में मेवाड़ सर्वाधिक शक्तिशाली हो जायेगा।  
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धीरे-धीरे इन क्षेत्रों के राज्यों में एक प्रकार का शक्ति संतुलन पैदा हो गया। पश्चिम में गुजरात, मालवा और [[मेवाड़]] एक दूसरे की शक्ति और प्रसार को रोकने वाले सिद्ध हुए। बंगाल के शक्ति-विकास को [[उड़ीसा]] के गजपति शासकों ने रोके रखा। जौनपुर के मध्य से दिल्ली में [[लोदी वंश|लोदियों]] की उभरती शक्ति, [[गंगा]]-[[यमुना]] की घाटी पर प्रभुत्व के लिए जौनपुर से लम्बे संघर्ष का कारण बनीं। पद्रहवीं शताब्दी के अंत में जौनपुर के लोदी साम्राज्य द्वारा विलयन के पश्चात् स्थिति में परिवर्तन होने लगा। लोदियों ने पूर्वी [[राजस्थान]] और मालवा में अपनी शक्ति को फैलाना शुरू कर दिया। इसी समय आंतरिक कारणों से मालवा का विघटन शुरू हो गया। इसका परिणाम यह हआ कि गुजरात, मेवाड़ और लोदियों में संघर्ष और भी तीव्र हो गया। ऐसा लगा कि इस संघर्ष में विजयी पक्ष ही उत्तर भारत में अपना प्रभुत्व बना सकेगा। अतः मालवा पर अधिकार उत्तर भारत में संघर्ष का मूल मुद्दा बन गया। सम्भवतः इस बढ़े हुए संघर्ष के कारण ही [[राणा साँगा]] ने [[बाबर]] को लोदियों की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए आमंत्रित किया। उसका विचार था कि लोदियों की शक्ति नष्ट हो जाने पर इस क्षेत्र में मेवाड़ सर्वाधिक शक्तिशाली हो जायेगा।  
 
==राज्य और प्रमुख नगर==
 
==राज्य और प्रमुख नगर==
 
भारत सरकार द्वारा परिभाषित उत्तरी भारत में [[जम्मू एवं कश्मीर]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[उत्तराखंड]], [[हरियाणा]], [[पंजाब]], [[राजस्थान]], [[उत्तर प्रदेश]] राज्य आते हैं। यहाँ के प्रमुख शहरों में [[नई दिल्ली]], [[कानपुर]], [[जयपुर]], [[लखनऊ]], [[लुधियाना]], [[चंडीगढ़]] आदि आते हैं।
 
भारत सरकार द्वारा परिभाषित उत्तरी भारत में [[जम्मू एवं कश्मीर]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[उत्तराखंड]], [[हरियाणा]], [[पंजाब]], [[राजस्थान]], [[उत्तर प्रदेश]] राज्य आते हैं। यहाँ के प्रमुख शहरों में [[नई दिल्ली]], [[कानपुर]], [[जयपुर]], [[लखनऊ]], [[लुधियाना]], [[चंडीगढ़]] आदि आते हैं।

13:29, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

उत्तर भारत भारत के 'उत्तरी भाग' को कहा जाता है। उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। प्रधान भौगोलिक क्षेत्रों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक् करती है।

विशेषता

उत्तरी भारत क्षेत्र भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र माना जाता है क्योंकि यह मौर्य, गुप्त, मुग़ल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहाँ बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणसी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ, जैसे- अजमेर आदि भी हैं। उत्तरी भारत में विश्व धरोहर स्थल भी अनेक हैं, जैसे महाबोधि मंदिर, हुमायूँ का मक़बरा और विश्व प्रसिद्ध ताजमहल

इतिहास (लगभग 1400 ई. से 1525 ई.)

यदि उत्तर भारत के इतिहास पर नज़र डालें तो ज्ञात होता है कि दिल्ली सल्तनत की बढ़ती कमज़ोरियों, 1398 में तैमूर का दिल्ली पर आक्रमण और परिणाम स्वरूप तुग़लक सुल्तान द्वारा दिल्ली से प्रस्थान के कारण कई प्रान्तीय गवर्नरों और स्वायत्त रियासतों ने साहस करके अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी। दक्षिणी राज्यों के अतिरिक्त पूर्व में बंगाल और पश्चिम में मुल्तान और सिंध ने सबसे पहले दिल्ली से अपना सम्बन्ध तोड़ लिया। शीघ्र ही गुजरात, मालवा तथा जौनपुर (पूर्वी उत्तर प्रदेश) के शासकों ने अपनी-अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। अजमेर से मुस्लिम गवर्नर को खदेड़ दिये जाने पर राजपूताना की कई एक रियासतों ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया।

धीरे-धीरे इन क्षेत्रों के राज्यों में एक प्रकार का शक्ति संतुलन पैदा हो गया। पश्चिम में गुजरात, मालवा और मेवाड़ एक दूसरे की शक्ति और प्रसार को रोकने वाले सिद्ध हुए। बंगाल के शक्ति-विकास को उड़ीसा के गजपति शासकों ने रोके रखा। जौनपुर के मध्य से दिल्ली में लोदियों की उभरती शक्ति, गंगा-यमुना की घाटी पर प्रभुत्व के लिए जौनपुर से लम्बे संघर्ष का कारण बनीं। पद्रहवीं शताब्दी के अंत में जौनपुर के लोदी साम्राज्य द्वारा विलयन के पश्चात् स्थिति में परिवर्तन होने लगा। लोदियों ने पूर्वी राजस्थान और मालवा में अपनी शक्ति को फैलाना शुरू कर दिया। इसी समय आंतरिक कारणों से मालवा का विघटन शुरू हो गया। इसका परिणाम यह हआ कि गुजरात, मेवाड़ और लोदियों में संघर्ष और भी तीव्र हो गया। ऐसा लगा कि इस संघर्ष में विजयी पक्ष ही उत्तर भारत में अपना प्रभुत्व बना सकेगा। अतः मालवा पर अधिकार उत्तर भारत में संघर्ष का मूल मुद्दा बन गया। सम्भवतः इस बढ़े हुए संघर्ष के कारण ही राणा साँगा ने बाबर को लोदियों की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए आमंत्रित किया। उसका विचार था कि लोदियों की शक्ति नष्ट हो जाने पर इस क्षेत्र में मेवाड़ सर्वाधिक शक्तिशाली हो जायेगा।

राज्य और प्रमुख नगर

भारत सरकार द्वारा परिभाषित उत्तरी भारत में जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश राज्य आते हैं। यहाँ के प्रमुख शहरों में नई दिल्ली, कानपुर, जयपुर, लखनऊ, लुधियाना, चंडीगढ़ आदि आते हैं।

प्रमुख भाषाएँ

हिन्दी, पंजाबी, कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, मैथिली, संथाली और अंग्रेज़ी उत्तर भारत में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं।

इन्हें भी देखें: दक्षिण भारत, पूर्वी भारत, पश्चिम भारत एवं पूर्वोत्तर भारत


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