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रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे (जन्म- 3 जुलाई 1886, मृत्यु- 6 जून, 1957) दर्शन के प्रसिद्ध विद्वान रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दर्शन विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर के पद पर रहे और इसके बाद इसी विश्वविध्यालय के वाइस चांसलर भी बने।

परिचय

रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे का जन्म 3 जुलाई 1886 को हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद आप पूना के फर्ग्यूसन कॉलेज में पहले अंग्रेजी के और फिर तत्वज्ञान के प्राध्यापक नियुक्त हुए।बाद में आपने यह कार्य छोड़कर 'अध्यात्म विद्यापीठ' नामक संस्था की स्थापना की। दिसम्बर 1927 ई0 में इलाहाबाद विश्वविध्यालय में दर्शन विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर के पद पर हुई।[1]

रचना

रानाडे की अध्यात्मिक विषयों पर शोध करना और उनके प्रचार-प्रसार करने में रुचि थी। आपने सांगली में 'अध्यात्म विद्या मंदिर' की स्थापना की। अंग्रेजी और मराठी में 1922 और 1927 के बीच आपने भारतीय दर्शन और अध्यात्म पर 13 मानक ग्रंथों की रचना की। आपने 'अध्यात्म विद्यापीठ' नामक संस्था की स्थापना की। इसका उद्देश्य 16 खंडों में भारतीय दर्शन का इतिहास प्रकाशित करना था। इस क्रम में कुछ खंड प्रकाशित हो चुके थे।

प्राध्यापकी

फर्ग्यूसन कॉलेज में पहले अंग्रेजी के और फिर तत्वज्ञान के प्राध्यापक नियुक्त हुए। इलाहाबाद विश्वविध्यालय में दर्शनविभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए। बीस वर्ष तक वे इस विश्वविद्यालय में रहे और इसके वाइस चांसलर भी बने।

मृत्यु

रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे का 6 जून, 1957 ई0 को निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 729 |

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