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'''श्यामप्रयाग''' [[गढ़वाल|गढ़वाल ज़िला]], [[उत्तराखण्ड]] में स्थित एक प्रसिद्ध [[तीर्थ|तीर्थ स्थान]]। यहाँ दो नदियों का [[संगम]] होता है तथा पहाड़ों से घिरा होने के कारण श्यामवर्ण दिखाई पड़ता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=914|url=}}</ref>
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'''श्यामप्रयाग''' [[टिहरी गढ़वाल|गढ़वाल ज़िला]], [[उत्तराखण्ड]] में स्थित एक प्रसिद्ध [[तीर्थ|तीर्थ स्थान]]। यहाँ दो नदियों का [[संगम]] होता है तथा पहाड़ों से घिरा होने के कारण श्यामवर्ण दिखाई पड़ता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=914|url=}}</ref>
  
 
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श्यामप्रयाग गढ़वाल ज़िला, उत्तराखण्ड में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान। यहाँ दो नदियों का संगम होता है तथा पहाड़ों से घिरा होने के कारण श्यामवर्ण दिखाई पड़ता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 914 |

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