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अक्षोभ्य तंत्रोक्त द्वितीय विद्या के उपासक एक ऋषि का नाम है, जो उक्त विद्या के देवता के सिर पर नागरूप में स्थित हैं।
- 'अक्षोभ्य' भगवान बुद्ध का भी एक नाम है तथा पंचध्यानी बुद्धों में से एक बुद्ध को भी अक्षोभ्य संज्ञा से अभिहित किया जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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