शाकल्य

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शाकल्य प्राचीन समय के एक ऋषि थे, जो जांगल के पिता थे।[1]


  • 'शतपथ ब्राह्मण' में शाकल्य का दूसरा नाम विदग्ध भी मिलता है।
  • इन्होंने ऋग्वेद का पदपाठ पहले-पहल ठीक किया और वाक्यों की सन्धियाँ तोड़कर पदों को अलग-अलग स्मरण करने की पद्धति चलायी।
  • 'स्कंद पुराण' के अनुसार पांड्य नरेश शंकर ने व्याघ्र के भ्रम में पत्नी सहित इनका वध कर दिया था।[2]
  • विदेह के राजा जनक के यहाँ शाकल्य सभापण्डित और याज्ञवल्क्य के प्रतिद्वन्द्वी थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 492 |
  2. स्कंद पुराण ब्राह्म. सेतु-माहत्म्य

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