"ऋषिकेश" के अवतरणों में अंतर

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|विवरण=ऋषिकेश प्राकृतिक सुन्दरता से घिरा एक धार्मिक स्थान है।
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|ज़िला=देहरादून ज़िला
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|भौगोलिक स्थिति=उत्तर-30°.1' पूर्व-78°.29'
 
|मार्ग स्थिति=दिल्ली से ऋषिकेश 222 किलोमीटर तथा [[देहरादून]] से ऋषिकेश 18 किलोमीटर की दूरी पर 
 
|प्रसिद्धि=ऋषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है।
 
|कब जाएँ=
 
|यातायात=
 
|हवाई अड्डा= जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट एयरपोर्ट, देहरादून
 
|रेलवे स्टेशन=[[हरिद्वार]] रेलवे स्टेशन
 
|बस अड्डा=बस अड्डा, ऋषिकेश
 
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|क्या देखें=झूले, मंदिर, पहाड़ियाँ, नदियाँ
 
|कहाँ ठहरें=
 
|क्या खायें=
 
|क्या ख़रीदें=हस्तशिल्प का सामान, साड़ियाँ, बेड कवर, हैन्डलूम फेबरिक, कॉटन फेबरिक आदि
 
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|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?f=d&source=s_d&saddr=New+Delhi,+Delhi&daddr=Rishikesh,+Uttarakhand&geocode=FazwtAEdAFyaBCkttn40W_0MOTHOTSBOSbfCUg%3B&hl=en&mra=ls&sll=28.636174,77.225581&sspn=0.041809,0.055189&ie=UTF8&ll=29.329509,78.793945&spn=2.676841,3.532104&z=8 ऋषिकेश का मानचित्र]
 
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ऋषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है। [[गढ़वाल]], [[उत्तरांचल]] में [[हिमालय]] पर्वतों के तल में बसा ऋषिकेश धार्मिक दृष्टि के अतिरिक्त अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को [[केदारनाथ]], [[बद्रीनाथ]], [[गंगोत्री]] और [[यमुनोत्री]] का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। [[ऋषिकेश पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल है। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।
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'''ऋषिकेश''' को पवित्र [[तीर्थ]] माना जाता है। [[गढ़वाल]], [[उत्तरांचल]] में [[हिमालय]] [[पर्वत|पर्वतों]] के तल में बसा ऋषिकेश धार्मिक दृष्टि के अतिरिक्त अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती [[गंगा नदी]] इसे अतुल्य बनाती है। [[चित्र:Lord-Shiva-Statue-Rishikesh.jpg|thumb|left|[[शिव|भगवान शिव]] की मूर्ति जो दिनांक [[17 जून]] [[2013]] को [[उत्तराखण्ड]] में आये भारी जलप्लवन में [[गंगा]] में समा गयी।]]
[[चित्र:Lord-Shiva-Statue-Rishikesh.jpg|thumb|250px|left|भगवान [[शिव]] की मूर्ति, ऋषिकेश<br/> Lord Shiva Statue, Rishikesh]]
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ऋषिकेश को [[केदारनाथ]], [[बद्रीनाथ]], [[गंगोत्री]] और [[यमुनोत्री]] का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। [[ऋषिकेश पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल है। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।
 
==स्थिति==
 
==स्थिति==
 
[[भारत]] के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक ऋषिकेश है जो [[उत्तराखण्ड]] में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार ऋषिकेश [[हरिद्वार]] से लगभग 20-25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है यहाँ से पर्वतों के राजा हिमालय का साम्राज्य शुरू हो जाता है।
 
[[भारत]] के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक ऋषिकेश है जो [[उत्तराखण्ड]] में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार ऋषिकेश [[हरिद्वार]] से लगभग 20-25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है यहाँ से पर्वतों के राजा हिमालय का साम्राज्य शुरू हो जाता है।
 
==कथा==
 
==कथा==
ऋषिकेश से संबंधित अनेक धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि [[समुद्र मंथन]] के दौरान निकला विष [[शिव]] ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें [[नीलकंठ महादेव]] के नाम से जाना गया। एक अन्य अनुश्रूति के अनुसार भगवान [[राम]] ने वनवास के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना [[लक्ष्मण झूला ऋषिकेश|लक्ष्मण झूला]] इसका प्रमाण माना जाता है। [[1939]] ई. में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया। यह भी कहा जाता है कि ऋषि राभ्या ने यहाँ ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश के अवतार में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।
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ऋषिकेश से संबंधित अनेक धार्मिक कथाएँ भी प्रचलित हैं-
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*यह कहा जाता है कि [[समुद्र मंथन]] के दौरान निकला विष भगवान [[शिव]] ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें '[[नीलकंठ महादेव]]' के नाम से जाना गया।
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*एक अन्य किंवदंती के अनुसार भगवान [[राम]] ने अपने वनवास काल के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना '[[लक्ष्मण झूला ऋषिकेश|लक्ष्मण झूला]]' इसका प्रमाण माना जाता है। [[1939]] ई. में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया।
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*यह भी कहा जाता है कि ऋषि राभ्या ने यहाँ ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश के [[अवतार]] में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को 'ऋषिकेश' नाम से जाना जाता है।
 
==यातायात व परिवहन==
 
==यातायात व परिवहन==
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====वायुमार्ग====
 
ऋषिकेश से 18 किलोमिटर की दूरी पर [[देहरादून]] के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नज़दीकी एयरपोर्ट है। इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को [[दिल्ली]] से जोड़ती है।  
 
ऋषिकेश से 18 किलोमिटर की दूरी पर [[देहरादून]] के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नज़दीकी एयरपोर्ट है। इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को [[दिल्ली]] से जोड़ती है।  
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====रेलमार्ग====
 
ऋषिकेश का नज़दीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो 25 किलोमिटर दूर है। हरिद्वार देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।  
 
ऋषिकेश का नज़दीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो 25 किलोमिटर दूर है। हरिद्वार देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।  
====<u>सड़क मार्ग</u>====
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====सड़क मार्ग====
 
[[दिल्ली]] के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।
 
[[दिल्ली]] के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।
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ऋषिकेश पर्यटन के लिए सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। ऋषिकेश विश्व प्रसिद्ध योग केंद्र है। [[लक्ष्मण झूला]], [[वसिष्ठ गुफा ऋषिकेश|वसिष्ठ गुफा]] और [[नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश|नीलकंठ महादेव मंदिर]] यहा के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। दूर-दूर से पर्यटक ऋषिकेश की प्राकृतिक सौन्दर्य देखने के लिए आते हैं। सुबह के समय पहाड़ियों के पीछे से निकलता हुआ [[सूर्य देवता|सूर्य]], [[गंगा नदी|गंगा]] के बहते पानी की कलकल, कोहरे से ढकी पहाड़ी चोटियाँ, यह एक ऐसा अनुभव होता है जिसको ऋषिकेश में महसूस किया जा सकता है। ऋषिकेश में बहती गंगा की ख़ूबसूरती तो देखती ही बनती है।
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[[Category:उत्तराखंड के पर्यटन स्थल]]
 
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10:18, 17 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

ऋषिकेश
Rishikesh-1.jpg
विवरण ऋषिकेश प्राकृतिक सुन्दरता से घिरा एक धार्मिक स्थान है।
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला देहरादून
भौगोलिक स्थिति उत्तर-30°.06 पूर्व-78°.18
मार्ग स्थिति दिल्ली से ऋषिकेश 222 किलोमीटर तथा देहरादून से ऋषिकेश 18 किलोमीटर की दूरी पर
प्रसिद्धि ऋषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है।
हवाई अड्डा जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट एयरपोर्ट, देहरादून
रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन
क्या देखें झूले, मंदिर, पहाड़ियाँ, नदियाँ
क्या ख़रीदें हस्तशिल्प का सामान, साड़ियाँ, बेड कवर, हैन्डलूम फेबरिक, कॉटन फेबरिक आदि
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif ऋषिकेश का मानचित्र
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी और गढ़वाली
अन्य जानकारी ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है।
बाहरी कड़ियाँ ऋषिकेश की वेबसाइट
ऋषिकेश ऋषिकेश पर्यटन देहरादून ज़िला

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भगवान शिव की मूर्ति जो दिनांक 17 जून 2013 को उत्तराखण्ड में आये भारी जलप्लवन में गंगा में समा गयी।

ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। ऋषिकेश पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल है। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।

स्थिति

भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक ऋषिकेश है जो उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार ऋषिकेश हरिद्वार से लगभग 20-25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है यहाँ से पर्वतों के राजा हिमालय का साम्राज्य शुरू हो जाता है।

कथा

ऋषिकेश से संबंधित अनेक धार्मिक कथाएँ भी प्रचलित हैं-

  • यह कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष भगवान शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें 'नीलकंठ महादेव' के नाम से जाना गया।
  • एक अन्य किंवदंती के अनुसार भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना 'लक्ष्मण झूला' इसका प्रमाण माना जाता है। 1939 ई. में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया।
  • यह भी कहा जाता है कि ऋषि राभ्या ने यहाँ ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश के अवतार में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को 'ऋषिकेश' नाम से जाना जाता है।

यातायात व परिवहन

वायुमार्ग

ऋषिकेश से 18 किलोमिटर की दूरी पर देहरादून के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नज़दीकी एयरपोर्ट है। इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को दिल्ली से जोड़ती है।

गंगा और हिमालय का तल, ऋषिकेश

रेलमार्ग

ऋषिकेश का नज़दीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो 25 किलोमिटर दूर है। हरिद्वार देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

दिल्ली के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।

पर्यटन

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रात्रि में राम झूला ऋषिकेश

ऋषिकेश पर्यटन के लिए सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। ऋषिकेश विश्व प्रसिद्ध योग केंद्र है। लक्ष्मण झूला, वसिष्ठ गुफा और नीलकंठ महादेव मंदिर यहा के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। दूर-दूर से पर्यटक ऋषिकेश की प्राकृतिक सौन्दर्य देखने के लिए आते हैं। सुबह के समय पहाड़ियों के पीछे से निकलता हुआ सूर्य, गंगा के बहते पानी की कलकल, कोहरे से ढकी पहाड़ी चोटियाँ, यह एक ऐसा अनुभव होता है जिसको ऋषिकेश में महसूस किया जा सकता है। ऋषिकेश में बहती गंगा की ख़ूबसूरती तो देखती ही बनती है।


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वीथिका

ऋषिकेश का दृश्य

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