"पराशर झील" के अवतरणों में अंतर
(''''पराशर झील''' हिमाचल प्रदेश के [[मंडी हिमाचल प्रदेश|म...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{सूचना बक्सा पर्यटन | ||
+ | |चित्र=Parashar-Lake.JPG | ||
+ | |चित्र का नाम=पराशर झील | ||
+ | |विवरण='पराशर झील' [[हिमाचल प्रदेश]] के शानदार पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके किनारे 'पैगोडा शैली' में निर्मित [[पराशर|ऋषि पराशर]] का तीन मंजिला मंदिर भी है। | ||
+ | |राज्य=[[हिमाचल प्रदेश]] | ||
+ | |केन्द्र शासित प्रदेश= | ||
+ | |ज़िला= | ||
+ | |निर्माता= | ||
+ | |स्वामित्व= | ||
+ | |प्रबंधक= | ||
+ | |निर्माण काल= | ||
+ | |स्थापना= | ||
+ | |भौगोलिक स्थिति=[[मंडी हिमाचल प्रदेश|मंडी]] से चालीस किलोमीटर दूर उत्तर–पूर्व में नौ हजार फुट की ऊंचाई पर। | ||
+ | |मार्ग स्थिति= | ||
+ | |मौसम= | ||
+ | |तापमान= | ||
+ | |प्रसिद्धि= | ||
+ | |कब जाएँ= | ||
+ | |कैसे पहुँचें= | ||
+ | |हवाई अड्डा= | ||
+ | |रेलवे स्टेशन= | ||
+ | |बस अड्डा= | ||
+ | |यातायात= | ||
+ | |क्या देखें= | ||
+ | |कहाँ ठहरें= | ||
+ | |क्या खायें= | ||
+ | |क्या ख़रीदें= | ||
+ | |एस.टी.डी. कोड= | ||
+ | |ए.टी.एम= | ||
+ | |सावधानी= | ||
+ | |मानचित्र लिंक= | ||
+ | |संबंधित लेख=[[हिमाचल प्रदेश]], [[पराशर]] | ||
+ | |शीर्षक 1=विशेष | ||
+ | |पाठ 1=झील की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें छोटा-सा द्वीप तैरता रहता है। इस द्वीप को 'टहला' कहते हैं। | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी=झील के निकट ही [[पराशर|पराशर ऋषि]] का मंदिर है। एक अनुमान के अनुसार इस मंदिर का निर्माण तेरहवीं [[शताब्दी]] में तत्कालीन मंडी नरेश बाणसेन द्वारा करवाया गया था। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | |||
'''पराशर झील''' [[हिमाचल प्रदेश]] के [[मंडी हिमाचल प्रदेश|मंडी नगर]] से चालीस किलोमीटर दूर उत्तर–पूर्व में नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। दूर से देखने पर इस [[झील]] का आकार एक तालाब की तरह लगता है, लेकिन इस झील की वास्तविक परिधि आधा किलोमीटर से कुछ कम है। झील के चारों ओर ऊंची–ऊंची पहाड़ियाँ देखने में ऐसी प्रतीत होती हैं, मानो प्रकृति ने इस झील की सुरक्षा के लिए इन पहाड़ियों की गोलाकार दीवार खड़ी कर दी है। पराशर झील जनबस्तियों से काफ़ी दूर एकांत में हैं। इसके किनारे 'पैगोडा शैली' में निर्मित [[पराशर|ऋषि पराशर]] का तीन मंजिला मंदिर भी है। | '''पराशर झील''' [[हिमाचल प्रदेश]] के [[मंडी हिमाचल प्रदेश|मंडी नगर]] से चालीस किलोमीटर दूर उत्तर–पूर्व में नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। दूर से देखने पर इस [[झील]] का आकार एक तालाब की तरह लगता है, लेकिन इस झील की वास्तविक परिधि आधा किलोमीटर से कुछ कम है। झील के चारों ओर ऊंची–ऊंची पहाड़ियाँ देखने में ऐसी प्रतीत होती हैं, मानो प्रकृति ने इस झील की सुरक्षा के लिए इन पहाड़ियों की गोलाकार दीवार खड़ी कर दी है। पराशर झील जनबस्तियों से काफ़ी दूर एकांत में हैं। इसके किनारे 'पैगोडा शैली' में निर्मित [[पराशर|ऋषि पराशर]] का तीन मंजिला मंदिर भी है। | ||
==आकर्षण== | ==आकर्षण== |
11:38, 30 नवम्बर 2013 का अवतरण
पराशर झील
| |||
विवरण | 'पराशर झील' हिमाचल प्रदेश के शानदार पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके किनारे 'पैगोडा शैली' में निर्मित ऋषि पराशर का तीन मंजिला मंदिर भी है। | ||
राज्य | हिमाचल प्रदेश | ||
भौगोलिक स्थिति | मंडी से चालीस किलोमीटर दूर उत्तर–पूर्व में नौ हजार फुट की ऊंचाई पर। | ||
संबंधित लेख | हिमाचल प्रदेश, पराशर | विशेष | झील की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें छोटा-सा द्वीप तैरता रहता है। इस द्वीप को 'टहला' कहते हैं। |
अन्य जानकारी | झील के निकट ही पराशर ऋषि का मंदिर है। एक अनुमान के अनुसार इस मंदिर का निर्माण तेरहवीं शताब्दी में तत्कालीन मंडी नरेश बाणसेन द्वारा करवाया गया था। |
पराशर झील हिमाचल प्रदेश के मंडी नगर से चालीस किलोमीटर दूर उत्तर–पूर्व में नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। दूर से देखने पर इस झील का आकार एक तालाब की तरह लगता है, लेकिन इस झील की वास्तविक परिधि आधा किलोमीटर से कुछ कम है। झील के चारों ओर ऊंची–ऊंची पहाड़ियाँ देखने में ऐसी प्रतीत होती हैं, मानो प्रकृति ने इस झील की सुरक्षा के लिए इन पहाड़ियों की गोलाकार दीवार खड़ी कर दी है। पराशर झील जनबस्तियों से काफ़ी दूर एकांत में हैं। इसके किनारे 'पैगोडा शैली' में निर्मित ऋषि पराशर का तीन मंजिला मंदिर भी है।
आकर्षण
पराशर झील एक छोटी-सी खूबसूरत झील है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। इस झील की एक ख़ास बात है कि इसमें एक 'टहला' रहता है। 'टहला' एक छोटा-सा द्वीप है, जिसकी विशेषता यह है कि यह झील में ही टहलता रहता है, इसीलिये इसे 'टहला' कहते हैं। पराशर झील के आसपास कोई वृक्ष नहीं है। इसके चारों ओर बस हरी-हरी घास ही है, जो दिसम्बर के महीने में पीले रंग की हो जाती है।
पराशर मंदिर
झील के निकट ही पराशर ऋषि का मंदिर है। एक अनुमान के अनुसार इस मंदिर का निर्माण तेरहवीं शताब्दी में तत्कालीन मंडी नरेश बाणसेन द्वारा करवाया गया था। मंदिर में की गयी काष्ठ कला इतनी बेजोड़ है कि कला प्रेमी वाह–वाह किये बिना नहीं रहता। मंदिर में महर्षि पराशर की भव्य पाषाण प्रतिमा के अतिरिक्त भगवान विष्णु, महिषासुरमर्दिनी, शिव व लक्ष्मी की कलात्मक प्रस्तर मूर्तियाँ भी स्थित हैं। झील का सौंदर्यावलोकन करने आये पर्यटक स्वयंमेव ही इस मंदिर में आकर नतमस्तक हो जाते हैं।
निर्माण शैली
कहा जाता है कि जिस स्थान पर मन्दिर है, वहाँ ऋषि पराशर ने तपस्या की थी। पिरामिडाकार पैगोडा शैली के गिने-चुने मन्दिरों में से यह एक है और काठ निर्मित है। तिमंजिले मन्दिर की भव्यता अपने आप में एक मिसाल है। पारम्परिक निर्माण शैली में दीवारें चिनने में पत्थरों के साथ लकड़ी की कड़ियों के प्रयोग ने पूरे प्रांगण को अनूठी व नायाब कलात्मकता प्रदान की है। मन्दिर के बाहरी तरफ़ व स्तम्भों पर की गई नक्काशी अदभुत है। इनमें उकेरे गए देवी-देवता, सांप, पेड़-पौधे, फूल, बेल-पत्ते, बर्तन व पशु-पक्षियों के चित्र क्षेत्रीय कारीगरी के सुन्दर नमूने हैं। श्रद्धालु झील से हरी-हरी लम्बे फर्ननुमा घास की पत्तियाँ निकालते हैं। इन्हें 'बर्रे' कहते हैं और छोटे आकार की पत्तियों को 'जर्रे'। इन्हें देवता का 'शेष' (फूल) माना जाता है। इन्हें श्रद्धा के साथ संभालकर रखा जाता है। मंदिर के अन्दर प्रसाद के साथ भी यही पत्ती दी जाती है।[1]
मेले का आयोजन
झील में मछलियाँ भी हैं, जो नन्हें पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। पराशर झील के निकट हर वर्ष आषाढ की संक्रांति व भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की पंचमी को विशाल मेले लगते हैं। भाद्रपद में लगने वाला मेला पराशर ऋषि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पराशर स्थल से कई किलोमीटर दूर कमांदपुरी में पराशर ऋषि का भंडार है, जहाँ उनके पांच मोहरे हैं। यहाँ भी अनेक श्रद्धालु दर्शन के लिये पहुंचते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हर मौसम में बुलाती पराशर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 30 नवम्बर, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख