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*फ़क़ीरों को आमतौर पर पवित्र व्यक्ति माना जाता है, जिनके पास चमत्कारिक शक्तियाँ होती हैं। | *फ़क़ीरों को आमतौर पर पवित्र व्यक्ति माना जाता है, जिनके पास चमत्कारिक शक्तियाँ होती हैं। | ||
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− | *मुसलमानों में प्रमुख सूफ़ी फ़क़ीर समुदाय हैं | + | *[[मुसलमान|मुसलमानों]] में प्रमुख सूफ़ी फ़क़ीर समुदाय हैं- '[[चिश्ती सम्प्रदाय|चिश्तिया]]', '[[कादिरी सम्प्रदाय|कादरिया]]', '[[नक़्शबंदिया]]' और '[[सुहरावर्दिया]]'। |
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12:24, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
फ़क़ीर अरबी का शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'निर्धन', जो मूलत: भिखारी दरवेश है।
- आध्यात्मिक दृष्टि से फ़क़ीर शब्द का संबंध व्यक्ति की ईश्वर विषयक आध्यात्मिक आवश्यकता से है, क्योंकि ईश्वर ही है, जो पूर्णत: आत्मनिर्भर है।
- यद्यपि यह शब्द मुस्लिम मूल का है, फिर भी हिंदुओं ने भी इसका इस्तेमाल किया और गौंसाई, साधु, भिक्कु के स्थान पर अक्सर इस शब्द का प्रयोग किया गया।
- फ़क़ीरों को आमतौर पर पवित्र व्यक्ति माना जाता है, जिनके पास चमत्कारिक शक्तियाँ होती हैं।
- ये प्राय: अशिक्षित होते है और उनके अनुयायी साधारण ग्रामीण लोग होते हैं।
- मुसलमानों में प्रमुख सूफ़ी फ़क़ीर समुदाय हैं- 'चिश्तिया', 'कादरिया', 'नक़्शबंदिया' और 'सुहरावर्दिया'।
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